कब कतरे जाएंगे कबूतरबाजों के पर
punjabkesari.in Tuesday, Apr 05, 2016 - 12:37 PM (IST)

डॉलर की चकाचोंध में विदेश रोजी रोटी की तलाश में गए हरियाणा के युवक लंबी मानसिक यंत्रणा सहन करने के बाद स्वदेश लौट आए हैं। हालांकि उनके माता—पिता जीवनभर की जमापूंजी गवां चुके हैं,लेकिन शुक्र है उनके घर के चिराग सकुशल लौट आए हैं। इस चारों के अलावा हजारों युवक इन एजेंटों के भुक्तभोगी हैं। हरियाणा और पंजाब में ये एजेंट सपने बेचते हैं। वे नौकरी और विदेशी चमक—दमक की बातों का ऐसा जाल बुनते हैं कि युवक उसमें फंस जाते हैं। इसके लिए वे कोई भी कीमत चुकाने को तैयार होते हैं। वहां उनके साथ क्या बीतती है हाल में लौटे युवक इसकी एकबानगी है।
गौरतलब है कि हरियाणा का यह एजेंट के इस मामले की असलियत जानता था,इसीलिए वह बार-बार युवकों के परिजनों को टरकाता रहा। पैसे वापिस मांगने पर उन्हें धमकाता रहा। इन परिजनों ने कर्ज उठाकर, तो किसी ने अपने खेतों को बेचकर बेटों को विदेश भेजा था। गरीब लोग ऐसे धोखेबाज व्यक्ति के चक्कर में न फंसे, इसके लिए पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। कई सालों से कबूतरबाजी का यह धंधा बदस्तूर जारी है। इन युवकों के परिजन पहले भी पुलिस को एजेंट की शिकायत दे चुके थे, वही बताए कि अब तक इस मामले में उसने क्या किया है ? ऐसे युवकों की तरह न जाने कितने ही अन्य को एजेंटों ने ठगने के बाद विदेश में भटकने के लिए उन्हें छोड़ दिया होगा। क्योंकि जिस देश में वे उन्हें भेजने का वादा करते हैं,वहां नहीं भेजा जाता। उनके भोलेपन का फायदा उठाकर पासपोर्ट में वीजा किसी और देश का लगवा दिया जाता है। एजेंटों द्वारा ठगे गए लोगों के पास वहां से आने के लिए वैध कागज नहीं होते हैं।
ऐसे कई मामले उजागर हो चुके हैं जब अवैध रूप से नावों में या ट्रकों में सामान में छिपाकर ले जाए जा रहे लोगों को पकड़कर जेल में ठूंसा गया है। दुर्भाग्यवश नाव पलट जाए तो कई लोग लापता हो जाते हैं। उनका एजेंट ऐसा गायब होता है कि फिर उसका पता ही नहीं चलता। पुलिस जब तक इन कबूताबाजों के पर नहीं कतरेगी तब तक वे ऐसे कई युवकों का शिकार करते रहेंगे।
पड़ोसी राज्य पंजाब में कबूतरबाजी के हरियाणा से भी अधिक मामले हैं। वहां मानव तस्करी रोकथाम एक्ट 2012 के तहत में ट्रेवल एजेंटों, इमीग्रेशन कंसल्टेंट, टिकटिंग एजेंटों, आईलेट्स कोचिंग संस्थाएं और जनरल सेल्स एजेंटों डीसी कार्यालय से अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। वहां उनका पूरा रिकार्ड होता है। इससे ऐसे लोग पुलिस के राडार में भी रहेंगे। इस एक्ट का कितने एजेंटों ने पालन किया इसकी जांच पुलिस को करनी चाहिए,ताकि कोई और इनका शिकार न बन पाए। लाइसेंस बनने की समय सीमा भी निर्धारित होती है। जो इस समय सीमा के भीतर अपना लाइसेंस नहीं बनवाता प्रशासन ऐसे संस्थान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को अंजाम दे। वहां प्रसिद्ध गायक दलेर मेहंदी के भाई शमशेर मेंहदी के खिलाफ कबूतरबाजी के मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। उन्होंने कनाड़ा का वीजा दिलवाने के नाम पर लगभग 12 लाख रुपए लिए थे। हालांकि दोनों पक्षों में समझौता हो गया घा,लेकिन अदालत ने किसी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया। उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया।
हरियाणा में पूर्व हुड्डा सरकार ने चंडीगढ़ में ऐसे मामलों को निपटाने के लिए एक सेल शुरू का गठन किया था। वर्तमान सरकार कैथल और कुरुक्षेत्र के युवकों के मामलों को हल्केस्तर पर न ले तो बड़े पैमाने पर कई मामलों का पर्दाफाश हो सकता है। हरियाणा सरकार को भी पंजाब का अनुसरण करते हुए ऐसे एजेंटो के प्रति सख्ती बरतनी होगी। जिन एजेंटों पर ठगी के मामले दर्ज हैं,उनका लाईसेंस तत्काल रद्द कर देना चाहिए। जिन पीडितो का वे पैसा हड़प चुके हैं उसे वापस दिलवाने के लिए व्यवस्घा करवाई जानी चाहिए।