पैसा कमाने शहर आया परदेसी, बन गया बेसहारा जानवरों का मसीहा

punjabkesari.in Monday, Aug 31, 2020 - 01:18 PM (IST)

हिसार : अक्सर लोग रोजगार की तलाश में कुछ कमाने के लिए गांव से शहर आते है। ऐसा ही सोचकर राजस्थान के छोटे से गांव सुरतपूरा का 12वीं पास राहताश भी 13 साल पहले रोजगार की तलाश में हिसार आया था। उसने यहां पर गायों की दुर्दशा देखा तो  उसके जीवन का मकसद ही बदल गया। आज रोहताश सड़को पर बेसहारा घूमते गौवंश, स्ट्रीट डॉग से लेकर बंदरों तक का मसीहा बन गया है। गृहस्थी से दूर अब रोहताश ने इन बेसहारा जानवरों की सेवा को ही खुद के जीवन का उद्देश्य बना लिया है। पिछले 13 साल में गौसेवक रोहताश हजारों की संख्या में पशुओं, जानवरों का इलाज कर चुके है। 

समाजसेवियों के सहयोग से चल रहा है सेवा काम
रोहताश ने बताया कि पहले वह गौवंश में जाकर घायल पशुओं का इलाज करता था। इसके बाद उसे लगा कि सड़कों पर जो गौवंश व जानवर किसी कारण से घायल हो जाते है उनको इलाज की सबसे ज्यादा देखभाल की जरुरत होती है क्योंकि उनका इलाज कोई नहीं करता। इसके बाद उन्होंने अपने पास मौजूद कुछ पैसों से पट्टूी व दवाइयां खरीद कर ये काम शुरु किया था। लगातार शहर में पहचान बढ़ने लगी तो लोगों के फोन भी ज्यादा आने लग गए। अब एक दिन में कई-कई पशुओं व जानवरों का इलाद करते है।

रोहताश ने बताया कि उनके पास डॉक्टरी की कोई डिग्री नहीं है, इसके लिए वह अकसर पशु चिकित्सकों से संपर्क करके उनके बताए अनुसार इलाज करते है। शहर के कई समाजसेवी उनको दवाइयां खरीदने के लिए पैसा देते है इसके अलावा कुछ मैडिकल संचालक भी फ्री में दवाई उपलब्ध करवाते है। इलाज के लिए आज तक उन्होंने किसी से पैसे की मांग नहीं की है। 

स्ट्रीट डॉग के इलाज के लिए सैंटर खोलना है मकसद
रोहताश ने बताया कि घायल कुत्ते का इलाज करना ज्यादा समस्या भरा काम होता है। एक बार पट्टी करने के बाद कई बार कुत्ते अक्सर वहां से भाग जाते है जिसके चलते उनकी पूरा इलाज नहीं हो पाता। वह ऐसे जानवरों के इलाद के लिए एक स्थाई सैंटर खोलना चाहते है, जहां पर कुछ दिन तक कुत्ते, बंदरों को रखा जा सके और पूर्ण इलाज के बाद उनको छोड़ा जा सके। 
   


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Manisha rana

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