मानवाधिकार आयोग ने व्यक्तिगत उपस्थिति पर लगाई रोक, जवाब या ऑब्जेक्शन ई-मेल पर भेजने के दिए निर्देश
punjabkesari.in Saturday, Jan 15, 2022 - 02:57 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए मानवाधिकार आयोग ने कई महत्वपूर्ण बदलाव करने का निर्णय लिया है। जिसमें व्यक्तिगत उपस्थिति पर लगभग रोक लगाते हुए अपने पक्ष को ईमेल पर भेजने की अनुमति दी है। इस बारे मानवाधिकार आयोग के सदस्य दीप भाटिया ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले कुछ दिनों से लगातार कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। जिस वजह से न्याय प्रणाली में भी बदलाव करने की एक मजबूरी सामने दिखाई पड़ी। हमारे पास समन वाले या हियरिंग के लिए जो लोग व्यक्तिगत पहुंचते थे अब इसकी आवश्यकता नहीं है। अब संबंधित व्यक्ति अपनी ऑब्जेक्शन या जवाब ईमेल पर भेज सकते हैं। अगर आयोग इसकी आवश्यकता समझेगा तो हालात सामान्य होने के बाद उन्हें बुलाकर अपना पक्ष रखने का अवश्य मौका दिया जाएगा। हम उनके डाक्यूमेंट्स- साक्ष्यों व ईमेल के माध्यम से जो भी उचित लगेगा वह फैसला लेंगे।
भाटिया ने बताया कि कुछ मसलों में व्यक्तिगत सुनवाई के बाद ही कुछ निर्णय लेना संभव होता है। उन मामलों में अवश्य कुछ डिले होगा। लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसी जरूरत नहीं होती। इसीलिए तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए हमने व्यक्तिगत उपस्थिति को रोकने का फैसला लिया है। आयोग के चेयरमैन जस्टिस एसके मित्तल इस पूरे मामले पर पूरी पैनी नजर बनाए हुए हैं। समय-समय पर मामले की समीक्षा की जा रही है। जरूरत के अनुसार आगामी फैसले लिए जाएंगे। व्यक्तिगत उपस्थिति को रोकना एक आवश्यक फैसला था। इस मौके पर भाटिया ने भविष्य की संभावनाओं के अनुसार वर्चुअल हियरिंग की संभावना पर भी मुहर लगाते हुए कहा कि आगामी हालातों को देखते हुए आयोग के चेयरमैन के दिशा-निर्देश अनुसार ऐसा भी संभव है कि कोई व्यक्ति अगर अपने विचार रखना चाहता है तो हम वर्चुअल हियरिंग भी करवा सकते हैं।
इस मौके पर दीप भाटिया ने लगातार सोशल मीडिया इत्यादि पर वैक्सीनेशन के खिलाफ दुष्प्रचार पर बोलते हुए कहा कि दुनिया के सभी देशों में अपने नागरिकों को वैक्सीन लगाई जा रही है। जिस प्रकार से हमारे देश में इतनी बड़ी आबादी को मैनेज करके टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, यह केंद्र और राज्य सरकारों का एक बड़ा सराहनीय काम रहा है और वैक्सीन कोई एक-दो दिन में तैयार नहीं की गई, हर मापदंड पर खरा पाने के बाद विश्व स्तर के विशेषज्ञों की राय के बाद वैक्सीन लगाने का फैसला किया गया। यह सच है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी बीमारी में शत-प्रतिशत कारगर साबित नहीं होती।वैक्सीन लगवाने के बाद भी कुछ लोगों को कोरोना की शिकायत दोबारा से होने की भी सूचनाएं आ रही हैं। लेकिन यह भी सच है कि वैक्सीनेट हुए लोगों पर इस संक्रमण का ज्यादा प्रभाव नहीं देखा गया।
वैक्सीन का इस प्रकार से दुष्प्रचार होना समाज के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इस प्रकार की महामारी से लड़ना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है। क्योंकि इस संक्रमण को रोकने के लिए चैन में से छूटा एक व्यक्ति भी समाज के लिए नुकसानदायक साबित ना हो इसलिए शत प्रतिशत वैक्सीनेशन जरूरी है। दुनिया का कोई भी इलाज शत प्रतिशत कारगर नहीं हुआ और भविष्य में ऐसी संभावनाएं भी नहीं है। इसीलिए यह गलत होगा कि हम इस वैक्सीन को धुत्कार दे या छोड़ दें। इस वैक्सीन के कारण बहुत बड़ी जनसंख्या अपने आप का बचाव कर सक रही है। बहुत से लोग इस बीमारी से लड़ पा रहे हैं। इसीलिए इसका दुष्प्रचार रोकना चाहिए।
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