MBBS की फीस बढ़ाने पर बोले सुरजेवाला- गरीब के बेटा-बेटी का डॉक्टर बनने का सपना तोड़ा

punjabkesari.in Sunday, Nov 08, 2020 - 03:19 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस बढ़ाने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार ने गरीब के बेटा-बेटी का डॉक्टर बनने का सपना तोड़ा है। नया तुगलकी फरमान- सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस 40 लाख की गई है। खट्टर-दुष्यंत सरकार का युवा विरोधी चेहरा बेनकाब हुआ है। खट्टर-दुष्यंत सरकार के नए ‘तुगलकी फरमान’ ने हरियाणा के गरीब विद्यार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना तोड़ दिया है।

खट्टर सरकार आए दिन एक नया युवा विरोधी कदम उठाकर हरियाणा में अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गों और गरीबों पर नित नए प्रहार कर रही है। अभी तक एससी वर्ग छात्रवृत्ति के घोटाले की जांच पूरी नहीं हो पाई है और न ही कोई दोषी पाया गया है। उल्टा एससी छात्रों का नया वजीफा भी बंद कर दिया गया है। 

सुरजेवाला ने कहा कि इसी प्रकार से हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन में 14 से अधिक ‘पेपर लीक घोटाले’ हो चुके, जिस पर आज तक न किसी को सजा मिली और न ही कोई दोषी पाया गया। यही नहीं खट्टर सरकार ने नौजवानों की नई नौकरियों में भर्ती पर पहले संपूर्ण प्रतिबंध लगा दिया तथा घोर विरोध के बाद प्रतिबंध तो वापस ले लिया पर वास्तविकता यह है कि हरियाणा के युवाओं को सरकारी नौकरियां नहीं दी जा रही।

देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी की दर भी हरियाणा में है, जो 33.5 प्रतिशत आंकी गई है। एक तरफ सरकारी नौकरियां नहीं और दूसरी तरफ स्कूल-कॉलेजों की फीस बेतहाशा बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार ने अब सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई को अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्गों और गरीबों की पहुंच से बाहर कर दिया है। 

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आइए, इस बारे सिलसिलेवार तथ्य जानते हैं:-
हरियाणा में सरकारी मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई की फीस 53 हजार रुपए सालाना थी। इसके साथ 15-20 हजार हॉस्टल की फीस होती थी।खट्टर सरकार ने ये सालाना फीस 10 लाख रुपए साल कर दी है और 4 साल में अब यह फीस 40 लाख रुपए प्रति विद्यार्थी होगी। इस बारे 6-11-2020 को जारी किए गए नोटिफिकेशन जारी की है।

सुरजेवाला ने कहा कि यही नहीं, हर विद्यार्थी को 3,71,280 रुपए फीस अपनी जेब से देनी होगी और इसके साथ-साथ 36,28,720 रुपए लोन चुकाना होगा। इस प्रकार यह कुल राशि 40 लाख रुपए होती है। इस लोन पर 7 साल के ब्याज की राशि अगर 6 प्रतिशत सालाना के हिसाब से लगएं तो हर विद्यार्थी को लगभग 55 लाख रुपए एमबीबीएस के चार साल के लिए चुकाने होंगे।

हरियाणा में निजी मेडिकल कॉलेज में 4 साल की एमबीबीएस की फीस 15 लाख से 18 लाख रुपए है पर सरकारी मेडिकल कॉलेज में अब यह 40 लाख रुपए होगी और ब्याज सहित 55 लाख रुपए होगी। नतीजा साफ है। गरीब के बेटा-बेटी की पहुंच से एमबीबीएस की पढ़ाई बाहर हो जाएगी और एमबीबीएस की जो पढ़ाई गरीब विद्यार्थी लगभग 3 लाख रुपए में पूरी कर लेता था, उसे अब 40 लाख रुपए व ब्याज देना पड़ेगा। कारण साफ है, खट्टर सरकार सब गरीब विद्यार्थियों को प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की ओर धकेलना चाहती है ताकि वो वहां दाखिला लें और प्राइवेट कॉलेज 18 लाख फीस तथा ऊपर की कमाई कर पाएं।

खट्टर सरकार का यह निर्णय युवा विरोधी व गरीब विरोधी है तथा प्राइवेट कॉलेज की मदद के लिए किया गया है। इस षड़यंत्रकारी फैसले को बगैर किसी देरी के वापस लिया जाना चाहिए। अगर, खट्टर सरकार इसे वापस नहीं लेती तो उसे पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।


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vinod kumar

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