नियमों को ठेंगा दिखा रहे बिल्डर प्रशासन की आंखें बंद

punjabkesari.in Saturday, Jan 26, 2019 - 01:02 PM (IST)

गुडग़ांव (पी मार्कण्डेय): गुडग़ांव सहित पूरे एनसीआर में बिल्डिंग कोड का उलंघन भारी पैमाने पर किया जा रहा है। कहीं पर दोयम दर्जे की निर्माण सामग्री प्रयोग की जा रही है तो कहीं पर निर्धारित मानकों से ज्यादे फ्लोर का निर्माण किया जा रहा है। इतना ही नहीं, होम लोन के नाम पर भी बड़ा खेल किया जा रहा है और लोन उपलब्ध कराने के नाम पर कच्चे भवनों को भी बेच दिया जा रहा है। गुडग़ांव में बिल्डरों का गोरखधंधे की यह काली कहानी यहीं नहीं रुकती बल्कि तमाम भवन कागजों पर निर्मित कर लिए गए और बेच दिए गए।

उल्लेखनीय है कि कुछ माह पूर्व ही ग्रेटर नोयडा और गाजियाबाद में ऐसे ही मामले में भीषण दुर्घटना हुई थी जिसमें कुछ लोग हताहत भी हुए थे। गुडग़ांव में भवन मानकों की अनदेखी कर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य जारी है। जिला नगर योजनाकार विभाग की ओर से गत एक साल में तकरीबन ढाई हजार भवनों को नियमों का दोषी पाए जाने के बाद नोटिस जारी किया गया था। विभाग ने अपने सर्वेक्षण में पाया था कि ज्यादातर भवन नियमों को ताक पर रखकर पर बनाए जा रहे हैं जिनमें कि मानक से अधिक फ्लोर का निर्माण किया जा रहा है।

इसके अलावा बहुत से भवनों में स्वीकृत से अधिक हिस्से पर अतिक्रमण करके निर्माण किया जा रहा है। नियमानुसार भवनों को पंद्रह मीटर तक ऊंचा बनाया जा सकता है, हांलाकि वास्तविक ऊंचाई भूखंड के आकार के आधार पर भी तैयार की जाती है। यदि गुडग़ांव में देखा जाए तो 15 मीटर से अधिक ऊंचाई के भवनों की संख्या हजारों में हैं। ग्रामीण इलाकों में खांडसा, घाटा, वजीराबाद, चक्करपुर, गांधीनगर और अर्जुन नगर में अनेक भवन 15 मीटर से अधिक ऊंचाई के निर्मित किए गए हैं। 

900 मीटर आयुध क्षेत्र में बन गई 6 मंजिला ईमारतें 

आयुध क्षेत्र जिसे सर्वाधिक संवेदनशील मानकर इसके 900 मीटर दायरे में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक है वहां भी मिलीभगत करके छह मंजिला इमारतों का निर्माण किया गया। यदि आयुध क्षेत्र जैसे संवेदनशी और सुरक्षा  के नजरिए से महत्वपूर्ण जगह का यह हाल है तो दूसरे जगहों की बात ही बेमानी है। शहर का सबसे पॉश इलाका कहे जाने वाला डीएलएफ, सुशांत लोक, सनसिटी और साउथ सिटी में इस तरह के निर्माण किए गए जो पूरी तरह सरकारी नियमों का मजाक उड़ाते हैं। कई बार तो बिल्डरों के ऊंचे रसूख के आगे प्रशासनिक मशीनरी भी बौना साबित होती है।


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Deepak Paul

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