हरियाणा की लोकसभा सीटों पर जीतना सबके लिए  बड़ी चुनौती

punjabkesari.in Saturday, Apr 13, 2019 - 01:35 PM (IST)

हरियाणा में भाजपा की सरकार वर्ष 2014 में पहली बार बनी थी उस समय पूरे देश में मोदी लहर थी जिसका लाभ हरियाणा भाजपा को भी मिला। इस समय देश में ऐसी कोई लहर नहीं है और लोकसभा चुनाव में नित नए समीकरण बन रहे हैं। प्रदेश में 12 मई को लोकसभा के लिए मतदान होना है। गत चुनावों में इनैलो भाजपा के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनी थी परंतु वह अंतर्कलह के चलते दोफाड़ हो चुकी है। पारिवारिक झगड़े के कारण समर्थक और नेता अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला के द्वंद्व के बीच बंट गए हैं। प्रदेश कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक नहीं है। पार्टी नेताओं के मतभेदों की चर्चाएं रोजाना सुॢखयों में रहती है।

गत लोकसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा ने 10 में से 7 सीटें जीती थीं। मोदी लहर के चलते करनाल में अश्विनी चोपड़ा एवं भिवानी में धर्मबीर सिंह सरीखे बाहरी उम्मीदवार भी जीत गए थे परंतु अब हालात ऐसे नहीं है। 2014 में पहली बार भाजपा ने पूर्ण बहुमत से देश में सरकार बनाई थी और प्रदेश में भी सत्तासीन हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया। खट्टर ने भी अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया है और अपनी ईमानदार मुख्यमंत्री की छवि प्रस्तुत की। सरकारी कार्यों में ऑनलाइन कार्य प्रणाली को लाकर पारदॢशता दर्शाई तो इस समय यह कहना तर्कसंगत होगा कि प्रदेश में भाजपा की स्थिति अन्य पाॢटयों से बेहतर है।

ग्रुप-डी की भॢतयों एवं नौकरी के लिए इंटरव्यू की प्रणाली सरल करने सरीखे कई ऐसे काम हैं जिनके लिए राजनीतिकविद् मानते हैं कि ये मुद्दे इन चुनावों में भुनाए जा सकते हैं। खट्टर के नेतृत्व में भाजपा ने निगम चुनाव एवं जींद उप-चुनाव में जीत दर्ज की थी। इससे प्रदेश भाजपा के हौसले बुलंद थे।


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Shivam

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