आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकद्दमे वापस हों: दिग्विजय सिंह चौटाला

punjabkesari.in Sunday, Nov 21, 2021 - 08:28 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : जेजेपी के रास्ट्रीय प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा है कि आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकद्दमें वापिस होने चाहिए। ये कानून हमने नहीं बनाए थे और न ही इन्हें बनाने में हमारा कोई योगदान था। लेकिन इसके बावजूद उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने मजबूती के साथ किसानों की लड़ाई केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष लड़ी। अगर हम उस समय इस्तीफा देकर अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़वा लेते तो, जो लोग हमे किसानों के नाम पर कोसते थे वो आज बिलों के समाधान होने के बाद 75 प्रतिशत रोजगार कानून, पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं की 50 प्रतिशत भागीदारी, बीसीए वर्ग को आठ प्रतिशत आरक्षण लागू न होने को लेकर दुष्यंत को टारगेट करते। लेकिन दुष्यंत चौटाला ने सूझबूझ का परिचय दिया। किसान होने के नाते उन्होंने अपना किसानी का धर्म भी निभाया और जनहित के उत्थान में तमाम ऐतिहासिक कदम भी उठाए है इसलिए कोई भी डिप्टी सीएम की कार्यशैली, नीति, नीयत पर सवाल नहीं उठा सकता। प्रस्तुत है दिग्विजयसिंह चौटाला से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:-

सवाल : केंद्र सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के फैसले को आप कैसे देखते है ?
जवाब :
 देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के पावन दिन पर किसान वर्ग को सुखद समाचार दिया है। पिछले एक साल से इन बिलों को लेकर अन्नदाता सड़कों पर आंदोलनरत थे। यह निर्णय सबके लिए खुशी लेकर आया है। किसानों के संघर्ष की जीत हुई है। मैं किसानों को बधाई देता हूं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने जनभावनाओं के अनुरूप फैसला लिया। 

सवाल : कुछ किसान संगठनों का कहना है कि जब तक उन्हें फैसला लिखित में नहीं मिलता है तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे।  
जवाब : जब देश का प्रधानमंत्री कोई बात कहता है तो उसका महत्व होता है। पीएम ने देश के नाम अपने संबोधन में यह बात कही है और इसका महत्व सभी को समझना चाहिए। अगर फिर भी वे और इंतजार करना चाहते है तो ये उनकी इच्छा है।   

सवाल : देश की आजादी के बाद यह बड़ा किसान आंदोलन था, इसे किसानों की जीत कहा जा सकता है ? 
जवाब :
 ये निश्चित रूप से किसानों की जीत है। क्योंकि लंबे समय से किसान इस विषय को लेकर संघर्षरत थे।  

सवाल : क्या पंजाब, यूपी समेत कई राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह राजनीतिक फैसला लिया गया है?
जवाब :
 देखिए सबका अपना-अपना नजरिया है और सब अलग-अलग तरह से इस फैसले को परिभाषित करेंगे। लेकिन मेरा मानना है कि यह एक बहुत अच्छा फैसला है। 

सवाल : कानून वापसी के निर्णय के बाद पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का भाजपा में शामिल होने का रास्ता और साफ होगा ?  
जवाब :
 यह फैसला पंजाब की राजनीति पर क्या असर डालेगा, यह भविष्य के गर्भ में है। कैप्टन अमरिंदर क्या फैसला लेंगे और क्या नहीं, वो उन्हें पता है। 

सवाल : चौधरी देवीलाल के वंशज होने के नाते इन कानूनों को लेकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का इस्तीफा की मांग होती थी। अगर इस्तीफा दे देते तो मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम क्या होता ?
जवाब :
 ये कानून हमने नहीं बनाए थे और न ही इन्हें बनाने में हमारा कोई योगदान था। लेकिन इसके बावजूद उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने मजबूती के साथ किसानों की लड़ाई केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष लड़ी। अगर हम उस समय इस्तीफा देकर अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़वा लेते तो, जो लोग हमे किसानों के नाम पर कोसते थे वो आज बिलों के समाधान होने के बाद 75 प्रतिशत रोजगार कानून, पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं की 50 प्रतिशत भागीदारी, बीसीए वर्ग को आठ प्रतिशत आरक्षण लागू न होने को लेकर दुष्यंत को टारगेट करते। लेकिन दुष्यंत चौटाला ने सूझबूझ का परिचय दिया। किसान होने के नाते उन्होंने अपना किसानी का धर्म भी निभाया और जनहित के उत्थान में तमाम ऐतिहासिक कदम भी उठाए है इसलिए कोई भी डिप्टी सीएम की कार्यशैली, नीति, नीयत पर सवाल नहीं उठा सकता।  

सवाल : आपने सरकार में रहते हुए किसानों की लड़ाई लड़ी लेकिन इसके बावजूद जेजेपी नेताओं को विरोध का क्यूं सामना करना पड़ा ?  
जवाब :
 असली राजनेता की यही पहचान होती है कि वे तमाम परिस्थितियों में धैर्य रखकर लग्न के साथ जनहित में कार्य करता रहे। मैं आपको खुले मन से यह बात बताना चाहूंगा कि जब हमारा विरोध हो रहा था तो हमने बड़ी जिम्मेदारी और विनम्रता के साथ एक गहने की तरह उसे स्वीकारा। हमें जहां रोक गया, हम वहां रूके और उनकी बातों को सुना क्योंकि हम अंदर ही अंदर जानते थे कि इन कानूनों पर कोई सार्थक फैसला होगा या कानून वापिस होंगे। विरोध करने वाले भी हमारे अपने थे। वो जानते है कि दुष्यंत चौटाला बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। लेकिन आप बताओ ऐसी परिस्थितियों में हमारी जगह कोई और तो क्या वो ऐसा करता ?

सवाल : पिछले एक साल में किसान आंदोलन के मसले को हल करवाने के लिए आपने क्या- क्या कदम उठाए ? 
जवाब :
 इस विषय को लेकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने पीएम मोदी से लेकर कृषि मंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्रियों से निरंतर दिल्ली जाकर मुलाकात की और इस मुद्दे को हल करवाने को लेकर चर्चा की। इनमें चाहे किसानों के साथ चर्चा के लिए केंद्र सरकार द्वारा मंत्रियों की बनाई गई कमेटी के सदस्य हो, केंद्रीय गृह मंत्री हो, इन सब से बार-बार चर्चा की और कहा कि अन्नदाता सड़कों पर है और केंद्र सरकार जल्द बातचीत के जरिये किसानों की मांग पर सौहार्दपूर्ण समाधान निकाले। दुष्यंत चौटाला चौधरी देवीलाल के सच्चे सिपाही हैं, इसके नाते उनकी बात को भारत सरकार ने समझा और एक अच्छा निर्णय लिया। 

सवाल : कुछ लोगों ने आंदोलनकारियों को आतंकवादी, देशद्रोही तक कहा, इस पर आपकी क्या राय है?
जवाब :
 जिन लोगों ऐसा कुछ कहा, वो भविष्य में इसका खामियाजा भी भुगतेंगे।    

सवाल : आंदोलन के दौरान जिन-जिन आंदोलनकारियों पर मुकद्दमें दर्ज हुए है, उन पर जेजेपी का क्या स्टैंड है ?
जवाब :
 जेजेपी की यही मांग है कि आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकद्दमें वापिस होने चाहिए और पीड़ित किसान परिवारों की आर्थिक मदद भी होनी चाहिए। पीपली लाठीचार्ज के दौरान भी हम सबसे पहले पीड़ित किसानों से मिले थे और गठबंधन सरकार का हिस्सा होने के नाते उनसे माफी भी मांगी।

सवाल : 9 दिसंबर को जेजेपी का तीसरा स्थापना दिवस है। स्थापना दिवस को लेकर पार्टी की क्या तैयारियां चल रही है?
जवाब :
 जेजेपी अपने तीसरे स्थापना दिवस के अवसर पर झज्जर जिले में रैली करने जा रही है, जो कि ऐतिहासिक रैली होगी। 9 दिसंबर को झज्जर में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में किसान-कमेरे वर्ग के लोग एकत्रित होंगे और बड़ी धूमधाम से पार्टी का स्थापना दिवस मनाएंगे। हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता रैली की तैयारियों में जुट गए है। वरिष्ठ नेताओं की जिला अनुसार ड्यूटियां भी लगा दी गई है। हम लोगों के बीच जाकर रैली का न्यौता दे रहे है।


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Content Writer

Manisha rana

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