आज करनाल से नई सियासी पारी की शुरूआत करेंगे अशोक तंवर!

punjabkesari.in Sunday, Feb 16, 2020 - 01:01 PM (IST)

डेस्क (संजय अरोड़ा)- करीब 19 वर्ष तक कांग्रेस में रहकर राजनीति करने वाले हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डा.अशोक तंवर रविवार को करनाल में अपनी नई सियासी पारी की शुरूआत करने जा रहे हैं। मौका है उनके जन्मदिन को स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाने का। हालांकि तंवर का जन्मदिन 12 फरवरी को था,मगर उनके समर्थकों ने उनके जन्मदिन को राज्यस्तर पर मनाने के लिए 16 फरवरी का दिन चुना। इस दिन तंवर जहां अपने जन्मदिन की खुशियां समर्थकों संग सांझा करेंगे वहीं वह इसी दिन कार्यकत्र्ताओं व समर्थकों से राय मशविरा करने के बाद अपनी भावी सियासत को लेकर अहम फैसला भी करेंगे। 

गौरतलब है कि तंवर कांग्रेस से लोकसभा सदस्य भी बने और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा और पिछले साल विधानसभा चुनाव से करीब डेढ़ माह पहले हुड्डा को हरियाणा में अहम जिम्मेदारी दिए जाने के बाद ही तंवर ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। यही नहीं इसके बाद तंवर ने विधानसभा चुनाव में फ्रीलांसर नेता के रूप में कांग्रेस व भाजपा को छोड़कर कई उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार भी किया था।

हुड्डा के साथ रहा 36 का आंकड़ा
2009 में हरियाणा की सियासत में कूदकर सांसद बनने के कुछ समय तक तो तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ तंवर के संबंध ठीक रहे,लेकिन 2014 के संसदीय चुनाव के बाद से ही तंवर व हुड्डा के बीच सियासी दूरियां बढऩे लगी। वर्ष 2016 तक आते-आते तो उनकी लड़ाई सड़कों पर आ गई। अक्तूबर 2016 में दिल्ली में तंवर और हुड्डा समर्थकों के बीच मारपीट तक हुई,जिसमें तंवर घायल हो गए थे और उन्होंने खुद पर हुए हमले के लिए सीधे भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके समर्थकों को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ एफ.आई.आर.तक दर्ज करवा दी थी। पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले ही हुड्डा व शैलजा को पार्टी में अहम जिम्मेदारी देने के बाद ही तंवर ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था।

कांग्रेस में रहा लम्बा  सियासी करियर
अशोक तंवर ने कांग्रेस से अपनी सियासी पारी शुरू की और इसमें उनका एक लम्बा सियासी करियर रहा। एन.एस.यू.आई.के कार्यकत्र्ता से लेकर उन्होंने लोकसभा सदस्य और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष तक का सफर तय किया। डा.तंवर का जन्म 12 फरवरी 1976 को झज्जर के गांव चिमनी में हुआ। उनके पिता दिलबाग सिंह सेना में रहे,जबकि उनकी माता गृहिणी हैं। अपनी स्कूली शिक्षा डा.तंवर ने सोनीपत के शंभूदयाल स्कूल से की।

इसके बाद उन्होंने काकतिया यूनिवॢसटी से ग्रेजुएशन किया और बाद में देश के प्रतिष्ठित संस्थान जवाहर लाल नेहरू यूनिवॢसटी (जे.एन.यू.) से इतिहास में पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री ली। जे.एन.य.ू से ही उन्होंने एम.फिल. और फिर इतिहास में पी.एच.डी. की। जे.एन.यू. के मंच से ही डा. तंवर राजनीति में सक्रिय हुए। 1999 में वह कांग्रेस के विद्यार्थी संगठन नैशनल स्टूडैंट यूनियन ऑफ इंडिया (एन.एस.यू.आई.) के सचिव और बाद में साल 2003 में अध्यक्ष बने। जनवरी 2005 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया और वह 2010 तक इस पद पर रहे।

अब ‘आप’ के साथ जुडऩे की चर्चाएं 
विधानसभा चुनाव के बाद से ही लगातार सियासी गलियारों में अशोक तंवर के राजनीतिक भविष्य को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चलती रही हैं। कभी उनके जजपा में शामिल होने तो कभी अपनी नई पार्टी बनाने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। तंवर के सियासी भविष्य को लेकर रविवार का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को लगातार दूसरी बार मिली बम्पर जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का फोकस अपने गृह राज्य हरियाणा पर किए जाने की संभावनाओं के चलते अशोक तंवर के भी अब ‘आप’ के साथ जुडऩे की चर्चाएं चल पड़ी हैं।     


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Isha

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