धनदाताओं की बजाय अन्नदाताओं के बारे में सोचे सरकार: राजन राव

punjabkesari.in Tuesday, Dec 15, 2020 - 08:20 PM (IST)

गुरुग्राम (गौरव): हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष कुमारी शैलजा के राजनीतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने कहा कि कड़कड़ाती ठंड में देश का अन्नदाता खुले आसमान के नीचे सड़क पर है और केंद्र की भाजपा सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन ने लोगों को अंग्रेजी हुकूमत की याद दिला दी है। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्या पर मोदी सरकार को हठधर्मिता छोड़कर राजधर्म का पालन करना चाहिए, लेकिन सरकार अपने धन दाताओं के चक्कर में देश के अन्नदाता को भुला रही है। 

उन्होंने कहा कि छह दौर की वार्ता के बाद भी किसानों की समस्या का समाधान करने में सरकार नाकाम रही है। जब किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं तो सरकार बार बार संशोधन का राग क्यों आलाप रही है? सरकार को यह भली भांति पता है कि किसान कानूनों को निरस्त कराने से कम पर मानने वाले नहीं है तो बार बार बातचीत का ढोंग रच कर क्यों किसानों और देश की जनता को परेशान कर रही है?

राजन ने कहा कि जब किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं तो इन कानूनों को तत्काल निरस्त क्यों नहीं कर रही? किसान इन काले कानूनों को निरस्त करने की ही मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार कभी किसी बात तो कभी किसी बहाने से किसानों की गुमराह करना चाहती है। किसानों ने अभी तक पूरा संयम बरता है, लेकिन सरकार किसानों को संयम छोड़ने पर मजबूर करना चाहती है। 

सरकार की मंशा किसी भी तरह आंदोलन को बदनाम करने की है। अपने ही लोगों को आंदोलन में शामिल कर सरकार उनसे उल्टे सीधे कार्य करा यह साबित करना चाहती है कि यह आंदोलन किसानों का नहीं है। सरकार के तमाम हथकंडे विफल हो चुके हैं। पूरा देश सरकार की मंशा को समझ चुका है। इसलिए सरकार को हठधर्मिता छोड़कर तत्काल किसानों की बात मान लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा देश के अन्नदाता का अपमान कर रही है। 

किसानों का धैर्य कभी भी जवाब दे सकता है। उससे पहले सरकार को कानूनों को निरस्त करने का फैसला कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली और दिल्ली के चारों ओर सडक़ों पर बैठे किसानों के बीच जाने का समय प्रधानमंत्री के पास नहीं है लेकिन वो मुंबई जाकर मुकेश अंबानी को पौत्र जन्म की बधाई दे सकते हैं। देश इस मानसिकता को देख भी रहा है और समझ भी रहा है। इससे पहले कि माहौल अराजक हो, किसानों का धैर्य जवाब दे, सरकार को तीनों कानूनों को रद्द कर देना चाहिए।


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vinod kumar

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