एस्टेट ए-ब्लॉक की स्ट्रीट लाइटें बनी खटारा, नहीं ले रहा कोई सुध, सरकारी आदेश हुए हवाहवाई

punjabkesari.in Wednesday, Jan 15, 2020 - 01:25 PM (IST)

जींद (संदीप) : अर्बन एस्टेट-ए ब्लॉक की स्ट्रीट लाइटें खराब होकर बिल्कुल खटारा हो चुकी हैं और इनकी स्थिति अब इतनी बदत्तर हो चुकी है कि ये बिजली के खम्भों पर नामलेवा ही लटकती नजर आ रही हैं जिनकी यहां नगर परिषद सहित कोई सुध लेने वाला नहीं है। नगर परिषद की लापरवाही के चलते स्ट्रीट लाइटों के नाम पर सिर्फ इनके जंग लगे खोल और डंडे ही नजर आ रहे हैं।

इनकी ट्यूब, स्टार्टर व चॉक इनसे अलग होकर लटक रहे हैं तो कवर सिरे से ही गायब हैं जबकि सरकार इन पुरानी ट्यूब लाइटों की जगह नई एल.ई.डी. लाइटें लगाने पर जोर दे रही है और इन्हें उतार कर इनकी जगह नई एल.ई.डी. लाइटें लगाने के दिशा-निर्देश भी जारी कर चुकी है लेकिन यहां सरकार के इन आदेशों के कोई मायने नजर नहीं आ रहे हैं। इस प्रकार यहां सरकारी आदेश हवा हवाई हो रहे हैं। सरकारी आदेश कई साल बीतने के बावजूद भी यहां की लाइटों को नहीं बदला गया है। शहरभर में जगमगाहट के नाम पर नगर परिषद अपना ढिंढोरा तो आए दिन खूब पीटती रहती है लेकिन धरातल पर कुछ होता दिखाई नहीं देता और सबकुछ इसके विपरीत ही नजर आता है।

सर्दियों में दिन छोटे होने के चलते शाम को जल्दी अंधेरा छा जाता है और रातें भी लम्बी होती हैं ऊपर से स्ट्रीट लाइटों की हालत दयनीय होने से पूरी रात अर्बन एस्टेट ए ब्लॉक की वीरानी गलियों में अंधेरा छा जाता है, जबकि शहर की अविकसित कालोनियों और कच्ची गलियों का तो ओर भी बुरा हाल है जो रात के समय खंडहर बन जाती हैं। अर्बन एस्टेट-ए ब्लॉक निवासी बलबीर सिंह नैन ने बताया कि वो अपने मकान नं. 1227 के सामने जर्जर हुई स्ट्रीट लाइट की नगर परिषद के शिकायत रजिस्टर में दर्ज कर चुके हैं। इसके बावजूद नगर परिषद प्रशासन उनकी लाइट की सुध नहीं ले रहा है, जबकि यहां एकदम तिकोना मोड़ है। 

उन्होंने बताया कि उनके मकान के सामने नगर परिषद के अधीन बड़े पार्क की लाइटों को भी कालोनीवासी स्वयं अपने खर्चे एवं बलबूते पर खुद बदलवाते हैं और ठीक करवाते हैं, जबकि वो नगर परिषद प्रशासन से इस पार्क में पौधों के मध्य छोटी-बड़ी रंगीन आधुनिक खूबसूरत लाइटें लगाने की भी मांग कर चुके हैं, लेकिन नगर परिषद प्रशासन पर उनकी मांग का कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। गौरतलब है कि नगर परिषद स्ट्रीट लाइट रखरखाव का हर वर्ष ठेका देती है, लेकिन इनके रखरखाव के नाम पर नगर परिषद प्रशासन से मिलीभगत कर सिर्फ फर्जी बिल बनते हैं और पास होते हैं।


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Isha

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