स्ट्रॉबेरी हब बना गांव स्याहवड़ा, एक एकड़ में 10 लाख की आमदनी (VIDEO)

punjabkesari.in Sunday, Jan 27, 2019 - 11:22 PM (IST)

हिसार(विनोद सैनी): हिसार का स्याहड़वा गांव इन दिनों स्ट्रॉबेरी हब बना हुआ है, जिस बंजर जमीन पर कभी अन्न का दाना तक नहीं उगता था, स्याहड़वा गांव के किसानों ने उस जमीन पर स्ट्रॉबेरी की असाधारण खेती कर अपनी मेहनत और लगन का परचम लहराया है। किसानों द्वारा उबड़-खाबड़ बंजर टीलों को समतल कर लगाई गई स्ट्रॉबेरी की फसल देश के कोने-कोने में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी धाक जमा चुकी है।

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हरियाणा का यह पहला गांव है जहां करीब 20-25 साल पहले इस फल की खेती शुरू की गई थी। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अनिल गोदारा ने सबसे पहले हरियाणा में 1995 में मात्र दो एकड़ भूमी पर स्ट्रॉबेरी फल की फसल उगाई थी। दूसरे किसानों ने भी डॉक्टर गोदारा से प्रेरणा पाकर स्याहड़वा और इसके आसपास के गांवों में स्ट्रॉबेरी की फसल उगानी शुरू कर दी। 

अब हर साल इस क्षेत्र में पांच से 10 करोड़ रूपयों का स्ट्रॉबेरी का कारोबार होता है। स्ट्रॉबेरी को तोडऩे के लिए 600 से अधिक लोगों आसपास के गांव व शहर की कॉलोनियों से काम के लिए पहुंच रहे हैं। स्ट्रॉबेरी के पौधे हिमाचल से लाए जाते हैं। और वैरायटी के अनुसार प्रति पौधा 2.60 रुपए से लेकर 20 रुपए तक के बीच पड़ता है।

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किसान सुरेन्द्र ने बताया कि यहां के किसानों ने सबसे पहले रेतीली जमीन के उबड़-खाबड़ बंजर टीलों को समतल किया और टपका सिंचाई से खेती करनी शुरू की। आज यह गांव स्ट्रॉबेरी हब बन चुका है। उन्होंने बताया की इस खेती को देखने व सीखने के लिए विदेशों से किसान आते हैं। देश के दूसरे राज्यों ने भी यहां के किसानों से खेती करने के गुर लिए हैं और आज पंजाब, बिहार, सहित कई दूसरे राज्यों में छोटे स्तर पर इसकी खेती हो रही है। किसानों का कहना है कि यहां अमेरिका व इंग्लैंड के लोग भी इस खेती को देखने के आते हैं।

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किसान सुरेन्द्र का कहना है कि स्ट्रॉबेरी के पौधे हिमाचल और महाराष्ट्र से लाए जाते हैं और अब कुछ पौधे यहीं पर तैयार कर दूसरे राज्यों को भेजे जाते हैं। यहां पर स्ट्रॉबेरी की विभिन्न प्रकार की वैरायटी की खेती की जाती है। जिसमें स्वीट चार्ली, विंटर डाउन, काडलर, रानियां, मोखरा आदी प्रमुख हैं। सितम्बर के महीने मे रोपाई करके पौध लगाई जाती है। पौध लगाने के बाद 20 दिन में फव्वारा लगाते हैं। जनवरी-फरवरी में स्ट्रॉबेरी की फसल तैयार होकर फल देने लगती है और मार्च तक यह खेती चलती है। सुरेन्द्र का कहना है कि एक एकड़ जमीन में लगभग 50 से 200 क्विंटल स्ट्रॉबेरी की पैदावार होती है, जिससे करीबन आठ से 10 लाख रूपयों की आमदनी होती है।


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Shivam

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