ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन और राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान NISD ने हरियाणा में इंटरजनरेशनल बॉन्डिंग पर किया जनजागरूकता कार्यक्रम
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 07:12 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन ने राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (National Institute of Social Defence - NISD), सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गांव छैंसा, बल्लभगढ़, फरीदाबाद में एक दिवसीय संवेदनशीलता कार्यक्रम (Sensitisation Programme) का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कुल 75 विद्यार्थियों ने भाग लिया। सत्र का संचालन हिमांशी मेहरा,सैंडी खांडा और श्री आकाश महतो द्वारा किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में पीढ़ियों के बीच आपसी समझ, सम्मान और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना था ताकि युवा वर्ग समाज के बुजुर्गों के अनुभव और जीवन मूल्यों से सीख सके।
ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन ने हाल ही में NISD के साथ साझेदारी कर हरियाणा के फरीदाबाद, गुरुग्राम, जींद और करनाल जिलों के 10 सरकारी विद्यालयों में 15 कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों के बीच भावनात्मक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करना तथा इंटरजनरेशनल बॉन्डिंग के महत्व को समझाना है। फाउंडेशन के संस्थापक श्री सैंडी खांडा ने कहा, “भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसके पारिवारिक मूल्य और सामाजिक एकता हैं। इन सत्रों के माध्यम से हम नई पीढ़ी में करुणा, आभार और बुजुर्गों के प्रति सम्मान की भावना जगाना चाहते हैं।”
राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD), जो कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है, देश में वरिष्ठ नागरिक कल्याण, नशा मुक्ति जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़े कार्यों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत में वर्तमान में लगभग 13.8 करोड़ बुजुर्ग नागरिक हैं (2021 के अनुमानों के अनुसार), जो समाज के एक महत्वपूर्ण और तेजी से बढ़ते वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में पीढ़ियों के बीच सामंजस्य और आपसी सहयोग एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है। ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन इस सहयोग के माध्यम से अपने मिशन— सामाजिक जागरूकता, युवाओं में नेतृत्व और स्थायी सामाजिक विकास— को आगे बढ़ा रहा है ताकि नई पीढ़ी न केवल पर्यावरण और समाज के प्रति सजग बने, बल्कि मानवीय मूल्यों को भी अपने जीवन का हिस्सा बनाए।