BJP और Congress दोनों का खेल बिगाड़ेंगे बागी, बड़े नेताओं की अपील पर भी नहीं छोड़ा मैदान
punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2024 - 05:17 PM (IST)
चंडीगढ़चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा में मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही चुनावी समर भी काफी रोचक होता जा रहा है। एक ओर जहां बीजेपी हैट्रिक लगाकर लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ रही है।
वहीं, कांग्रेस भी 10 साल से झेल रहे सत्ता का बनवास खत्म करने के साथ बीजेपी को प्रदेश की सत्ता से बेदखल करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है। इसी के चलते हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से अधिकांश सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन सत्ता के इस रण में इस बार कांग्रेस और बीजेपी के लिए बागी होकर चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे उनके अपने ही खेल बिगाड़ने का कारण बन सकते हैं।
कांग्रेस और बीजेपी से बगावत कर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनावी रण में उतर चुके दोनों दलों के नेता अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों के लिए खतरा बने हुए हैं। हालांकि दोनों ही दलों के प्रमुख नेता दो दर्जन से करीब बागी नेता से उनका नामांकन वापस दिला चुके हैं। इसके बावजूद चुनावी मैदान में डटे उम्मीदवार पार्टी प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हिसार में सबसे बड़ी बगावत
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में बीजेपी में सबसे बड़ी बगावत हिसार विधानसभा सीट की मानी जा रही है। यहां पर बीजेपी के सांसद नवीन जिंदल की मां और देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरी है। यहां बीजेपी की ओर से पूर्व मंत्री डॉ. कमल गुप्ता को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया हुआ है। अब पूर्व सांसद सुभाष चंद्रा ने भी सावित्री जिंदल को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है।
रानियां से रणजीत चौटाला निर्दलीय ठोक रहे ताल
रानियां में पूर्व कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनावी रण में हैं। भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया। उन्होंने निर्दलीय ताल ठोक दी। तोशाम में पूर्व विधायक शशि रंजन परमार भाजपा की श्रुति चौधरी की परेशानी बढ़ा रहे हैं तो गन्नौर में देवेंद्र कादियान ने भाजपा के देवेंद्र कौशिक की परेशानी बढ़ा दी है।
देवेंद्र कौशिक सोनीपत के पूर्व सांसद रमेश कौशिक के भाई हैं। पूरे पांच साल तक समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत को पृथला से टिकट नहीं मिला है। वहां भाजपा ने पूर्व विधायक टेक चंद शर्मा पर भरोसा जताया है। उनके सामने नयनपाल रावत कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं, जबकि महम में राधा अहलावत, झज्जर में सतबीर सिंह और पूंडरी में पूर्व विधायक दिनेश कौशिक ने भाजपा उम्मीदवारों की चुनौती बढ़ा रखी है।
इन प्रत्याशियों ने भी बढ़ा दी भाजपा की मुश्किल
लाडवा में संदीप गर्ग भाजपा के बागी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। यहां मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी स्वयं चुनाव मैदान में हैं। भिवानी में प्रिया असीजा, रेवाडी में प्रशांत सन्नी, सफीदों में बच्चन सिंह और जसवीर देसवाल तथा बेरी में खाप के उम्मीदवार अमित अहलावत डीघल ने भाजपा प्रत्याशियों की चुनौती बढ़ा दी है। कलायत में विनोद निर्मल और आनंद राणा तथा इसराना में सत्यवान शेरा ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ाई हैं।
कांग्रेस में भी बगावत कम नहीं
कांग्रेस में भी बगावत कम नहीं है। पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा ने अंबाला में चुनावी ताल ठोंक रखी है। कांग्रेस ने हालांकि निर्मल सिंह को अंबाला शहर से उम्मीदवार बनाया हुआ है, लेकिन एक परिवार में दो टिकट नहीं होने की मजबूती के चलते चित्रा को टिकट नहीं मिला है।
अंबाला छावनी में पूर्व गृह मंत्री अनिल विज और कांग्रेस की बागी चित्रा सरवारा के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। पूंडरी में निवर्तमान निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन व सज्जन ढुल ने चुनावी ताल ठोकी है। पूंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन ने चुनाव से पहले कांग्रेस को समर्थन दिया था, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिस कारण वे निर्दलीय चुनाव मैदान में फिर से उतर गए हैं।
कांग्रेस के इन बागियों ने थामा बगावत का झंडा
कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए कलायत में अनीता ढुल, बाढ़डा में सोमवीर घसोला, पृथला में नीटू मान, कोसली में मनोज कुमार, पटौदी में सुधीर चौधरी और गोहाना में हर्ष छिक्कारा चुनौती पेश कर रहे हैं। जींद में प्रदीप गिल, उचाना में बीरेंद्र गोगड़िया, बहादुरगढ़ में राजेश जून, बरवाला में संजना सातरोड और पानीपत शहरी में पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी कांग्रेस उम्मीदवारों की राह में बड़ी बाधा बने हैं। बल्लभगढ़ में शारदा राठौर को टिकट नहीं मिल पाया है।
शारदा राठौर और कपूर नरवाल दोनों ही पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ाने वाले साबित हो सकते हैं। हालांकि दोनों ही दलों के नेता अपने-अपने स्तर पर अभी भी इन प्रत्याशियों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं, लेकिन अब नामांकन वापसी का समय खत्म होने के साथ यह सभी प्रत्याशी अपने-अपने चुनाव चिन्ह को लेकर मैदान में उतर चुके हैं। ऐसे में आगे आने वाले दिनों में चुनावी समर में मुकाबला काफी रोचक हो सकता है।