सुकमा नक्सली हमले में शहीद राम मेहर संधू को लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

punjabkesari.in Wednesday, Apr 26, 2017 - 11:58 AM (IST)

करनाल/सोनीपत:करनाल के खेड़ी मान सिंह गांव के शहीद राम मेहर संधू का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंच गया है। अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है। सभी ने शहीद को नम आंखों से अतिम विदाई दी। 
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आपको बता दें कि शहीद के परिवार के लोग अपने लाडले के इंतजार में कल से भूखे प्यासे बैठे हैं। लेकिन सरकार देश के शहीद बेटे के लिए एक हेलीकॉप्टर का इंतजाम नहीं कर पाई। शहीद के पार्थिव शरीर को अगर हेलीकॉप्टर के जरिए शाम ढलने से पहले गांव तक पहुंचा दिया गया होता तो मंगलवार शाम को ही शहीद का दाह संस्कार हो चुका होता।
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अब शहीद का दाह संस्कार आज सुबह गांव में किया जाएगा क्योंकि शहीद राम मेहर के पार्थिव शरीर को दिल्ली से बाय रोड़ देर रात करीब डेढ़ बजे कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में लाया गया, जहां से शहीद के शव को सुबह तड़के गांव में पूरे मान सम्मान के साथ लाया गया। आप यह सोचिए कि इतनी गर्मी में 3 दिन में पार्थिव शरीर की क्या हालत हो गई होगी ? और उस परिवार पर क्या बीत रही होगी, जिन्होंने अपने सपूत को इस देश के लिए कुर्बान कर दिया? जिन के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे?
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19 साल में 7 जगह हो चुकी है पोस्टिंग 
राममेहर सी.आर.पी.एफ. में सन 1998 में भर्ती हुआ था। उनका लगभग 20 साल की सर्विस में करीब 7 जगह पोस्टिंग हो चुकी थी। उन्होंने अपनी सर्विस कि शुरूआत सन 1998 में असम से की थी और करीब 3 साल से उनकी पोस्टिंग छत्तीसगढ़ में की थी।
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6 माह पहले आया था अवकाश पर
शहीद के भाई राजकुमार ने बताया कि करीब 6 महीने पहले एक माह के अवकाश पर घर आया था।ड्यूटी पर जाते समय सभी से मिलकर गया व अपना ख्याल रखने के लिए बोला था। किसी को क्या पता था कि वे राममेहर से अंतिम बार मिल रहे हैं। शहीद के भाई ने कहा कि कुछ दिन पहले ही कंपनी पर नक्सलियों का हमला हुआ था लेकिन राममेहर कुछ दूरी पर होने की वजह से बच गया था।
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सरकार अपने जवानों को मरवा रही है:ग्रामीण
गांव के जगमाल संधू ने शहीद राममेहर की मौत के लिए सरकार को दोषी मानते हुए कहा कि सरकार अपने जवानों को मरवा रही है। उन्होनें कहा कि हमारे जवान अपने ही देश के नागरिकों द्वारा मारे जा रहे है। उन लोगों को इस बात का बहुत ही दु:ख है। संधू ने कहा कि यदि हमारा भाई पाकिस्तान के साथ सीमा पर हमले में मारा जाता तो उन लोगों को कोई दु:ख ना होता। लेकिन अपने ही देश में अपने ही लोगों द्वारा जवानों को मारा जा रहा है, इस बात का पूरे गांव के लोगों को दु:ख है। उन्होनें कहा कि सरकार को शहीद के नाम पर गांव में कोई शहीदी स्मारक या स्टेडियम बनवाना चाहिए तथा शहीद के परिवार को आर्थिक मदद के साथ साथ परिवार के सदस्य को नौकरी भी देनी चाहिए। उन्होने कहा कि सरकार को इस दिशा में कठोर कदम उठाने चाहिए ताकि हमारे जवानों की बिना वजह हत्या ना हो सके।



                         


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