पंजाब विश्वविद्यालय में प्रो जगदीश आनंद के सम्मान में किया कार्यक्रम

punjabkesari.in Saturday, Mar 02, 2024 - 06:55 PM (IST)

 चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी):  पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा जे.सी. आनंद के सम्मान और उनकी याद में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज मुंबई के प्रोफेसर मनीष झा द्वारा 8वां वार्षिक मेमोरियल व्याख्यान दिया गया। जिसके शीर्षक 'राजनीतिक अभ्यास के रूप में लोकलुभावनवाद: सामाजिक न्याय और सामाजिक नीतियों की पूछताछ' ने विश्वविद्यालय विभिन्न विभागों के छात्रों - शिक्षकों व प्रोफेसर आनंद के प्रतिष्ठित छात्रों व अन्य गणमान्य लोगों को खूब आकर्षित किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण के रूप में विभाग की अध्यक्ष प्रो पम्पा मुखर्जी ने जिम्मेदारी निभाई। कार्यक्रम में 2016 के दौरान तत्कालीन विश्वविद्यालय के कुलपति अरुण ग्रोवर के दौरान स्मारक व्याख्यान श्रृंखला के बारे में भी बात की गयी। इस शुभ अवसर पर प्रोफेसर आनंद की बेटियां सुश्री उर्वशी गुलाटी, सुश्री केशनी आनंद अरोड़ा व उनके परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर रुमिना सेठी, डीन यूनिवर्सिटी इंस्ट्रक्शंस मौजूद रही। इस कार्यक्रम के व्याख्यान की अध्यक्षता प्रोफेसर आशुतोष कुमार द्वारा की गई। व्याख्यान के लिए मंच तैयार करते हुए, प्रोफेसर सेठी ने लोकलुभावनवाद से जुड़े दो अर्थों के बीच अंतर किया अर्थात् समाज के वंचित वर्गों के लिए समतावादी कल्याण नीतियों के रूप में लोकलुभावनवाद और एक दुश्मन के खिलाफ निर्देशित सामाजिक भावनाओं को भड़काने की राजनीतिक कला के रूप में लोकलुभावनवाद। उन्होंने समकालीन पोस्ट-ट्रुथ युग में बाद के खतरों के प्रति आगाह करते हुए, इस शब्द के पहले अर्थ की वकालत की।

कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर झा के व्याख्यान ने वैश्विक और राष्ट्रीय संदर्भ में लोकलुभावनवाद और लोकलुभावन राजनीति की परिभाषा, अर्थ और अभिव्यक्ति को रेखांकित किया। उन्होंने तर्क दिया कि लोकतंत्र में, लोकलुभावनवाद का उद्देश्य आम लोगों को प्रतिनिधि राजनीति के माध्यम से अभिजात वर्ग का मुकाबला करने का मौका देना है। चूंकि यह लोकप्रिय इच्छा के विचार में निहित है, इसलिए यह खुद को किसी भी विचारधारा के साथ जोड़ने में सहज है जो व्यापक रूप से बहुसंख्यकों को आकर्षित कर सकती है। इसलिए लोकलुभावनवाद की विभिन्न किस्मों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है, और समकालीन संदर्भ में इसका तात्पर्य अकादमिक क्षेत्र में वामपंथी और दक्षिणपंथी लोकलुभावनवाद के बीच किए गए सामान्य अंतर से परे जाना है।

 इस मौके पर प्रोफेसर झा ने इस बात की सराहना करते हुए कहा कि लोकलुभावनवाद जनता तक सीधी, बिना मध्यस्थता वाली पहुंच वाले करिश्माई नेताओं पर निर्भर करता है, उन्होंने लोकलुभावनवाद के विभिन्न रूपों में देखे गए नेतृत्व गुणों और संचार रणनीतियों के विभिन्न रूपों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उनका व्याख्यान विशेष रूप से भारत के हिंदी पट्टी में राजनीतिक अभ्यास के इतिहास पर केंद्रित था, जिसमें जाति के माध्यम से 'सामाजिक न्याय' (सामाजिक न्याय) के विचार ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने उन तरीकों पर प्रकाश डाला जिनसे कल्याण और सामाजिक न्याय के विचारों को लागू किया जाता है और परिवर्तित किया जाता है।

 बता दें कि जगदीश आनंद पंजाब यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर थे। आनंद परिवार मूल रूप से रावलपिंडी जो फिलहाल पाकिस्तान का हिस्सा है, का रहने वाला था जो साल 1947 में बंटवारे के दौरान भारत आ गया था। प्रोफेसर आनंद की तीन आईएएस तीन बेटियां हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी रह चुकी हैं। बड़ी बेटी मीनाक्षी आनंद चौधरी 1969 बैच की आईएएस अफसर थी जिसे हरियाणा की पहली महिला चीफ सेक्रेटरी बनने का गौरव हासिल हुआ। बाद में उनकी दूसरी बेटी उर्वशी गुलाटी 1975 बैच की आईएएस अफसर भी हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी के पद पर पहुंची। मीनाक्षी हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी के पद से साल 2005 में रिटायर हुई। साल 2012 तक उर्वशी हरियाणा सरकार की चीफ सेक्रेटरी रही। साल 2019 में केशनी आनंद अरोड़ा हरियाणा सरकार की चीफ सेक्रेटरी बनी। इसके साथ ही उन्होंने एक रिकॉर्ड बना दिया कि एक परिवार की तीन बेटियों ने हरियाणा सरकार के सर्वोच्च पद पर सेवाएं दी। केशनी अरोड़ा हरियाणा सरकार के चीफ सेक्रेटरी के पद पर 15 महीने तक रही। साल 1983 में केशनी ने यूपीएससी एग्जाम में पूरे भारत में दूसरा स्थान हासिल किया था। केशनी की दूसरी बहन उर्वशी गुलाटी ने रिटायरमेंट के बाद हरियाणा में चीफ इनफॉरमेशन कमिश्नर के पद पर भी काम किया था। 

 


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Content Writer

Isha

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