पिछले साल की तुलना में GST में 49 फ़ीसदी व वैट कलेक्शन में 19 फ़ीसदी का हो चुका इजाफा : अनुराग

punjabkesari.in Sunday, Nov 21, 2021 - 11:05 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : प्रदेश के खजाने को भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला विभाग आबकारी एवं कराधान पिछले 2 साल से लगातार कोरोना की मार झेल रहा था। जिस कारण विभाग की कलेक्शन काफी प्रभावित हुई थी। आज स्थिति लगभग नॉर्मल हो चुकी है। पहले के मुकाबले प्रदेश का यह महत्वपूर्ण विभाग कितना उभर पाया है ?

इसे जानने के लिए एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेट्री अनुराग रस्तोगी से पंजाब केसरी ने महत्वपूर्ण बातचीत की। साथ ही अनुराग रस्तोगी प्रदेश के महत्वपूर्ण खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का भी नेतृत्व कर रहे हैं। उनसे इस साल हुई धान की खरीद ? किसानों को धान की पेमेंट और पिछले साल हुए पेडी घोटाले जैसे मामले दोबारा ना हो पाए विभाग ने किस प्रकार के कदम इस बार उठाए ? साथ ही राशन डिपो धारकों की आमदनी बढ़ाने के लिए विभाग किस प्रकार के प्रयास कर रहा है इन सभी विषयों पर भी बातचीत की गई। जिसके कुछ आपके सामने प्रस्तुत हैं :-

प्रश्न : बीती कोरोना की दो लहरों का आपके आबकारी एवं कराधान विभाग पर कितना असर रहा ?
उत्तर : 
निसंदेह पिछला साल मुश्किलों से भरा रहा।रेवेन्यू पर काफी भारी प्रभाव पड़ा। इस साल अब आकर कुछ स्थिति नॉर्मल बन पाई है। अब टैक्स कलेक्शन काफी अच्छी चल रही है और एक्साइज के कलेक्शन की स्थिति भी ठीक है।


प्रश्न : पिछले सालों की तुलना में टैक्स कलेक्शन की स्थिति इस बार क्या है ?
उत्तर : 
जीएसटी और वैट दोनों में ही पिछले साल की तुलना करें तो स्थिति काफी बेहतर है। पिछले साल अब तक 9770 करोड़ के कलेक्शन थी। जो कि इस साल 14530 करोड़ के करीब हो चुकी है। पिछले साल की तुलना में 49 फ़ीसदी के लगभग ज्यादा है और एक्साइज में भी पिछले साल लगभग 4200 करोड़ की अब तक की रिकवरी हुई थी। इस बार 5000 करोड़ के करीब रेवेन्यू प्राप्त हो चुका है। यह स्थिति काफी अच्छी है। साल के अंत तक इनमें और अच्छी इंप्रूवमेंट होगी।

प्रश्न : क्या धान की खरीद पूरी हो चुकी है ?
उत्तर : 
धान की खरीद पूरी कर ली गई है। 15 तारीख को खरीद बंद हो गई थी। हमने इस बार लगभग सवा 55 लाख टन की खरीद की है जो कि लगभग पिछले साल के ही बराबर है। पिछले साल से लगभग सवा लाख टन कम है। कुल धान का 98 फ़ीसदी मिलर्स को डिस्पैच किया जा चुका है। जो कि मिलिंग करके सरकार को वापिस देंगे।

प्रश्न : धान की खरीद कम होने का आखिर कारण क्या माना जा सकता है ?
उत्तर : 
पिछले साल और इस साल लगभग खरीद बराबर हुई है। उससे पिछले साल से अगर तुलना करें तो यह देखकर समझ में आता है कि आसपास के प्रदेशों से धान आ रही थी। लेकिन पिछले साल और इस साल में जो सवा लाख टन का अंतर आया है वह इस कारण से लगता है कि बाहर के किसान जो पोर्टल के मुताबिक रजिस्टर्ड करके पिछले साल लाए थे हमने इस बार उस की परमिशन नहीं दी। इस कारण से यह अंतर माना जा सकता है।

प्रश्न : धान की पेमेंट की स्थिति क्या है ?
उत्तर : 
डिस्पैच हुई धान में से 98 फ़ीसदी की पेमेंट हम किसानों को कर चुके हैं।

प्रश्न : पिछले साल कई मिलर्स के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए। मिलर्स के साथ रिश्तो को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा किस प्रकार के कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर : 
हम भी नहीं चाहते कि मिलर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी पड़े। हमने इसके लिए इस बार सिस्टम को डिवेलप किया है। जिसमें हम पहले दिन से ही रिपोर्टिंग शुरू कर देंगे। मैं सभी जिलों के डीएफएससी की एक मीटिंग ले चुका हूं। रिपोर्टिंग फॉर्मेट में हर रविवार को मुझे पूरी सूचना दी जाएगी। मैं महीने में कम से कम एक मीटिंग अवश्य लूंगा। मैंने 18 तारीख को एक मीटिंग ले ली है और 6 दिसंबर को अगली मीटिंग की तारीख निश्चित कर दी है। हम रिव्यू करेंगे। जिस भी मिलर्स से हमें टाइम पर राइस नहीं मिलेगा उसके खिलाफ जो भी कार्यवाही हमें करनी होगी तभी कर लेंगे। बजाय इसके कि हम तीन-चार महीने बैठे रहे और तब पता चले कि उसके पास तो धान उपलब्ध ही नहीं है। 

प्रश्न : परिवार पहचान पत्र के माध्यम से कई विभागों की अनियमितताएं पाई गई है। क्या राशन कार्डों में भी किसी प्रकार की अनियमितता सामने आई ?
उत्तर : 
हमारा जो ए.वाई.वाई. और बी.पी.एल. फैमिली का 11 लाख 41 हजार परिवारों का पीडीएस डाटा है उसे जब हमने पीपीपी के डेटाबेस से मैच करने की कोशिश की है तो उसमें अभी तक पीपीपी डेटाबेस में 10 लाख 60 हजार ही मैच हो पाए हैं। 60-70 हजार फैमिली या तो पुरानी है या कहीं और शिफ्ट हो गई हैं या और भी कोई कारण हो सकता है। इस पर अल्टीमेटली एक्शन होगा और वह कार्ड बंद हो जाएंगे।

प्रश्न : क्या राशन डिपो धारकों की आमदनी को बढ़ाए जाने पर भी कोई विचार किया जा रहा है ?
उत्तर : 
सरकार द्वारा 2 साल पहले उनका कमीशन बढ़ाया गया था। अब हम कुछ और चीजें भी इसमें जोड़ने की कोशिश में है। बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे डाबर, हिंदुस्तान लीवर, मैरिको, कोका कोला इत्यादि के प्रोडक्ट को हम जोड़ने की कोशिश में है। कॉन्फेड के माध्यम से सस्ते रेट पर डिपो होल्डर को देंगे और जिसे वह मार्केट रेट से थोड़ा सस्ता गांव में बेचेंगे। जिससे गांव वालों और डिपो होल्डर दोनों को फायदा होगा। आने वाले समय में हम कुछ डिपो होल्डर को सीएससी का काम भी करवाने के प्रयास में हैं। जिससे सीएससी का प्रॉफिट और कमीशन दोनों मिलाकर अच्छा जीवन बिता सकें।

प्रश्न : सीएससी को सरल भाषा में समझाएं ?
उत्तर : 
आज गांव में कोई भी ऑनलाइन कंप्यूटर संबंधी काम करवाने जाते हैं उसे कॉमन सर्विस सेंटर बोलते हैं। जो कि पूरे प्रदेश में लगभग 20000 सेंटर है।

प्रश्न : फ्री राशन वितरण योजना कब तक चलेगी ?
उत्तर : 
दूसरी लहर शुरू होने पर केंद्र सरकार द्वारा नवंबर तक यह स्कीम चलाने का फैसला किया गया था। अब नवंबर का महीना चल रहा है और कुछ ही दिनों में यह रिपोर्ट आ जाएगी कि केंद्र इस फैसले को आगे बढ़ा रहा है या नहीं। 


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Content Writer

Manisha rana

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