रोबोटिक सर्जरी और न्यूनतम चीरा वाली सर्जरी स्वास्थ्य सेवा का चेहरा बदल रही है: डॉ. आशीष गौतम
punjabkesari.in Thursday, Aug 07, 2025 - 06:50 PM (IST)

गुड़गांव, ब्यूरो : भारत में स्वास्थ्य सेवा का चेहरा बदल रहा है। इसमें रोबोटिक सर्जरी और न्यूनतम चीरा वाली सर्जरी का बड़ा योगदान है। इससे मरीज कम समय में ठीक हो जाते हैं। उन्हें तकलीफ बहुत कम होती है और परिणाम बहुत बेहतर मिलते हैं। यह बड़ा बदलाव सीनियर सर्जन डॉ. आशीष गौतम के काम में बखूबी दिखता है। मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, पटपड़गंज में, सीनियर डायरेक्टर जनरल, लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी डॉ. आशीष गौतम ने अपनी विशेषज्ञता से हजारों मरीजों को उनकी जटिल समस्याओं से उबरने में मदद की है। उनके हाथ में सफाई है और सहानुभूति भी। डॉ. गौतम एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी दिल्ली में रोबोटिक सर्जरी के पायनियर हैं। रोबोटिक बैरिएट्रिक, कोलोरेक्टल और हर्निया सर्जरी के अनगिनत मरीज उनके हुनर के कायल हैं। वे अब तक 30,000 से अधिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भी कर चुके हैं। उन्हें एक बड़ा श्रेय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे आधुनिक बैरिएट्रिक प्रोग्राम में एक शुरू करने के लिए भी दिया जाता है। डॉ. गौतम अत्याधुनिक रोबोटिक प्लेटफॉर्म दा विंची का उपयोग करते हैं और उन चुनिंदा सर्जनों में से एक हैं जो ह्यूगो आरएएस और वर्सियस जैसे अन्य रोबोटिक प्लेटफॉर्म उपयोग कर चुके हैं। इसलिए अधिक जोखिम वाले ऑपरेशन भी सुरक्षित हो जाते हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि अत्याधुनिक तकनीक मरीजों के लिए मायने रखती है, लेकिन इससे बड़ी बात भरोसे का डॉक्टर मिलना है। हाल में यह सर्जरी करा चुकी मथुरा की पार्वती वर्मा कहती है, ‘‘मैं कई सालों से एसिड रिफ्लक्स की गंभीर समस्या से परेशान थी लेकिन सर्जरी कराने से डरती थी। डॉ. गौतम ने मुझे रोबोटिक फंडोप्लिकेशन का सुझाव दिया और हर एक स्टेप को इतनी स्पष्टता से समझाया कि मेरा डर गायब हो गया। रिकवरी भी इतनी जल्दी हुई कि मैं अगले दिन चलने-फिरने लगी।’’ न्यूनतम चीरा लगाने की नई तकनीकों से मोटापा कम करने के उपचार में एक क्रांति आ गई है। वर्षों से भारी वज़न और मधुमेह से परेशान योगेश त्यागी ने बताया कि डॉ. गौतम ने उन्हें एक नया जीवन दिया है। ‘‘मैं पिछले दस वर्षों से भी अधिक समय से मोटापे से परेशान था। डॉ. गौतम ने मेरी रोबोटिक बैरिएट्रिक सर्जरी कर न सिर्फ़ मेरा वज़न कम किया बल्कि दवाओं पर मेरी निर्भरता भी कम कर दी। उनके हाथ में जादू है और उनकी बात में भरोसा।’’
डॉ. गौतम की विशेषज्ञता सामान्य सर्जरी से कहीं आगे तक जाती है। ट्रौमा के मामलों में उनकी विशेषज्ञता जगजाहिर है। गोली लगने से लेकर पेट के जख्मी होने जैसे आपातकालीन मामले संभालने में माहिर डॉ. गौतम अनगिनत जानें बचा चुके हैं। दरअसल इस क्षेत्र में वे कई प्रोग्राम के पायनियर हैं जैसे कि हेमराइड्स के लिए मिनिमल इनवेसिव प्रोसिड्योर (एमआईपीएच) और वैरिकोज़ वेन्स के लिए एडवांस लेज़र सर्जरी आदि। इस तरह उन्होंने न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी को एक नई ऊँचाई दी है। इसी तरह की खुशी ताजिकिस्तान की 58 वर्षीय नरगिस सोहिबोवना नज़रोवा की बातों में सुनाई देती है, जो कहती हैं, ‘‘मैं इससे पहले दो बार सर्जरी करा चुकी थी। दोनों नाकाम रही थी। मैंने लगभग उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन यह संयोग था कि मुझे डॉ. आशीष गौतम मिल गए। उन्होंने सुधार के लिए रोबोटिक हर्निया सर्जरी की और आज मैं स्वस्थ हूं। मुझे काफी आराम है। इस सफल सर्जरी के लिए मैं जिन्दगी भर आभारी रहूंगी।’’
डॉ. गौतम सिर्फ एक कुशल चिकित्सक नहीं हैं। वे एक मार्गदर्शक और शोधकर्ता भी हैं। चिकित्सा जगत में उनके कई दुर्लभ केस स्टडी प्रकाशित हैं। वे ओबेसिटी सर्जरी सोसायटी ऑफ इंडिया एवं आईएजीईएस जैसे संगठनों के माध्यम से नई पीढ़ी के सर्जनों को प्रशिक्षण देते हैं। इस तरह के योगदान के लिए कई सम्मान से नवाजे गए हैं जैसे सेहत के साथी पुरस्कार (2023) और अटल उपलब्धि पुरस्कार (2022) आदि। भारत में सर्जरी के इकोसिस्टम पर उनकी अमिट छाप दिखती है। रोबोटिक सर्जरी को अक्सर चिकित्सा सेवा का भविष्य कहा जाता है। लेकिन चिकित्सा सेवा में विशेषज्ञता और सहानुभूति की मिसाल डॉ. आशीष गौतम के मरीजों के लिए यह भविष्य उनके सामने खड़ा है।