इस नेक काम के लिए 1 लाख हेक्टेयर में धान नहीं पैदा करेगा हरियाणा राज्य

punjabkesari.in Monday, Apr 27, 2020 - 11:38 PM (IST)

नई दिल्ली: हरियाणा के चरखी दादरी जिले की पैंतावास कलां पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित कर अपने गांव में धान की फसल न बोने का संकल्प लिया है। धान सबसे ज्यादा पानी की खपत वाली फसलों में शामिल है और जल संकट के लिहाज से करीब आधा हरियाणा डार्क जोन में है। इस संकट से उबरने के लिए हरियाणा सरकार ने इस बार 1 लाख हैक्टेयर में धान न पैदा करने का फैसला किया है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एक किलोग्राम चावल पैदा करने में 5000 लीटर तक पानी की जरूरत होती है। यूनाइटेड नेशंस के खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक भारत में 90 परसेंट पानी का इस्तेमाल कृषि में होता है। भारत में पानी की ज्यादातर खपत चावल और गन्ने जैसी फसलों में होती है। हरियाणा टॉप टेन धान उत्पादकों में शामिल है, यहां का बासमती चावल वल्र्ड फेमस है, हालांकि चरखी-दादरी बेल्ट में पहले ही बहुत कम धान होता है। हरियाणा का भूजल स्तर 300 मीटर तक पहुंचने का अंदेशा है। भूजल के मामले में यहां के नौ जिले डार्क जोन में शामिल हैं। 

प्रदेश के 76 फीसदी हिस्से में भूजल स्तर बहुत तेजी से गिरा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़े कुछ ऐसा ही कहते हैं। यह पहला ऐसा राज्य है जिसने सबसे पहले जल संकट की गंभीरता को देखते हुए धान की खेती को डिस्करेज करने का निर्णय लिया है। कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है जल संकट से निपटने के लिए हरियाणा का ये प्लान मॉडल बन सकता है।


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Shivam

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