प्रदेश में हरे रंग पर भारी हो रहा भगवा!

punjabkesari.in Friday, Jul 05, 2019 - 10:06 AM (IST)

जींद (जसमेर): प्रदेश में इन दिनों जिस तरह इनैलो विधायकों से लेकर पूर्व विधायकों,पूर्व मंत्रियों व जिला स्तर के नेता हरा रंग छोड़कर भगवा रंग में रंग रहे हैं,उससे भाजपा के लोकदलीकरण पर मोहर लग रही है। इनैलो के जिस हरे रंग की कभी भाजपा सहयोगी होती थी,आज उसी रंग पर भगवा रंग भारी पड़ रहा है। कांग्रेस भी अतीत में इसी तरह के दौर से गुजर चुकी है,जब उसका लोकदलीकरण हुआ था। 

इनैलो के 6 विधायकों के अलावा छोटे और बड़े 20 से ज्यादा नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। इनैलो के कुछ और विधायक जल्द भाजपाई होने जा रहे हैं। एक-एक कर जिस तरह इनैलो के छोटे और बड़े नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं, उससे भाजपा का लोकदलीकरण तेजी से हो रहा है। भाजपा के इस लोकदलीकरण की शुरूआत यूं तो 2014 के विधानसभा चुनावों से ही हुई थी,जब इनैलो के वरिष्ठ विधायक व वर्तमान में प्रदेश के परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार समेत कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा था।

2014 के विधानसभा चुनावों से शुरू हुई भाजपा के लोकदलीकरण की गति अब विधानसभा चुनावों से पहले तेज हो गई है। भाजपा के भगवा रंग में इनैलो के हरे रंग की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। इसे राजनीतिक क्षेत्रों में इनैलो के भाजपा में परोक्ष विलय तक का नाम दिया जा रहा है। पहले चर्चा यह थी कि इनैलो का कौन सा विधायक भाजपा में शामिल हो रहा है लेकिन अब चर्चा यह है कि इनैलो में कौन सा विधायक बचेगा। यूं तो इनैलो के 4 विधायकों ने जजपा का दामन भी थामा है लेकिन जजपा से ज्यादा इनैलो विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं। यही भाजपा के लोकदलीकरण पर एक तरह से मोहर लगा रहा है।

कभी भगवा से ज्यादा गहरा होता था हरा रंग
जिस भाजपा का तेजी से प्रदेश में लोकदलीकरण हो रहा है,वह भाजपा प्रदेश में कभी इनैलो की छोटी पार्टनर होती थी। भाजपा का जब-जब प्रदेश में इनैलो के साथ चुनावी गठबंधन हुआ,इसमें भाजपा को कभी 25 से ज्यादा सीट नहीं मिल पाईं। उस दौर में भाजपा के भगवा रंग से इनैलो का हरा रंग बहुत ज्यादा गहरा होता था। अब प्रदेश में हालात बदल चुके हैं। इनैलो के हरे रंग से ज्यादा गहरा भाजपा का भगवा रंग हो चला है जिसमें अब इनैलो का हरे रंग का विलय होता जा रहा है।

देवीलाल के शासन के अंतिम दौर में शुरू हुआ था लोकदलीकरण
प्रदेश में यह पहला मौका नहीं है,जब किसी प्रमुख दल का इस तरह से लोकदलीकरण हो रहा हो। आज जिस तरह से भाजपा का लोकदलीकरण इनैलो नेताओं के धड़ाधड़ शामिल होने से हो रहा है,ठीक वैसा ही अतीत में कांग्रेस के साथ भी हुआ था। यह दौर 1987 में प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आए चौधरी देवीलाल के शासन के अंतिम दौर में शुरू हुआ था। तब चौधरी देवीलाल के कई बड़े साथी लोकदल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

इनमें पूर्व मंत्री डा.कृपा राम पूनिया से लेकर नारनौंद से कई बार लोकदल टिकट पर विधायक बने पूर्व मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह,बेरी के लोकदल के पूर्व विधायक डा.रघुबीर कादियान,खुद चौधरी देवीलाल के छोटे बेटे और प्रदेश के पूर्व मंत्री चौधरी रणजीत सिंह,चौधरी देवीलाल के भतीजे डा.के.वी.सिंह, पूर्व मंत्री रण सिंह मान,पूर्व मंत्री बृजमोहन सिंगला,किलोई के पूर्व विधायक और अब बरोदा के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा आदि के नाम प्रमुख हैं। लोकदल से इतने नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस का एक तरह से लोकदलीकरण हुआ था।

भाजपा में एंट्री आंख मूंद कर नहीं बल्कि समान विचारधारा वालों को ही दी जा रही है : बराला 
इनैलो से भाजपा में नेताओं की धड़ाधड़ एंट्री व इससे भाजपा के लोकदलीकरण को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला का कहना है कि दूसरे दलों से नेताओं को भाजपा में एंट्री आंख मूंद कर नहीं दी जा रही। केवल उन नेताओं को भाजपा में लिया जा रहा है,जो समान विचारधारा रखते हैं तथा भाजपा के संगठन के लिए काम करने के इच्छुक हैं। बिना शर्त इनैलो या जजपा से नेताओं को भाजपा में शामिल किया जा रहा है।

बराला ने कहा कि अकेले इनैलो से ही विधायक तथा दूसरे नेता भाजपा में नहीं आ रहे बल्कि जजपा से भी कई नेता भाजपा में शमिल हुए हैं। यह अलग बात है कि जजपा से भाजपा में शामिल होने वालों की चर्चा कम हो रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सत्ता में आने के बाद भी माइक्रो मैनेजमेंट की अपनी नीति से पीछे नहीं हटी है और सत्ता उसे मेहनत के रास्ते से विचलित नहीं कर पाई है जबकि कांग्रेसी केवल 5 साल सत्ता से बाहर रहने पर ही विचलित हो गए हैं। यही भाजपा और कांग्रेस में सबसे बड़ा फर्क है। बराला का यह भी कहना है कि इनैलो,जजपा और कांग्रेस से नेताओं के भाजपा में शामिल होने से भाजपा के मिशन-75 को पूरा करने में मदद मिलेगी। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

Naveen Dalal

Recommended News

Related News

static