लोकसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे जींद में कौन कितने पानी में

punjabkesari.in Wednesday, Mar 13, 2019 - 11:29 AM (IST)

जींद (जसमेर): 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए बेहद अहम साबित होंगे। चुनावों में सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल इनैलो पर 2014 के लोकसभा चुनावों का प्रदर्शन दोहराने का भारी दबाव रहेगा तो जजपा के सामने खुद को जींद में एक बार फिर साबित करने की चुनौती होगी। कांग्रेस के सामने चुनौती 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के अपने दयनीय प्रदर्शन को सुधारने की रहेगी। 

2014 के लोकसभा चुनावों में जिले की 3 विधानसभा सीटों पर इनैलो प्रत्याशियों को बढ़त हासिल हुई थी तो 2 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त भाजपा को मिली थी। कांग्रेस पार्टी को एक भी विधानसभा क्षेत्र में विरोधियों पर बढ़त नहीं मिल पाई थी। इनैलो को उचाना, नरवाना और जुलाना विधानसभा क्षेत्रों में 2014 के लोकसभा चुनावों में विरोधियों पर बढ़त मिली थी तो भाजपा को जींद और सफीदों विधानसभा क्षेत्रों में इनैलो पर बढ़त हासिल हुई थी। 

अब भाजपा और इनैलो पर 2014 के लोकसभा चुनावों के अपने प्रदर्शन को दोहराने का भारी दबाव रहेगा। इसमें सबसे मुश्किल राह इनैलो की लग रही है। नरवाना से इनैलो के विधायक पिरथी नंबरदार भी जींद उप-चुनाव के बाद जजपा का दामन थाम चुके हैं। उचाना विधानसभा क्षेत्र में वैसे ही सांसद दुष्यंत चौटाला का असर बहुत ज्यादा है। इनैलो के पास केवल जुलाना में ही विधायक परमेंद्र ढुल के रूप में एक बहुत बड़ा चेहरा है।

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भाजपा पर इनैलो से भी ज्यादा दबाव 
भाजपा पर दबाव इनैलो से कहीं ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि पिछले 5 साल से भाजपा केंद्र और प्रदेश में सत्ता में है। 2014 के लोकसभा चुनाव में सोनीपत से भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक को जींद तथा सफीदों विधानसभा क्षेत्रों में इनैलो पर बढ़त हासिल हुई थी। जुलाना में रमेश कौशिक हार गए थे। उसके बाद हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में उचाना सीट भाजपा के खाते में गई। अब भाजपा पर दबाव जींद जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल करने का रहेगा। सोनीपत संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली जींद विधानसभा सीट अब भाजपा के पास है। जींद उप-चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डा. कृष्ण मिड्ढा को 13 हजार मतों के अंतर से ऐतिहासिक जीत मिली है। यह भाजपा के लिए कतई आसान नहीं होगा।

इसके अलावा 2014 में उचाना में भाजपा को विधानसभा चुनावों में जीत मिली थी जबकि लोकसभा चुनाव में इनैलो के दुष्यंत चौटाला को उचाना में जबरदस्त बढ़त हासिल हुई थी। उचाना की भाजपा विधायक प्रेमलता और केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के लिए 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में उचाना में भाजपा को लीड दिलवाने का भारी दबाव होगा। सफीदों में मिली बढ़त बरकार रखने, नरवाना और जुलाना में हुई हार को जीत में बदलने का दबाव भी लोकसभा चुनाव में भाजपा पर रहेगा। 

कांग्रेस के सामने दयनीय प्रदर्शन सुधारने की चुनौती
कांग्रेस पार्टी के लिए चुनावों में जींद जिले में प्रदर्शन को सुधारने की चुनौती रहेगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पांचों विधानसभा क्षेत्रों में से किसी में भी लीड नहीं मिल पाई थी। बाद में हुए विधानसभा चुनावों में भी जींद में कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया था। 2009 में भी विधानसभा चुनावों में जींद जिले में कांग्रेस के हाथ पूरी तरह खाली रहे थे। अब जींद उप-चुनाव में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे रणदीप सुर्जेवाला की करारी हार से जिले में कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं का मनोबल काफी गिरा हुआ है। कांग्रेस के सामने जींद जिले में अपने इस बेहद दयनीय प्रदर्शन को सुधारने की बड़ी चुनौती रहेगी।  


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Shivam

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