चाइल्ड मैरिज और पुलिस जांच में थर्ड डिग्री के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएगा मानवाधिकार आयोग : दीप भाटिया

punjabkesari.in Tuesday, Dec 20, 2022 - 09:46 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): मानव के अधिकारों की सुरक्षा- रक्षा और आम जनमानस को उचित न्याय देने की व्यवस्था में अहम रोल निभाने के लिए 2012 में गठित किया गया हरियाणा मानवाधिकार आयोग किस प्रकार से कार्य कर रहा है ? किस प्रकार की ताकत लोकतांत्रिक प्रणाली में उन्हें दी गई और आगामी रूपरेखा आयोग की क्या रहेगी ? इन कई महत्वपूर्ण विषयों को लेकर हरियाणा मानवाधिकार आयोग के सदस्य दीप भाटिया से पंजाब केसरी की विशेष बातचीत हुई। जिसमें उन्होंने खास तौर पर पुलिस विभाग द्वारा आमजन के साथ किए जाने वाले उत्पीड़न को लेकर कई प्रकार के मामलों बारे बताया। उन्होंने आयोग के पास भेजी जाने वाली शिकायतों की सही जानकारी शिकायतकर्ता को ना होने के कारण सुनवाई न होने की भी बात बताई। इस महत्वपूर्ण विषय पर हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं :-

 

प्रश्न:- मानव के अधिकारों की रक्षा - सुरक्षा हेतु मानवाधिकार आयोग का गठन हुआ, कसौटी पर कितना खरा उतरा है आयोग, क्या मानते हैं  ?

उत्तर:- हरियाणा मानवाधिकार आयोग का गठन 2012 में हुआ। लगभग काम करते हुए लगभग 10 वर्ष हो चुके हैं। आम आदमी के हितों की रक्षा करने के लिए- मानवाधिकारों को सुरक्षित करने के लिए जो भी हमारे पास शिकायतें आती हैं, हम उसमें एक इफेक्टिव रोल अदा करते है। आयोग के दखल के कारण बहुत से मामलों में हरियाणा पुलिस द्वारा एक सख्त कार्रवाई समय-समय पर देखने को मिली है। जिस प्रकार से पुलिस स्टेशन और चौकियों में अंग्रेजों के समय जैसे हालात चल रहे थे, अब उनमें काफी बदलाव आया है। केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं में क्या सुधार होने चाहिए, किस प्रकार से आम आदमी को रिलीफ मिलना चाहिए, इसमें भी हमारी सक्रिय भूमिका हमेशा रहती है। चाहे बीपीएल का मुद्दा हो या सरकारी योजनाओं को मिलने वाले लाभ या सरकारी रिफंड में आ रही आम आदमी की दिक्कतों में दखल का मामला हो, हमने वह किया है और हमेशा सरकार का भी सकारात्मक रुख सामने आया है। लोगों को समय-समय पर फायदा दिलवाने को लेकर हम जागरूकता मिशन की तरफ से कदम बढ़ाते रहते हैं। बहुत से हमने काम किए हैं और आगे भी कुछ और नया शुरू करने को लेकर हम योजना पर काम कर रहे हैं।

 

प्रश्न:- लठ से माउस पर आई पुलिस पर आज भी थर्ड डिग्री के आरोप समय-समय पर लगते रहते हैं, इस पर आपका क्या रुख है ?

 उत्तर:- आपके सवाल में एक खुद ही जवाब छुपा हुआ है कि कहीं-कहीं ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, यानी पहले से काफी कमी आई है। इसमें कोई शक भी नहीं है कि इस प्रकार के हैं गंभीर मसले हैं, हाल ही में एक मामला सीआईए पुलिस से संबंधित सामने आया था, जिसमें उन्होंने एक व्यक्ति को उठाया और हवालात में ही वह व्यक्ति मृत हो गया था। पोस्टमार्टम में उसके शरीर पर 22 इंजरी पाई गई। हमने उस की ज्यूडिशरी इंक्वायरी करवाई। गहनता से जांच की और सरकार से साढ़े 7 लाख का कंपनसेशन देने को भी कहा और संबंधित पुलिसकर्मियों पर तुरंत प्रभाव से एफआईआर दर्ज करने के साथ-साथ सख्त कार्रवाई के लिए बोला। अभी भी ऐसे मामले आ रहे हैं लेकिन संख्या कम हुई है। सामने आने पर हम ना केवल ज्यूडिशरी इंक्वायरी करवाते हैं, बल्कि जहां भी गलत लगता है कठोर कदम उठाए जाते हैं। दोषी पुलिसकर्मियों को किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाता। काफी अंतर आया है। हाल ही में जांच अधिकारियों समेत पुलिस अधिकारियों को मानवाधिकार दिवस पर हमने बुलाकर एक प्रतियोगिता रखी थी। जिसमें मानवाधिकार को लेकर हुई चर्चा में जिलेवार चयन भी किए। इस प्रकार से हम समय-समय पर जागरूकता को लेकर कार्यक्रम करते रहते हैं।

 

 प्रश्न:- प्रदेश की विभिन्न जेलों में भी बड़े हादसे कई बार सामने आए हैं, उस पर आयोग का क्या स्टैंड है ?

 उत्तर:- हरियाणा की लगभग सभी जेलों में हम इंस्पेक्शन कर चुके हैं। मूलभूत सुविधाएं हर किसी को जेल में मिले इस पर हमारा मुख्यत फोकस रहता है। मेडिकल फैसिलिटी और खाने को लेकर हम समय-समय पर दिशा निर्देश देते रहते हैं और पहले से काफी सुधार हमें नजर भी आया है। जेल में टॉर्चर इत्यादि की बात सामने आने पर हम इसे गंभीरता से लेते हुए सख्त आदेश भी जारी करते हैं।

 

 प्रश्न:- जेलों में गैंगवार से निपटने के लिए किस प्रकार से आयोग काम करता है ?

 उत्तर:- गैंगवार से निपटने के लिए एक बड़ी योजना की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है। हमने हाई रिस्क वाले कैदियों को जेलों में अलग-अलग रखने का सिस्टम तैयार किया है ताकि 2 गैंग के गुर्गे एक साथ इकट्ठे ना हो पाए। एडमिनिस्ट्रेटिव लेवल पर भी  प्रयास समय-समय पर किए जाते हैं।

 

 प्रश्न:- टॉर्चर के बाद डेथ इत्यादि की घटनाओं को लेकर आयोग का क्या नजरिया है ?

 उत्तर:- जेलों में मृत्यु 2 तरह से होती हैं, पहली सुसाइड जो मेंटल प्रेशर के कारण अधिकतर सामने आती है। दूसरी मेडिकल सुविधा ना मिल पाने के कारण, गैंगवार के कारण या फिर टॉर्चर के कारण होती हैं। उसमें हरियाणा सरकार ने हमारे कहने पर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया। एक महत्वपूर्ण पॉलिसी भी बनाई गई कि ऐसी दिक्कत में परिवार को आर्थिक मदद 5 लाख रुपए की देने की भी योजना है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस फैसले की सराहना करते हुए हर प्रदेश को ऐसी पॉलिसी लागू करने के भी निर्देश दिए हैं। एक दिन में सब कुछ नहीं बदलता। धीरे-धीरे काफी सुधार हो रहे हैं।

 

 प्रश्न:- आमतौर पर बिसरा रिपोर्ट समय पर ना आने के कारण फैसले काफी हद तक प्रभावित देखे जाते हैं, क्या कहेंगे ?

उत्तर:- यह सही है कि एफ़एसएल में डिले होने के कारण आगे ट्रायल में समस्या उत्पन्न होती है। सरकार प्रयासरत है कि ओर लैबोरेट्री बनाई जाए। लेकिन बहुत सी टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत इसमें रहती है। इस विषय को लेकर हमने भी पेंडेंसी ऑफ रिपोर्ट को घटाने की बात कही है ताकि एफएसएल में उतना ही समय लगे जितना लगना चाहिए।

 

प्रश्न:- आपके पास ज्यादा शिकायतें किस विभाग से संबंधित पहुंचती हैं ?

उत्तर:- आमतौर पर लगभग 50 फीसदी शिकायतें पुलिस विभाग से ही संबंधित होती है। बाकि अन्य विभागों में बीपीएल कार्ड संबंधी यानि सोशल वेलफेयर विभाग व लेबर विभाग से संबंधित भी शिकायतें काफी हद तक होती हैं।

 

 प्रश्न:- क्या मानवाधिकार आयोग के पास जुडिशल पावर भी हैं ?

उत्तर:- हम सीपीसी में सम्मनिंग की पावर रखते हैं। मानवाधिकार की रिकमेंडेशन केवल रिकमेंडेशन ही नहीं होती, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने जब इलाहाबाद में वह चीफ जस्टिस थे, एक बड़ी जजमेंट  डिटेल में दी थी कि मानवाधिकार आयोग की रिकमेंडेशन को डायरेक्शन माना जाए, लेकिन अभी तक हरियाणा सरकार को भी हमने जो रिकमेंडेशन कभी भी भेजी हैं ऐसा कभी नहीं हुआ कि उन्होंने उस केस को कभी वापस भेजा गया हो। सभी को सरकार ने असेपट भी किया और उस पर पूरी इंप्लीमेंट भी किया गया।

 

 प्रश्न:- क्या पुलिस विभाग द्वारा आपकी डायरेक्शन पर कभी कोताही इत्यादि बरती गई या कभी रिस्पांस ना दिया गया हो ?

 उत्तर:- सबसे अधिक डायरेक्शन पुलिस ही मानती है। अन्य विभागों की तुलना में ऐसा जरूर होता है कि 1-2 केसों में कुछ और समय की मांग कर ली गई हो। लेकिन अधिकतर पहले ही नोटिस पर रिप्लाई आता है। चार-पांच सालों में पुलिस विभाग में बहुत सुधार देखा गया है। रिपोर्ट आने के बाद हम कितने संतुष्ट हैं, वह हमारे ऊपर निर्भर है। लेकिन पुलिस पूरी तरह से गंभीरता से लेती है। समय पर रिप्लाई करती है और रिप्लाई पर संतुष्ट है या नहीं, यह ज्यूडिशली मैटर है।

 

 प्रश्न:- आगामी समय में मानवाधिकार आयोग का रोडमैप क्या रहने वाला है ?

उत्तर:- जागरूकता को लेकर बहुत सी चीजों पर हम नया प्लान कर रहे हैं। मानवाधिकार के बारे में हर व्यक्ति को पूरा ज्ञान हो, यह हमारी यह चाहत है। लेकिन बहुत सी शिकायतों में हमने पाया है कि बिना तथ्यों के आधारित शिकायतें या फिर प्रधानमंत्री- राष्ट्रपति- मुख्य चीफ जस्टिस को भेजी गई शिकायतों में कॉपी टू करके हमारे पास भी शिकायत भेजी जाती है। ऐसे मामलों को हम पिकअप नहीं कर सकते। क्योंकि यह पहले ही किसी और अथॉरिटी को भी मार्क की जा चुकी होती है। कई बार कोर्ट में पहले से विचाराधीन मामले भी हमारे पास भेज दिए जाते हैं। अपनी शिकायतों के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है। केवल हमारे पास ही तथ्यों के साथ कोई शिकायत पहुंचे, जिसमें मानवाधिकार के उल्लंघना हो, हम उस पर एक बड़ा स्टैंड लेने को हमेशा तैयार रहते हैं।

 

 प्रश्न:- आने वाले समय में क्या खास निर्णय आयोग लेने वाला है ?

उत्तर:- चाइल्ड मैरिज को रोकने को लेकर जागरूकता मिशन और पुलिस जांच थर्ड डिग्री (टॉर्चर) की बजाय साइंटिफिकली हो, इस पर हम लगातार ना केवल आम जनता को बल्कि पुलिस अधिकारियों को भी जागरूक करने में एक बड़ा कार्यक्रम चलाने जा रहे हैं। जांच अधिकारियों और इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारियों को समझाने के लिए हम सेमिनार का भी आयोजन करेंगे।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan

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