मुख्यमंत्री के बयान पर गरमाई सियासत, सैलजा बोली- जनता की सुरक्षा नहीं कर सकते तो दे दो इस्तीफा

punjabkesari.in Thursday, Aug 03, 2023 - 03:40 PM (IST)

चंडीगढ़ : हरियाणा के नूंह में हुए दंगों के बाद विपक्ष सरकार को बार-बार घेर रहा है। लेकिन अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस बयान हर व्यक्ति की सुरक्षा न पुलिस और न ही आर्मी कर सकती है, के बाद प्रदेश की सियासत और गरमा गई है। विपक्ष ने सीएम मनोहर लाल के इस बयान की आलोचना की है।

कुमारी सैलजा का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री प्रदेश के हर व्यक्ति की सुरक्षा नहीं कर सकते तो फिर उन्हें सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए। फिर जनता जिसके हाथों में खुद को सुरक्षित महसूस करती होगी, उसे चुन लेगी। प्रदेश की जनता ने इन्हें इस उम्मीद के साथ सत्ता सौंपी थी कि संकट के समय उनकी जान-माल की रक्षा करेंगे।

सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान किसी भी हरियाणवी को स्वीकार नहीं है कि हर व्यक्ति की सुरक्षा न पुलिस और न ही आर्मी कर सकती है जबकि हकीकत तो यह है कि पौने तीन करोड़ हरियाणवियों की सुरक्षा की जिम्मेदार प्रदेश सरकार है। यह प्रदेश सरकार को देखना है कि वह अपने नागरिकों को कैसे सुरक्षित रख पाती है और कानून व्यवस्था के प्रति उनमें कितना विश्वास पैदा कर पाती है। उन्होंने कहा कि अगर 9 साल के साल के बाद अब मुख्यमंत्री यह कह रहे हैं कि वह प्रदेश के लोगों को सुरक्षा नहीं दे सकते तो उनके दिवालियापन की निशानी है। यहां रह रहे लोगों की सुरक्षा और भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का इन्हें कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री का बयान हरियाणा के भविष्य से खिलवाड़ करने जैसा है।


बिना किसी विवाद के पुलिस की एक भी भर्ती नहीं कर पाई प्रदेश सरकार 


उन्होंने कहा कि यदि 9 साल के शासन के दौरान प्रदेश सरकार बिना किसी विवाद के पुलिस की एक भी भर्ती नहीं कर पाई है। जब भी इन्होंने पुलिस की भर्ती की, तो इनकी गलतियों, लिस्टों में हेराफेरी, भर्ती के दौरान प्रक्रिया व भर्ती नियम बदलने की वजह से वह हाईकोर्ट में जाकर अटक गई। इस सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि उसने प्रदेश के पुलिस बल की संख्या में कितना इजाफा किया। सैलजा ने कहा कि आज पूरा प्रदेश बिगड़ी कानून-व्यवस्था को लेकर भयभीत है, जबकि मुख्यमंत्री अपना पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं। ऐसे में जब उनसे प्रदेश नहीं संभल रहा तो फिर कुर्सी से क्यों चिपके हुए हैं, उन्हें तुरंत प्रभाव से त्यागपत्र देना देना चाहिए। इसके बाद जनता खुद तय कर लेगी कि प्रदेश की कमान किन हाथों में सौंपनी है।

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Content Writer

Manisha rana

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