आयुष मेडिसिन प्लांट बोर्ड के सुस्त रवैए को देख विज ने अधिकारियों को लगाई फटकार, दिए कई कड़े निर्देश

punjabkesari.in Monday, Feb 12, 2024 - 04:29 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : प्रदेश में आयुष विभाग के कायाकल्प और उत्थान को लेकर ली गई बैठक में आयुष मंत्री अनिल विज ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। लंबे समय से मेडिसिन प्लांट बोर्ड के निष्क्रिय और सुस्त रवैए की जानकारी मिलने के बाद अनिल विज ने कई कड़े निर्देश दिए हैं।

दरअसल पिछले लंबे समय में बोर्ड द्वारा केवल 100 किसानों को ही एक-एक घंटे की ट्रेनिंग मेडिसिन गार्डन तथा इसकी फसल से होने वाले भारी लाभ बारे दी गई है। जिसे सुन काफी हैरान हुए विज ने कहा कि बेहद उपयोगी बोर्ड का कार्य मात्र इतना ही है। प्रदेश सरकार जहां किसानों को चावल  इत्यादि से हटकर दूसरी फसलों की ओर ले जाकर किसानों की आमदनी बढ़ाने की नई-नई नीतियां बना रही है, वहीं इतना महत्वपूर्ण बोर्ड शांत बैठा है। उन्होंने कहा कि मेडिसिन गार्डन किसानों को आर्थिक रूप से जहां मजबूत करेगा वही एक गरीब को सस्ता - उपयोगी और बिना नुकसान वाली औषधि दवाइयां प्राप्त होगी। इतने महत्वपूर्ण कार्य में इस कदर निष्क्रियता बेहद अचंभित कर देने वाली है।

अनिल विज ने कहा कि एक तरफ बाबा रामदेव इस कार्य में लगातार गति देते हुए आगे बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकारी विभाग व बोर्ड बिल्कुल शांत कैसे बैठे हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए अधिक से अधिक किसानों को इस कार्य की ट्रेनिंग देने और विभाग के साथ जोड़ने की बात कही। साथ ही अनिल विज ने सभी सरकारी दफ्तरों जिनके पास काफी जमीन खाली पड़ी है जिनका उपयोग मेडिसिन प्लांट गार्डन लगाने के लिए किया जा सकता है उन्हें पत्र लिखकर इसके लिए आवेदन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बहुत से विभागों के पास काफी काफी जमीन खाली पड़ी है जिसका उपयोग किसी भी तरह से नहीं किया जा रहा इसका प्रयोग आयुष विभाग कर सरकारी खजाने में भी लाभ पहुंचाएं और अधिक से अधिक किसानों को मेडिसिन प्लांट से होने वाली अधिक आमदनी बारे जागरूकता मिशन चलाया जाए ताकि किसान गेहूं, चावल या अन्य फसलों की बजाय मेडिसिन प्लांट की खेती करके अच्छा जीवन जिएं।

देश में औषधीय पौधों से बनी दवाओं का 8000 करोड रुपए का है बाजार

बता दे कि औषधीय पौधा वह पौधा होता है जिसके एक या अधिक अंगों में ऐसे पदार्थ होते हैं जिनका उपयोग चिकित्सय प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है। भारत में औषधीय पौधों से बनी दवाओं का 8000 करोड रुपए का बाजार है जो कि वर्तमान में लगभग 80 फ़ीसदी ही औषधीय पौधे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त हो पाते हैं। लगातार जंगलों की हो रही कटाई और इन औषधि दवाओं की बढ़ती मांग के कारण केवल प्राकृतिक स्त्रोतों से पूर्ति नहीं की जा सक रही। जिससे इन औषधि दवाइयां के दामों में भी काफी बढ़ोतरी हो रही है। जबकि अगर भारतीय किसान अगर इसमें रुचि लें तो जहां उनके मुनाफे में काफी बढ़ोतरी होगी, वहीं प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ रोगियों को सस्ती दवाएं प्राप्त हो पाएंगी। इस खेती से बड़ा मुनाफा कमाया जाना एक आसान बात है।

कई प्रदेश सरकारों ने मेडिसिन प्लांट्स की खेती के माध्यम से किसानों को बनाया है सक्षम

हालांकि बहुत से किसान औषधीय पौधों की खेती को अपना रहे हैं। कई प्रदेशों में शुगर में बेहद लाभदायक साबित होने वाली स्टीविया की खेती कर रहे हैं। लेमन ग्रास जिसके तेल से सौंदर्य के उत्पाद बनाए जाते हैं, लेमन टी बनाई जाती है इसकी खेती  बड़ी मात्रा में राजस्थान में की जा रही है। शतावर- अश्वगंधा की लगातार बढ़ती मांग और इसके लाभ को देखते हुए कई प्रदेशों की सरकारें अपने किसानों को इसके लिए जागरुक कर रही हैं। हरियाणा में अभी तक की सरकारों ने इस ओर कोई खास ध्यान नहीं दिया।

हालांकि प्रदेश के कुछ क्षेत्र कुछ औषधीय पौधों के नजरिए से बेहद अनुकूल है। हरियाणा का मोरनी क्षेत्र जो एकमात्र अगर कहें कि प्रदेश के पास पहाड़ी क्षेत्र है उसमें अदरक और हल्दी का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जा सकता है। मोरनी क्षेत्र की हल्दी का सिक्का सदा से रहा है। लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण इस क्षेत्र के किसानों को ज्यादा जागरूकता नहीं मिल पाई। जहां अदरक कई औषधीय गुणों से भरपूर है वहीं हल्दी एक बेहद बेहतरीन एंटीबायोटिक औषधि है। अर्जुन की छाल हृदय रोगियों के लिए काफी लाभदायक दवा है जो कि हरियाणा की धरती इसके लिए बिल्कुल अनुकूल भी है। अगर पूर्व में रही प्रदेश सरकारें इसकी ओर जरा सी भी गंभीरता दिखाती तो हरियाणा के किसान मोटा मुनाफा इस खेती के माध्यम से कमा सकते थे। मौजूदा आयुष मंत्री अनिल विज लगातार विभाग के सुदृढ़ीकरण को लेकर कई फैसले ले चुके हैं, विभाग में कई स्तरों पर शुद्धिकरण भी देखा गया है। लगातार विभाग में रिक्त पड़े पदों की नियुक्तियां की जा रही हैं, वहीं प्राचीनतम प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों को हर जिले- ब्लॉक और ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने की योजनाएं तैयार की जा चुकी हैं। जिसका बड़ा लाभ जल्द ही प्रदेश की जनता को मिलना सुनिश्चित हो चुका है।

 

 


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Content Writer

Manisha rana

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