बरोदा उपचुनाव से पहले हरियाणा BJP को बड़ा झटका, परमिंद्र ढुल ने पार्टी को कहा अलविदा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 20, 2020 - 11:15 AM (IST)

चंडीगढ़/जींद(धरणी/अनिल): बरोदा उपचुनाव से पहले हरियाणा बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी नेता परमिंद्र ढुल ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। परमिंद्र ढुल ने किसानों के तीन कृषि बिलों के खिलाफ इस्तीफा दिया है।  उन्होंने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को काला कानून है। ढुल ने कहा सरकार किसानों को पूंजीपतियों के हाथ मे सौपने की तैयारी कर रही है। उन्होंने बीजेपी-जेजेपी पर वायदा खिलाफ के आरोप  लगाए है।  उन्होंने पत्र लिखा आदरणीय अध्यक्ष जी नमस्कार, मैं संगठन का आभारी हूँ कि मुझे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया पेनलिस्ट के रूप में कार्य करने का मौका मिला।  अध्यक्ष जी मैं आपको आज के ज्वलंत मुद्दे किसान अध्यादेशों की तरफ लेकर जाना चाहता हूँ। मैंने आपको विभिन्न जगह पर इनके समर्थन के बारे में बोलते हुए सुना है लेकिन हर जगह आपके द्वारा कहा गया है कि सभी किसान इसके समर्थन में हैं और विरोध करने वाले पार्टी विशेष के लोग हैं।

पार्टी के द्वारा विभिन्न स्तरों पर आश्वस्त किया गया था कि यदि अध्यादेशों को लेकर किसी पक्ष को कोई आपत्ति होगी तो उसे सुना जायेगा और उनका सोल्यूशन किया जायेगा, लेकिन आपत्तियों के बावजूद कुछ भी नहीं किया गया और विपक्ष की आवाज को दबा कर अलोकतांत्रिक तरीके से बिल को पास करवा दिया गया और बेहद जल्दबाजी में महामहिम राष्ट्रपति से हस्ताक्षर करवा दिए गए। इसके बाद जब किसानों ने इसका विरोध किया तो उनपर बल पूर्वक लाठीचार्ज करवाया गया। इसका मैंने तब भी विरोध किया था। मैंने इन बिलों के बारे में मेरी आपत्तियों को संगठन के स्तर पर भी दर्ज कराया था लेकिन उनका समाधान अब तक नहीं किया गया है। मैं समझने में असमर्थ हूँ कि जिन बिलों का इतने व्यापक स्तर पर विरोध किया गया उन बिलों को इस प्रकार क्यों पास किया गया? जहाँ एक ओर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से आश्वस्त किया गया कि मंडी व्यवस्था बरकरार रहेगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लगातार खरीद होती रहेगी तो ऐसे में इन बातों का प्रावधान बिल में क्यों नहीं किया गया इसका पार्टी के पास कोई भी उत्तर नहीं है।

जिन बिलों का सीधा प्रभाव भारत की सत्तर प्रतिशत आबादी पर पड़ने वाला है उन बिलों को बिना राज्यों से सलाह लिए क्यों पास किया गया जबकि स्पष्ट तौर पर ये बिल संविधान की सातवीं अनुसूची में आते हैं तथा इसपर कानून बनाने का राज्यों को हक़ है तो ऐसे में ये बिल राज्यों से सलाह के बिना भारत की जनता पर क्यों थोपे गए इसका उत्तर भाजपा के पास नहीं है। जब से इन बिलों को पास कर जनता पर थोपा गया है, मैं भाजपा का पक्ष लेने के लिए कभी टीवी डिबेट्स में नहीं गया हूँ और न ही अब मेरी आत्मा मानती है कि मैं संगठन की सेवा करूँ। मैं पार्टी का सदस्य बाद में हूँ एवं एक किसान पुत्र पहले अतः मेरे लिए किसान के हित सर्वोपरि हैं एवं ये पार्टी के किसी पद अथवा सम्मान से अधिक हैं। ऐसे में मैं भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिए गए पद के निर्वहन में स्वयं को असमर्थ पाता हूँ एवं तुरंत प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता एवं भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मीडिया पेनलिस्ट के पद से मेरा इस्तीफा देता हूँ।- रविंद्र सिंह ढुल

 


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Isha

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