हुड्डा ने दी मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया, बोले-  किसानों व प्रदेश की हालत देखकर पीड़ा होना लाजमी

punjabkesari.in Friday, Jun 18, 2021 - 06:07 PM (IST)

चंडीगढ़( चन्द्र शेखर धरणी): पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर जिसे मेरी राजनीतिक पीड़ा बता रहे हैं, वो हर हरियाणवी की मानवीय पीड़ा है। हुड्डा ने कहा कि उन्हें इस बात की पीड़ा है कि जिस हरियाणा को हमने साढ़े नौ साल की कड़ी मेहनत से देश का नंबर वन राज्य बनाया था, उसे बीजेपी के कुशासन ने देश के फिसड्डी राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। कांग्रेस कार्यकाल में हरियाणा प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश, रोजगार सृजन, किसानों के हित, खिलाड़ियों के मान-सम्मान समेत तमाम पैमानों पर देश का अग्रणी राज्य था। लेकिन, बीजेपी कार्यकाल में यह अपराध, बेरोजगारी, प्रदूषण, कर्ज, घोटाले, किसानों पर अत्याचार और बदहाली में अग्रणी हो गया है। 

हुड्डा ने कहा कि बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी सरकार में हुए इस नकारात्मक विकास पर हर प्रदेशवासी को पीड़ा महसूस हो रही है। बहरहाल हरियाणावासी भी आपकी तरह एक-एक दिन गिनकर निकाल रहे। लेकिन, हैरानी की बात ये है कि सत्ता में बैठे हुए लोगों को प्रदेश के ये हालात देखकर पीड़ा नहीं होती। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि उन्हें प्रदेश के किसानों की हालत देखकर पीड़ा होती है। क्योंकि वो 7 महीने से अपनी जायज मांगों को लेकर सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। नवंबर-दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड झेलने के बाद किसान जून की चिलचिलाती गर्मी झेलने को मजबूर हैं। यह पूरे देश के लिए पीड़ादायक है। उन्हें इस बात की पीड़ा है कि आज हरियाणा के युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश का युवा देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहा है और अपराध व नशे के चंगुल में फंस रहा है। जो राज्य कभी दूसरे प्रदेशों के लोगों को भी रोजगार देने में सक्षम था, वो आज खुद के युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार भले ही आंखें मूंदकर बैठी हो। लेकिन एक हरियाणवी, एक राजनीतिज्ञ, जिम्मेदार विपक्ष और एक इंसान होने के नाते उन्हें रोज-रोज होने वाली हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, फिरौती, चोरी और अपहरण की वारदातों को देखकर पीड़ा होती है।  

उन्हें कोरोना महामारी के दौरान हॉस्पिटल बेड, ऑक्सीजन और दवाईयों के अभाव में मरते हुए लोगों को देखकर निश्चित ही पीड़ा महसूस हुई। जिन लोगों ने सरकारी बदइंतजामी की वजह से अपने परिजनों को खो दिया, उन लोगों का दर्द देख कर उन्हें अत्यंत पीड़ा हुई। लोगों की कराह और उनका दु:ख देखकर पीड़ा होना एक मानवीय गुण है। क्या मुख्यमंत्री या सत्ता में बैठे हुए लोगों में ऐसी मानवीय संवेदना नहीं है? 


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Content Writer

Isha

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