डेरे में खेती करना चाहता है राम रहीम, जेल प्रशासन के आगे लगाई पैरोल की अर्जी

punjabkesari.in Friday, Jun 21, 2019 - 03:15 PM (IST)

रोहतक (दीपक भारद्वाज): डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने रोहतक जेल प्रशासन से पैरोल की गुहार लगाई है। दरअसल राम रहीम ने खेती बाड़ी करना चाहते है जिसके लिए पैरोल की अर्जी लगाई है। उन्होंने कहा कि वह अपने खेतों में फसल उगाना चाहते हैं क्योंकि उनकी जमीन बंजर हो रही है। जिसके चलते जिला प्रशासन ने सरकार को अर्जी भेजी है और सिरसा प्रशासन से इस बारे में राय की रिपोर्ट मांगी है कि हार्डकोर सजा के चलते राम रहीम को पैरोल देने सही होगा या नहीं।

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बता दें कि राम रहीम सुनारियां जेल में यौन शोषण मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे है। जहां करीब दो साल से जेल में बंद हैं। ऐसा पहली बार है कि राम रहीम ने सिरसा स्थित जमीन पर खेती के लिए पैराल की मांग की है। वहीं सुनारियां जेल में भी राम रहीम माली का काम करते हैं और आलू, गाजर, मूली सहित कई सब्जियां उगाते हैं। जानकारी के अनुसार डेरासच्चा सौदा के पास सिरसा में लगभग 700 एकड़ भूमि है, जिसमें 150 एकड़ में बाग हैं, 250 एकड में खेतीबाड़ी की जाती है तो 60 एकड़ में एलोविरा उगाया जाता है वहीं  50 एकड़ में सब्जियां लगाई जाती है।

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रोहतक जेल अधीक्षक की ओर से इस संबंध में सिरसा जिला प्रशासन से अपना तर्क देने के लिए पत्र लिखा गया है। जेल प्रशासन ने सिरसा प्रशासन से पूछा है कि क्या कैदी नंबर 8447 गुरमीत राम रहीम को पैरोल देना उचित होगा या नहीं? सिरसा प्रशासन को अपनी रिपोर्ट रोहतक आयुक्त को भेजने को कहा गया है। रोहतक जेल प्रशासन ने सिरसा प्रशासन को बताया है कि कैदी गुरमीत सिंह का जेल में आचरण अच्छा है और उसने जेल में कोई अपराध भी नहीं किया है।  पत्र में बताया गया है कि डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह सीबीआई कोर्ट द्वारा यौन शोषण व हत्या के मामले में सजायाफ्ता है। कैदी अपनी सजा का एक वर्ष पूर्ण कर चुका है तथा उसने अपनी हिस्ट्री टिकट भी प्राप्त कर ली है। कैदी गुरमीत राम रहीम सिंह हरियाणा राज्य का है। इसलिए वह संसोधित पैराल अधिनियम 2012 व 2013 के अंतर्गत हार्डकोर श्रेणी में नहीं आता।

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पैरोल बारे मांगी गई सिफारिश में डेरा प्रमुख पर सीबीआई कोर्ट द्वारा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में भी दोषी करार दिए जाने के अलावा दो अन्य मामले लंबित होने का भी उल्लेख किया गया है। सिरसा प्रशासन की रिपोर्ट के बाद ही रोहतक जेल प्रशासन गुरमीत राम रहीम को पैरोल देने पर फैसला लेगा। वैसे प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो गुरमीत राम रहीम को पैरोल देने की सिफारिश नहीं की जाएगी। इसके लिए कानून व्यवस्था का हवाला दिया जाएगा। गुरमीत के जेल से बाहर आने पर सिरसा में कानून व्यवस्था कायम रखने में दिक्कत पेश आएगी साथ ही 24 घंटे उसकी निगरानी रखना प्रशासन के लिए बहुत मुश्किल होगा।

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बता दें कि डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर अभी भी दो केस सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन हैं। इनमें रणजीत सिंह की हत्या व साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का केस शामिल है। वहीं साधुओं के अंडकोष निकालने के मामले में डेरा मुखी को जमानत मिली हुई है। पंचकूला सीबीआई द्वारा डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को 25 अगस्त 2017 को साध्वी यौन शोषण का दोषी करार दिया गया था। इसके बाद सिरसा व पंचकूला में  डेरा अनुयायी हिंसा पर उतारू हो गए। सिरसा में डेरा अनुयायियों ने कई स्थानों पर आगजनी की और सुरक्षा बलों पर हमला किया गया था। सिरसा को बचाने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलियां चलाई जिसमें छह उपद्रवियों की गोली लगने से मौत हो गई थी।

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वहीं इस मामले में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति का कहना है की आरोपी राम रहीम को पैरोल की याचिका का विरोध करते है, सरकार और प्रसाशन से यही मांग करते है की ऐसे अपरधी के खिलाफ किसी तरह नरमी नहीं बरतनी चाहिए क्योकि 25 अगस्त 2017 को राम रहीम को सजा सुनाने के बाद जिस तरह पंचकूला व सिरसा में जिस तरह से मौत का तांडव व आगजनी हुई थी इसको देखते हुए सरकार को सीख लेनी चाहिए।
 


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Naveen Dalal

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