HSCPS की मीडिया को चेतावनी, यौन उत्पीड़ित बच्चे की पहचान का न करें खुलासा

punjabkesari.in Saturday, Jun 30, 2018 - 10:16 AM (IST)

चंडीगढ़ (ब्यूरो): हरियाणा राज्य बाल संरक्षण सोसायटी ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के चैप्टर-9 की धारा 74 और बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत बलात्कार पीड़ित या यौन उत्पीड़ित बच्चे की पहचान का खुलासा करने के खिलाफ मीडिया संगठनों को चेतावनी दी है। प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले को सजा अौर जुर्माना हो सकता है। 

महिला एवं बाल विकास विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि बच्चों की निजता, गरिमा, शारीरिक और भावनात्मक विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे बच्चों पर और बच्चों के लिए रिपोर्टिंग, प्रसारण, समाचार के प्रकाशन, कार्यक्रम और वृत्तचित्रों के दौरान हर समय सुरक्षित और संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि मीडिया की भूमिका को पोक्सो अधिनियम, 2012 और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 जैसे महत्वपूर्ण कानूनों में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है लेकिन बाल संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता और संवेदनशीलता की धारणा पत्रों से परे भावनात्मक अधिक है।

उन्होंने बताया कि अधिनियमों का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया के हर चरण में बच्चे के सर्वोत्तम हितों की रक्षा करना है। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के चैप्टर-9 की धारा 74 के तहत, किसी भी समाचार पत्र, पत्रिका, न्यूज-शीट या ऑडियो-विजुअल मीडिया या किसी भी पूछताछ या जांच या न्यायिक प्रक्रिया के संबंध में संचार के अन्य रूपों में किसी भी रिपोर्ट में नाम, पता या स्कूल या कोई ऐसी अन्य विशेष जानकारी नहीं दी जानी चाहिए जिससे कानूनी प्रक्रिया में फंसे बच्चे या देखभाल या सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे या पीड़ित बच्चे या अपराध के गवाह की पहचान हो सकती है जो उस समय के किसी कानून के तहत इस तरह के मामले में शामिल है। इसके अतिरिक्त, न ही किसी ऐसे बच्चे की तस्वीर प्रकाशित की जानी चाहिए।

अगर ऐसे किसी भी बच्चे की तस्वीर प्रकाशित की जाती है तो जांच करने वाले बोर्ड या समिति, जैसा भी मामला हो, की राय में इस तरह के प्रकटीकरण बच्चे के सर्वोत्तम हित में हों तो कारणों को लिखित में दर्ज करके इस तरह के प्रकटीकरण की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि पुलिस, उन मामलों में जहां मामला बंद या निपटाया जा चुका है, चरित्र प्रमाण पत्र या किसी और कारण सेे बच्चे के किसी भी रिकॉर्ड का खुलासा नहीं करेगी। बच्चों की पहचान के प्रकटीकरण के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 6 महीने तक के कारावास या 2 लाख रुपए तक के जुर्माने अथवा दोनों की सजा हो सकती है। 
 


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Nisha Bhardwaj

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