स्कूल बैग के बोझ नीचे दब रहा बचपन, सेहत की नहीं परवाह

punjabkesari.in Tuesday, Apr 30, 2019 - 12:05 PM (IST)

गुडग़ांव(प्रवीन): स्कूलों में पढऩे जाने वाले बच्चों की पीठ पर बैग का बोझ बढ़ता ही जा रहा है, वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अनदेखा कर रहे हैं। गुडग़ांव जिला में निर्धारित वजन से अधिक बोझ प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के बैग में हैं। बीते नवम्बर माह में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने बच्चों के बैग का वजन कम करने के आदेश जारी किये थे, लेकिन गुडग़ांव जिला के स्कूलों में इन आदेशों की अनदेखी की जा रही है।

बच्चे अपने-अपने बैग के बोझ से परेशान हैं और छुट्टी होते ही वे अपने अभिभावक या कैब चालक को बैग थमाते दिख जाते हैं। डॉक्टरों ने भी छोटे-छोटे बच्चों की सेहत की दृष्टि से इसे सही नहीं माना है और बच्चों में पीठ दर्द, जोड़ दर्द आदि बीमारियों का होना भारी बैग को बताया जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करने जाने वाले बच्चों के बैग को देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आदेशों की कैसे धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।  स्कूली बैग के बढ़े बोझ तले बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास सही ढंग से नहीं हो पा रहा है।

किताबों से भरे बैग बेचारे मासूम बच्चे अपने कंधों पर ढो रहे हैं। हंसने-खेलने की उम्र में बच्चों की पीठ पर किताबों व कापियों का इतना बोझ होता है कि बच्चे लाचार नजर आते हैं। पांचवीं और छठी कक्षा का कोर्स इतना ज्यादा है कि किताबों का वजन उठाना मुश्किल हो जाता है। छुट्टी के वक्त दोपहर में चिलचिलाती धूप में बच्चों को बैग उठाकर स्कूल से घर तक पहुंचने में काफी दिक्कत होती है। वहीं स्कूल में सप्ताह में होने वाली खेल गतिविधियों के लिए भी खेल का सामान घर से लेकर जाना पड़ता है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी सर्कुलर में पहली कक्षा से 10वीं कक्षा तक के बच्चों के बैग का वजन तय किया गया है। पहली व दूसरी के बच्चों के लिए बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए 2 से 3 किलोग्राम, छठी व सातवीं कक्षा के बच्चों के लिए 4 किलोग्राम, आठवीं व नौवीं कक्षा के बच्चों के लिए 4.5 किलोग्राम और 10वीं कक्षा के बच्चों के लिए बस्ते का वजन 5 किलोग्राम तय किया गया है। लेकिन प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के बैग इससे कहीं ज्यादा भारी हैं।  
 


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