लोन रिकवरी : कब्जे के समय सुरक्षा से लैस रहेंगे बैंक अधिकारी, लागू कराएंगे अदालत के आदेश

punjabkesari.in Saturday, Feb 15, 2020 - 04:15 PM (IST)

चड़ीगढ़ (धरणी) : हरियाणा में अब बड़े बैंक डिफाल्टर लोन चुकाने में आनाकानी नहीं कर पाएंगे। लोन रिकवरी मामलों में डिफाल्टरों की संपत्तियों पर कब्जे के समय बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों को सरकार सुरक्षा कवर मुहैया कराएगी। प्रदेश सरकार ने सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 14 के तहत चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के आदेशों पर तेजी से अमल कराने का फैसला लिया है।

चंडीगढ़ में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में वित्त विभाग के उच्च अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। समिति ने सरकार ने डिफाल्टरों के लोन की रिकवरी कराने में मदद मांगी थी। वित्त विभाग की सचिव जी कोमल किशोर ने बैठक में मामला उठने पर बताया कि रिकवरी में सरकार मदद कराएगी। सभी जिलों के डीसी को पत्र लिखकर रिकवरी में सहयोग करने के लिए कहा जाएगा। इसके अलावा सुरक्षा भी सुनिश्चित कराएंगे।

मुंबई हाईकोर्ट ने बीते वर्ष सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 14 के तहत चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के आदेशों को लागू कराते समय बैंक एवं वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों को पुलिस सुरक्षा एवं सहायता मुहैया कराने के ड्राफ्ट को मंजूरी दी है। महाराष्ट्र सरकार ने उस ड्राफ्ट को लागू करते हुए पुलिस को दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने मुंबई हाईकोर्ट के निर्णय व महाराष्ट्र सरकार के सरकुलर को आधार बनाते हुए सरकार को पत्र भी लिखा है। जिसमें सरकुलर को हरियाणा में भी लागू करने की मांग की गई है।

समिति के चेयरमैन राजेश कुमार यदुवंशी के अनुसार वित्त विभाग ने सिक्योरिटी के तौर पर रखी गई संपत्तियों पर कब्जे के दौरान सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया है। उम्मीद है कि जल्दी इस संबंध में डीसी और एसपी को सरकार की ओर से निर्देश जारी हो जाएंगे। इससे बैंकों को अदालतों के निर्णय अनुसार लोन रिकवरी करने में काफी मदद मिलेगी। प्रदेश में इस तरह के सैकड़ों मामले लंबित हैं।

सरकुलर मेंं प्रावधान
. पुलिस आयुक्तों और एसपी को बैंकों के मांगने पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल मुहैया कराना होगा।
. संबंधित थाना क्षेत्र के इंस्पेक्टर पुलिस सहायता मुहैया कराएंगे। ऐसा करने से वे मना नहीं कर सकेंगे।
. संबंधित क्षेत्र के इंस्पेक्टर कब्जे के लिए निर्धारित तिथि से दस दिन पहले एडवोकेट कोर्ट कमिश्नर से संवाद स्थापित कर पुलिस सुरक्षा बल की संख्या के बारे में जानेंगे।
. इंस्पेक्टर को निर्धारित तिथि से पहले सुरक्षा मुहैया कराने के अपने फैसले को समय पर बताना होगा ताकि आगामी कार्रवाई की जा सके।
. सुरक्षा मुहैया कराने पर पुलिस अधिकारी लोन और सिक्योरिटी दस्तावेज की न तो कॉपी मांगेंगे न ही उसे सत्यापित करेंगे।
. बैंक अधिकारियों, डिफाल्टर कर्जदार व अन्य व्यक्ति की स्टेटमेंट भी पुलिस को रिकार्ड नहीं करनी होगी।
. संपत्ति पर कब्जे में पुलिस को बैंक अधिकारियों का साथ देना होगा और जरूरत पडऩे पर बल प्रयोग की भी अनुमति रहेगी।
. बैंक अधिकारियों को कब्जा लेने के दौरान की वीडियो रिकॉर्डिंग कर कोर्ट को सौंपनी होगी।
. पुलिस सहायता मुहैया कराने की फीस विभाग संबंधित बैंक से वसूल करेगा, जिसे ट्रेजरी में जमा कराना होगा। 

 

 


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Isha

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