महापंचायत में हुआ फैसला, किसान भवन पर कब्जा करने वालों को पद से हटाकर 20 साल के लिए किया गया बैन

punjabkesari.in Sunday, Apr 09, 2023 - 10:22 PM (IST)

पानीपत (सचिन शर्मा) : किसान भवन में रविवार को एक महापंचायत का आयोजन किया गया। कईं घंटे तक सुचारू रूप से चली महापंचायत में किसान भवन के प्रधान पद को लेकर चल रहे विवाद का समाधान हो ही गया। जिले भर से महापंचायत में पहुंचे किसानों ने कड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि किसान भवन पर किसी का भी कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। इसीलिए तत्काल प्रधान सोनू मलपुरिया को उसके पद से निष्कासित किया गया और किसान भवन में 20 साल तक उसकी एंट्री पर बैन लगाया गया। क्योंकि सोनू मलपुरिया द्वारा किसान भवन के कार्यकाल को दो साल से बढ़ाकर 5 साल का किए जाने की घोषणा की गई थी। जिसका लगातार जिले के किसान विरोध कर रहे थे। आज किसानों की हुई महापंचायत में सोनू मलपुरिया व उसकी पूरी कार्यकारणी को पद से हटकर किसान भवन पानीपत का नया प्रधान चुना गया। किसान भवन का जिला प्रधान टिंकू देशवाल गांव कुराड़ (रोसनलाल) उप प्रधान सूरज भान रावल व सचिव नदीम गुज्जर डाडोला को चुना गया।

पंचायत के अध्यक्ष मांगे राम बांध ने अपने फैसले में बताया कि किसान समाज को चुनौती देने के जुर्म में, गेंहू के सीजन के बावजूद किसानों को परेशान करके नियम परम्परा विरुद्ध किसान भवन पर कब्ज़ा करने की कोशिश करने के लिये किसान भवन का असामाजिक गतिविधियों और निजी हितो के दुरूपयोग करने और 1 अप्रैल की पंचायत में बड़े बुजुर्गों का अपमान करने के लिये,  खुद के बचाव के लिये यूनियनों के बीच गुटबाजी का सहारा लेने के कारण तमाम जुर्मो में दोषी पाये जाने के लिये सोनू मालपुर व उसका साथ देने वाले पदाधिकारियों को बर्खास्त करते हुए उसपर 20 साल के लिये किसान भवन में आने पर प्रतिबंध किया गया। उसकी पूरी कार्यकारणी को भंग करते हुए उनकी एंट्री पर 10 साल के लिए बैन लगाया गया है।

भाकियू ज़िलाध्यक्ष सुधीर जाखड़ ने कहा कि आज पानीपत ज़िले के किसान समाज ने किसान भवन के इतिहास में ऐतिहासिक फैसला लिया। जिससे समाज में अच्छा सन्देश जायेगा कि समाज में अहंकार की कोई जगह नहीं है। सोनू मालपुर द्वारा  जो किसान भवन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की तो समाज ने उसको उसकी औकात बताई है। सुधीर जाखड़ ने कहा कि किसानों को चैलेंज करके और मेरी एंट्री बंद करने का ऐलान किया तो जनता ने उसको एहसास करवाया लेकिन सोनू मालपुर पर विनाशकाले विपरीत बुद्धि वाली बात सच हुई और खुद भी भवन में नहीं आया। समय रहते अपनी गलती मान लेता तो शायद आज ये नौबत नहीं आती और ना ही गेंहू के सीजन के बावजूद किसानों को आना पड़ता।

सुधीर जाखड़ ने ज़िले के तमाम किसानों का किसान महापंचायत में पहुंचने पर आभार व्यक्त किया और कहा कि आगे कभी किसी ने कोई समाजविरोधी कार्य करने का दुस्साहस किया तो भी उसके खिलाफ आवाज़ उठाता रहूंगा।

वहीं नवनियुक्त पानीपत किसान भवन के प्रधान टिंकू देशवाल, उप प्रधान सूरजभान व सचिव नदीम गुर्जर ने कहा कि आज पानीपत जिले के किसानों द्वारा जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। वह उसे तन मन धन से निभाएंगे और हमेशा ही किसानों के साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़े रहेंगे। जिले का जो भी किसान उन्हें आदेश करेगा वह उसको अपना धर्म समझकर निभाएंगे।

वही गांव शहर मालपुर के पूर्व सरपंच रिंकू दुहन ने बताया कि पूरे जिले के किसानों ने आज किसान भवन पर असामाजिक रूप से किए हुए कब्जे को हटवा दिया है। किसान भवन की नई कार्यकारणी को गठित कर दिया गया है।

बता दें कि 1 अप्रैल को पानीपत के असन्ध रोड़ स्थित किसान भवन में महापंचायत आयोजित की गई थी। जिसमें किसान भवन के प्रधान के कार्यकाल को 5 साल करने का करने को लेकर प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन मंच पर बोलते हुए अधिकतर वक्ताओं ने 5साल का कार्यकाल के प्रस्ताव का विरोध किया था। लेकिन उसके बादजूद भी सोनू मलपुरिया ने अपने आप को 5 साल के लिए नियुक्त कर दिया था। जिसके बाद विवाद और ज्यादा गहरा गया था और उसी के खिलाफ आज पंचायत आयोजित की गई थी, जिसमें ये सभी फैसले लिए गए। 

साल 1989 में असन्ध रोड़ पर प्रदेश का सबसे बड़ा किसान भवन स्थापित किया गया था। प्रदेश के किसान भवन को किसानों के हितों का तख्त की तरह सम्मान करते हैं।

बात तीन कृषि कानून हों या किसानों के हितों की बात, भवन किसानों की आवाज उठाने में अहम भूमिका निभाता है। किसान भवन पूरी तरह से राजनीति से दूर रहता है, लेकिन पिछले कुछ समय से भवन का माहौल सौहार्दपूर्ण नहीं है।

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Content Editor

Mohammad Kumail

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