रहस्यमयी गुफा: गुरमीत के रहन-सहन का वह सच, जो सिर्फ गिने-चुने लोगों को मालूम

punjabkesari.in Sunday, Aug 27, 2017 - 10:18 AM (IST)

चंडीगढ़:डेरे के अंदर गुरमीत राम रहीम आलीशान जिंदगी जीते थे। डेरे में उनके ऐशो-आराम के लिए अलग से कक्ष बने हुए हैं। बहुत कम ही लोग इनके बारे में जानते हैं। यही नहीं डेरे के अंदर एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में गुरमीत के बेहद करीबियों को ही पता है। आश्रम के बीचों-बीच कांच और दीवारों से बना एक भवन है जिसे बाबा की गुफा कहा जाता है। यहां तक बाबा की गाड़ी सीधे जाती थी। जब गुरमीत गुफा में होते थे तो कुछ निजी लोगों को छोड़कर बाकी किसी को वहां जाने की इजाजत नहीं होती थी। यहां तब हर जगह सादे कपड़ों में बंदूक लिए लोग तैनात होते थे। जिस साध्वी ने गुरमीत पर बलात्कार का आरोप लगाया था, उससे वारदात गुफा में ही हुई थी।
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सी.बी.आई. जांच के लिए इस गुफा में दाखिल हुई थी।  सी.बी.आई. की चार्जशीट के मुताबिक गुफा के तीन गेट हैं। इनमें से एक गेट गर्ल्स होस्टल से जुड़ा हुआ है तथा दो गेट सत्संग दरबार की ओर खुलते हैं। गुरमीत की जिंदगी के कई राज इस आलीशान और शानदार गुफा में छुपे हुए हैं। 
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सात सितारा सुविधाएं हैं गुफा में 
गुफा के कमरों में सात सितारा सुविधाएं हैं। सारा सामान विदेशी है। डैकोरेशन के लिए भी विदेशी आर्किटैक्ट की मदद ली गई है। बाथरूम में विदेशी टाइलें लगी हैं। जकूजी और नहाने की विशेष बाथ टब है, इसके पानी में गुलाब डाल कर गुरमीत नहाते थे। बेहद खास लोगों से मिलने के लिए अलग कमरा भी है। बताया तो यहां तक जाता है कि यहीं से गुरमीत कई देशों में सीधे बात करते थे। गुफा में वह रेशम के कपड़े डालते थे, जिन्हें विदेशी डिजाइनर तैयार करते थे। 
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पहचान से खुलते हैं दरवाजे 
गुफा में जाने के लिए बाकायदा पहचान और बायोमीट्रिक सिस्टम है, तभी दरवाजे खुलते हैं। इस समर्थक ने बताया कि वह गलती से गुफा के अंदर उस वक्त चला गया था, जब गुरमीत वहां नहीं थे, गुफा का दरवाजा किसी वजह से खुला था। उसे इस बात पर बहुत ही डांट लगी थी। चेतावनी दी गई थी कि आइंदा इधर आया तो डेरे से बाहर कर दिया जाएगा। इसके बाद वह कभी गुफा की ओर नहीं गया।
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खास शिष्याएं चुनी जाती थीं
डेरे की साध्वियों में से कुछ को ही इस गुफा में आने की इजाजत थी।  ये साध्वियां खास गेरुआ या सफेद कपड़े पहनती थीं। इन्हें बाल खुले रखने होते थे। यही खास साध्वियां गुरमीत राम रहीम को खाना खिलाने, मुलाकात करवाने, सुबह शाम स्टेज तक लाने-ले जाने का काम भी करती थीं। गुरमीत के प्रवचन में भी बाईं तरफ इनके लिए एक खास जगह बनी होती थी। प्रवचन वाले हॉल में यही सब कुछ संभालती थीं और बाहरी हिस्से में दूसरे पुरुष कारसेवक काम करते थे।


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