तोता पालते-पालते कर बैठे सांपों से प्यार, जानकार मिले तो बुलाते हैं प्रो.शर्मा सांपों वाले

punjabkesari.in Sunday, Feb 16, 2020 - 01:22 PM (IST)

हिसार(राठी): हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो. डा. हेमराज शर्मा अपनी शैक्षणिक योग्यताओं व रिसर्च की उपलब्धियों के अलावा सांपों के प्रति प्रेम के लिए भी जाने जाते हैं। कुछ जानकार उन्हें प्रो शर्मा सांपों वाले के नाम से भी पुकारते हैं।

वानप्रस्थ संस्था की एक मीटिंग में उन्होंने अपने 75वें जन्मदिन पर स्वयं ही अपने इस शौक का खुलासा किया। लुधियाना जिले में जगराओं के पास एक गांव में जन्मे हेमराज शर्मा ने बी.एससी. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से की। एम.एससी. व पीएच.डी. हिसार से की और यही पर सॢवस की।  रिटायर्ड होने के 15 साल बाद भी वे कृषि विश्वविद्यालय के साथ पी.पी.पी. मोड की योजना से जुड़ कर बायो फॢटलाइजर्स पर काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि वे एक विधा का अनुभव लेने के बाद कोई नया शौक ढूंढ लेते हैं। हर इंसान की कोई हॉबी होनी चाहिए, जिंदगी बोर नहीं लगेगी।

रिसर्च के अलावा भी हैं शौक
1984 में स्थापित पहले उत्पादकता पुरस्कार सहित अनेक सम्मान पाने वाले डा. हेमराज शर्मा अध्यापन और रिसर्च के अलावा और भी अनेक शौक रखते हैं। अपने कुछ विद्याॢथयों के साथ मिलकर उन्होंने स्पैक्ट्रम क्लब बनाया है जो पौधारोपण जैसे जनोपयोगी कार्यक्रम चलाता है। जाने-माने पेंटर कलाकार सचदेव मान व एक अन्य मित्र के साथ उन्होंने हिसार से जयपुर फिर वहां से दिल्ली व वापस हिसार तक साइकिल यात्रा की जो एक अनूठा अनुभव था। पेंटिंग, लेखन, नाटक, फोटोग्राफी व एथलैटिक्स भी उनके शौक रहे हैं। डा.शर्मा का कहना है, बचपन से लेकर मृत्यु तक आदमी अनेक प्रकार से लकड़ी का उपयोग करता है।

हर इंसान को इसका हिसाब लगाकर कम से कम इतने पेड़ तो लगाने ही चाहिए जितने वह उपयोग करता है।हाथ में सांप लेकर पहुंच गए थे डीन के कमरे में डा.शर्मा ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि बेसिक साइंस कालेज के पीछे  बायो फॢटलाइजर लैब बनी थी। रात तक काम करते थे। झाडिय़ां थीं। सांप निकलते थे, लोग मार देते थे।

मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता था। मैंने स्नेक्स आफ  इंडिया नाम की किताब पढ़ी और सांपों की प्रकृति के बारे में समझा। फिर एक मैंने चार फुट लम्बा कोबरा सांप पकड़ लिया और उसे डीन के कमरे में ले गया। मेरे हाथ में सांप देखकरसब हैरान थे। फिर मैंने उसे दूर जंगल में छोड़ दिया। उसके बाद यूनिवॢसटी कैम्पस में जहां भी सांप निकलता, मुझे बुला लेते और मैं उसे पकड़कर दूर छोड़ आता। अभी तक मैंने लगभग 150 सांपों को बचाया है। हालांकि डा. शर्मा को एक समय तक तोते पालने का भी शौक रहा।

रात भर करते थे लैब में काम 
डा. शर्मा ने बताया कि आजकल तो 5 बजे लैब पर ताले लग जाते हैं। हम रात को भी काम करते थे और कई बार तो लैब में ही स्लैब पर सो जाते थे। उन्होंने बताया कि बी.एससी. एग्रीकल्चर में दाखिला तो मिल गया पर खरगोश काटना और प्रयोग करना उनके लिए मुश्किल था। वृंदावन से आए स्वामी महेशानंद ने मुझे समझाया कि तेरा काम पढऩा है। पाप पुण्य का हिसाब छोड़ कर बस पढ़ाई में ध्यान लगा। तब मेरी पढ़ाई आगे चली।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Isha

Recommended News

Related News

static