रूस में हुई थी कैथल के युवक की मौत, डेढ़ महीने बाद लौटा शव...परिवार बोला- जबरन फौज में भर्ती किया था
punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 02:39 PM (IST)

कैथल (जयपाल रसूलपुर): : कैथल जिले के थाना सीवन क्षेत्र के गांव जनेदपुर के 22 वर्षीय युवक कर्मचंद पुत्र देशराज का विदेश जाने का सपना उसकी मौत के साथ ही समाप्त हो गया। जर्मनी जाने की चाह में उसने एक एजेंट पर भरोसा किया, लेकिन एजेंट ने उसे जर्मनी की जगह रूस भेज दिया। वहां उसे रूस की सेना में भर्ती कर दिया गया, और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया। युद्ध के दौरान 6 सितंबर को बम गिरने से कर्मचंद की मौत हो गई। करीब डेढ़ महीने बाद 17 अक्तूबर को उसका पार्थिव शरीर भारत लौटा और 18 अक्तूबर को गांव में अंतिम संस्कार किया गया। पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है।
एजेंट ने ‘जर्मनी’ कहकर भेजा रूस
कर्मचंद 7 जुलाई को एक एजेंट के माध्यम से विदेश गया था। परिवार के अनुसार, बिट्टू पुत्र मुलखा राम निवासी कागंथली नामक एजेंट ने उसे 8 लाख रुपये लेकर जर्मनी भेजने का वादा किया, लेकिन धोखे से रूस भेज दिया। वहां एजेंट के संपर्कों के जरिए उसे रूस की सेना में भर्ती करवा दिया गया। कुछ ही दिनों में उसे युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया, जहां 6 सितंबर को एक बम विस्फोट में उसकी मौत हो गई।
टेलीग्राम पर मिला मौत का संदेश
परिजनों को कर्मचंद की मौत की जानकारी करीब 13 दिन बाद 19 सितंबर को मिली। रूस आर्मी में साथ सेवा कर रहे एक सैनिक ने टेलीग्राम ऐप के माध्यम से कर्मचंद के चाचा के बेटे को संदेश भेजकर उसकी मौत की सूचना दी। इसके बाद परिवार ने स्थानीय प्रशासन, विदेश मंत्रालय और भारत सरकार के माध्यम से रूस सरकार से संपर्क किया। लम्बी प्रक्रिया के बाद 17 अक्तूबर को पार्थिव शरीर गांव जनेदपुर पहुंचा।
ग्रामीणों ने दी नम आंखों से अंतिम विदाई
18 अक्तूबर की सुबह जब कर्मचंद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो हर आंख नम हो गई। ग्रामीणों, दोस्तों और परिवारजनों ने गमगीन माहौल में उसे अंतिम विदाई दी। शव यात्रा के दौरान पूरा गांव “कर्मचंद अमर रहे” के नारों से गूंज उठा। गांव के मौजूदा पंचायत सदस्य होने के नाते कर्मचंद सामाजिक रूप से काफी सक्रिय था। वह गांव के विकास कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था और युवाओं में लोकप्रिय था।
पुलिस ने एजेंट के खिलाफ केस दर्ज किया
परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने बिट्टू पुत्र मुलखा राम निवासी कागंथली के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। परिवार का कहना है कि एजेंट ने 8 लाख रुपये लेकर जर्मनी भेजने का झांसा दिया, लेकिन धोखे से रूस भेजकर उसकी जिंदगी दांव पर लगा दी।
“देश के लिए लड़ा, शहीद का दर्जा दिया जाए”
कर्मचंद के पिता देशराज और माता सुनीता ने कहा कि उनका बेटा भारत के लिए सेना में भर्ती होना चाहता था, लेकिन चयन न होने पर उसने विदेश में जाकर अपने सपने को पूरा करने की ठानी। दुर्भाग्यवश वह रूस की सेना में भर्ती होकर विदेशी धरती पर युद्ध का हिस्सा बना और वहीं अपनी जान गंवा बैठा।
परिजनों ने भारत और हरियाणा सरकार से मांग की है कि चूंकि कर्मचंद ने युद्ध में हिस्सा लेते हुए अपनी जान गंवाई है, इसलिए उसे “शहीद” का दर्जा दिया जाए। साथ ही सरकार से परिवार को आर्थिक सहायता और उसकी अविवाहित बहन को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
“भारतीय सेना में भर्ती न हो सका तो रूस चला गया”
गांव के लोगों का कहना है कि कर्मचंद बेहद होनहार और देशभक्त युवक था। वह शुरू से ही भारतीय सेना में भर्ती होना चाहता था, लेकिन बार-बार प्रयास करने के बावजूद सफलता नहीं मिली। सेना में जाने की चाह पूरी न हो पाने के कारण उसने विदेश जाकर इस सपने को पूरा करने का निश्चय किया। किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह सपना उसकी मौत का कारण बन जाएगा।
गांव में पसरा सन्नाटा, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
कर्मचंद के परिवार में उसके माता-पिता और दो बहनें हैं। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है जबकि छोटी बहन अभी अविवाहित है। परिवार पर इकलौते बेटे की मौत ने गहरा सदमा पहुंचाया है। गांव के लोग अब भी इस घटना को लेकर दुखी हैं और एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।