राजनेताओं को सलाम ठोकेंगे हरियाणा के अफसर, कुर्सी छोड़ करना होगा स्वागत

punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2019 - 03:49 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा में अब कोई भी अफसर सांसद-विधायकों की अनदेखी नहीं कर सकेगा। सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक कार्यकमों में प्रशासनिक अधिकारी न केवल कुर्सी छोड़कर जनप्रतिनिधियों का स्वागत करेंगे, बल्कि वापसी में उन्हें पूरे सम्मान के साथ गाड़ी तक पहुंचाएंगे। इसके अलावा हर सवाल का जवाब पूरी सभ्यता से देंगे और जानकारी नहीं दे पाने की सूरत में इसकी ठोस वजह बताएंगे। इसके अलावा उन्हें उचित सुझावों पर भी अमल करना होगा।

अफसरों द्वारा सांसद-विधायकों के फोन नहीं उठाने की शिकायतें आम हैं। इसी तरह प्रोटोकॉल के उल्लंघन और संतोषजनक व्यवहार नहीं होने की शिकायतें बढ़ी हैं। नई दिल्ली में 18 सितंबर को केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की अगुवाई में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और प्रधान सचिवों की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। इसके बाद विगत 14 अक्टूबर को केंद्रीय कार्मिक विभाग ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को प्रोटोकॉल का पालन कराने के आदेश जारी कर दिए।

केंद्र सरकार की एडवाइजरी पर एक्शन लेते हुए मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने सर्कुलर जारी किया है। निर्देशों में साफ कहा गया है कि दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर सरकार एक्शन लेगी। मुख्य सचिव कार्यालय से अफसरों को हिदायतें जारी की गई हैं कि अगर सांसद-विधायक उनके कार्यालय या सार्वजनिक कार्यक्रम में आते हैं तो वह खड़े होकर उनका स्वागत करें।

सभी अफसरों को हिदायत दी गई है कि जनप्रतिनिधियों को पूरी इज्जत के साथ उन्हें मांगी गई तमाम जानकारी उपलब्ध कराएं। हर हाल में सांसद और विधायकों का फोन उठाएं और व्यस्त होने की स्थिति में एसएमएस के जरिए तुरंत उन्हें इसकी जानकारी दें। माननीयों के सभी अनुरोधों को ध्यानपूर्वक सुना जाए। जिस भी संसदीय क्षेत्र में कोई प्रोग्राम हो तो वहां के सांसद को जरूर बुलाएं और उन्हें सुविधाजनक सीट दें। अगर किसी सांसद का निर्वाचन क्षेत्र दो जिले में पड़ता है तो अधिकारी दोनों जिलों में सांसद को बुलाएं।

प्रोटोकॉल तोडऩे में आगे शीर्ष अधिकारी
हरियाणा में अफसरों द्वारा अनदेखी की शिकायतें करते रहे सांसदों और विधायकों को अब वीवीआइपी (अति महत्वपूर्ण व्यक्ति) का अहसास होगा। अभी तक शीर्ष स्तर के कई अफसर प्रोटोकॉल तोड़ते रहे थे। सांसद और विधायक क्या, कई मंत्री तक मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत कर चुके हैं। सरकारी स्तर पर तवज्जो नहीं मिलने से सांसद-विधायकों को कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। अब अफसरों को माननीयों के साथ अपने व्यवहार में शिष्टाचार बरतने की नसीहत के साथ ही ताकीद की गई है कि वे अपने अधीनस्थ स्टॉफ से भी सख्ती के साथ प्रोटोकॉल का पालन कराएं।


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Shivam

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