पैरालंपिक: सिल्वर मेडल विजेता योगेश का बहादुरगढ़ में जोरदार स्वागत, पिता बोले- बेटे ने पूरा किया सपना

punjabkesari.in Saturday, Sep 04, 2021 - 03:28 PM (IST)

बहादुरगढ़ (प्रवीण कुमार): टोक्यो पैरालंपिक में देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी योगेश कथुनिया का बहादुरगढ़ पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। योगेश ने टोक्यो पैरालंपिक गेम्स में डिस्कस थ्रो प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल हासिल किया है। इस उपलब्धि से उनके परिजन, खेल प्रेमी और पूरे देश को नाज है। आज बहादुरगढ़ पहुंचने पर परिजनों और खेल प्रेमियों ने उनका जोरदार स्वागत किया।  

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योगेश कथुनिया ने बहादुरगढ़ पहुंचते ही सबसे पहले बालाजी मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लिया और उसके बाद परिजनों ने खुली गाड़ी में बैठाकर शहर भर में एक विजय जुलूस भी निकाला। इस मौके पर जिला उपायुक्त श्याम लाल पुनिया और बहादुरगढ़ से पूर्व विधायक नरेश कौशिक ने भी योगेश को शुभकामनाएं दी। योगेश ने टोक्यो पैरालंपिक गेम्स के डिस्कस थ्रो इवेंट में सिल्वर मेडल हासिल किया है। योगेश कल टोक्यो से दिल्ली पहुंचे थे। जहां उनके स्वागत में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।  

आज बहादुरगढ़ पहुंचने पर शहर वासियों ने उन्हें पलकों पर बिठाया और उनके स्वागत में बहादुरगढ़ शहर में विजय जुलूस निकाला गया। योगेश कथुनिया का कहना है कि वह आगे आने वाले गेम्स में अपने सिल्वर मेडल को गोल्ड में जरूर बदलेंगे। उनका अगला लक्ष्य वर्ल्ड गेम्स है। वर्ल्ड गेम्स में योगेश सिर्फ डिस्कस थ्रो में ही नहीं बल्कि शॉट पुट इवेंट में भी अपना भाग्य आजमा आएंगे। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय अपने माता-पिता और कोच को दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने सरकार द्वारा दिए गए मान सम्मान के लिए भी प्रदेश और केंद्र सरकार का धन्यवाद किया है।

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वहीं उनके पिता ज्ञानचंद का कहना है कि योगेश की इस उपलब्धि से वे उन पर गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्हें अपने बेटे पर पूरा भरोसा था कि वह 1 दिन उनका नाम जरूर रोशन करेगा और योगेश ने भी बिल्कुल वैसा ही किया। योगेश के पिता का कहना है कि आगे आने वाले समय में योगेश देश का नाम और भी ज्यादा रोशन करेगा।

योगेश के कोच नवल सिंह का कहना है कि योगेश बहुत प्रतिभावान खिलाड़ी है। कठिनाइयों से उबर कर उसने यह मुकाम हासिल किया है। ओलंपिक गेम्स में कुछ फाउल की वजह से वह गोल्ड मेडल से चूक गए, लेकिन आगे आने वाले खेलों के लिए वे जल्द ही मैदान पर उतरेंगे और देश का नाम एक बार फिर से रोशन करेंगे। 

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बता दें कि योगेश कथुनिया 2006 में पैरालाइस की वजह से चलने फिरने में असमर्थ हो गए थे। उन्होंने अपनी जिंदगी के अहम 3 साल बेड पर ही गुजारे। जिसके बाद डॉक्टरों के उचित परामर्श और परिवार की सेवा से वे उठकर खड़े होकर चलने में समर्थ हो सके। योगेश कथुनिया का परिवार भी देश सेवा के लिए हमेशा आगे रहा है। इनके दादा सेना में सूबेदार के पद से रिटायर्ड हैं। पिता भी सेना में कैप्टन के पद पर रहकर देश की रक्षा कर चुके हैं। वहीं अब योगेश ने पैरालंपिक खेलों में सिल्वर मेडल हासिल कर देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। न सिर्फ उनके परिजन बल्कि बहादुरगढ़ और पूरे देशवासियों को योगेश पर गर्व है। 
 

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Content Writer

vinod kumar

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