''संशोधित शराब नीति के जरिए सरकार ने बाहरी को पहुंचाया फायदा'', विपक्ष का गंभीर आरोप
punjabkesari.in Thursday, Aug 22, 2024 - 11:23 AM (IST)
गुड़गांव, (ब्यूरो): गोवा में हाल ही में संशोधित शराब नीति के कारण स्थानीय व्यवसायों पर खतरा मंडरा रहा है। विपक्षी नेता विजय सरदेसाई ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बाहरी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गोवा के पारंपरिक व्यवसायों को नुकसान पहुँचाया है।
इस नई नीति के तहत, बाहरी कंपनियों को मोपा हवाई अड्डे पर शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है, जिससे गोवा के स्थानीय व्यापारियों में असंतोष फैल गया है। गोवा फॉरवर्ड पार्टी (GFP) के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए इसे "गोवा विरोधी नीति" करार दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री सावंत पर आरोप लगाया कि वह बाहरी कंपनियों को प्राथमिकता देकर स्थानीय व्यापारियों की आजीविका छीनने का काम कर रहे हैं।
छोटे और स्थानीय कारोबारियों को होगा नुकसान
सरदेसाई का मानना है कि गोवा में शराब का व्यापार हमेशा से गोवावासियों के हाथ में रहा है, जिसमें लाइसेंस प्राप्त करने के लिए 25 साल की स्थानीय निवासिता का नियम था। नई नीति के तहत बड़े कॉर्पोरेशन इस क्षेत्र में कदम रख सकते हैं, जिससे छोटे स्थानीय व्यापारियों के लिए कठिनाइयाँ बढ़ जाएंगी।
उन्होंने गोवा के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर इस संशोधन पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यह निर्णय गोवा की सामाजिक-आर्थिक संरचना को नुकसान पहुँचा सकता है और हजारों गोवा परिवारों को प्रभावित कर सकता है। सरदेसाई ने ट्वीट कर कहा, "हम उन कानूनों को स्वीकार नहीं करेंगे जो स्थानीय लोगों को निकालकर बाहरी लोगों को स्वागत करते हैं।" उन्होंने इस नीति को तुरंत वापस लेने की मांग की और शराब के लाइसेंस केवल गोवावासियों को ही दिए जाने की अपील की।
विपक्ष ने सरकार को फैसले पर पुनर्विचार करने का किया आग्रह
इस नीति के कारण सावंत सरकार पर बाहरी शक्तियों के प्रभाव को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। सरदेसाई ने अपने पत्र में यह भी कहा कि सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और स्थानीय समुदाय की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए, खासकर मोपा हवाई अड्डे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में।
कुल मिलाकर, यह मुद्दा सिर्फ शराब उद्योग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे सावंत सरकार की नीतियों का हिस्सा माना जा रहा है, जिनमें बाहरी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है और गोवावासियों के पारंपरिक व्यवसायों को खतरे में डाला जा रहा है। गोवावासी अब अपनी आर्थिक अवसरों और सांस्कृतिक धरोहर को बाहरी हस्तक्षेप से बचाने की मांग कर रहे हैं।