गणेश प्रतिमा को लेकर असमंजस में प्रशासन व मूर्तिकार

punjabkesari.in Sunday, Sep 04, 2016 - 03:21 PM (IST)

यमुनानगर: 5 सितम्बर को गणेश चतुर्थी के साथ ही गणेशोत्सव की शुरुआत होगी। शहर सहित कस्बा में भी हर बार की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में गणेश छोटी से लेकर विशाल पी.ओ.पी. की प्रतिमाएं बिकने के लिए तैयार हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में पांडालों में प्लास्टर ऑफ  पेरिस की मूर्तियां स्थापित होंगी। उधर, मूर्तिकारों का कहना है कि मिट्टी से इतनी बड़ी प्रतिमा बनाना असंभव है, क्योंकि हल्की सी बरसात या झटके में गिर जाएगी। वहीं, प्रशासन का तर्क है कि वे लोगों की आस्था से खिलवाड़ नहीं कर सकते लोगों को ही आगे आना होगा। 

 

देखा जाए तो प्रशासन व मूर्तिकार दोनों ही असमंजस में है। पिछले साल भी करीब छोटी बड़ी 1500 से अधिक पी.ओ.पी. की गणेश प्रतिमाएं स्थापित हुई थीं। यही वजह रही कि गत वर्ष भी यमुना नहर में ही विसर्जन करना पड़ा था। वहीं, पंडितों के अनुसार 15 सितम्बर को गणपति विसर्जन होगा। शुभ मुहूर्त सुबह 9.38 से शुरू होकर शाम तक चलेगा। 

 

पी.ओ.पी. की जगह बनाएं मिट्टी के गणेशजी
समाज सेवियों ने शहरवासियों से अपील की है कि वे पी.ओ.पी. की जगह मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की स्थापना करें। अधिकांश विद्वानों के अनुसार पी.ओ.पी. शुद्ध नहीं होती, पानी में इनका विसर्जन करने से प्रदूषण फैलता है। गणेश प्रतिमाओं का निर्माण नदी के पास मौजूद शुद्ध काली मिट्टी से किया जाना चाहिए। इसलिए सिर्फ  मिट्टी की प्रतिमा की स्थापना करें। 

 

पानी के अंदर जम जाता है पी.ओ.पी.: ग्रोवर
एम.एल. कालेज में एन्वायरनमैंट की असिस्टैंट प्रोफै सर विभा ग्रोवर का कहना है कि पी.ओ.पी. पानी के अंदर सीमैंट की तरह जम जाता है। जिससे पानी प्रदूषित होता है। इतना ही नहीं, इसके कलर साइनाइड होता है। जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने लोगों से अपील की इको फ्रैंडली प्रतिमा ही स्थापित करनी चाहिए। वहीं, प्रशासन भी साऊथ की तर्ज पर अस्थायी कुंड बना सकता है। 

 

प्रशासन को करनी चाहिए पहल: शास्त्री
शनि मंदिर सैक्टर-17 के पुजारी पं. उदयवीर शास्त्री का कहना है कि जिले में मूॢत बनाने के कलाकार बाहर से आते हैं और वे सैक्टर में ही मूर्ति बनाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि उनसे बात करें या फिर उन्हें सबसिडी पर ऐसी सामग्री उपलब्ध करवाएं जो पानी को प्रदूषित न करें। हर चीज का हल बातचीत है। इस समस्या का हल भी निकल सकता है लेकिन किसी न किसी को पहल करनी होगी। वे प्रशासन करे या फिर प्रदेश सरकार। 


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