जल ही जीवन है योजना: कपास व मक्का की खेती करने वालाें काे सरकार देगी प्रति एकड़ इतने हजार रुपये

punjabkesari.in Saturday, May 23, 2020 - 06:13 PM (IST)

चंडीगड़ (धरणी):  हरियाणा कृषि एवं कल्याण विभाग व सहकारिता विभाग के अत्तिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि जल ही जीवन है याेजना के तहत आठ ब्लॉकों के किसानाें काे आधा हिस्सा भूमि पर कपास, मक्का या बागवानी की खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्हाेंने कहा कि हमारे 19 ब्लॉक ऐसे हैं। जिनमें 35 मीटर तक जलस्तर जा चुका है। इस जमीन पर अब धान नहीं उगाया जाएगा। इसमें कपास, मक्का या बागवानी की खेती की जाएगी। इसके लिए किसान को सरकार की तरफ से 7 हजार रुपये प्रति एकड़ इंसेंटिव के रूप में दिए जाएंगे।

उन्हाेंने कहा कि भारत सरकार के दिशानिर्देश के मुताबिक इंटर स्टेट गुड्स की मूवमेंट पर कोई बंदिश नहीं है। काैशल ने कहा कि 300 के करीब वाहन सोनीपत से दिल्ली की तरफ प्रतिदिन जा रहे हैं। इसमें कोई समस्या नहीं है। उन्हाेंने कहा कि किसान को कोई दिक्कत न आए, उसके लिए हम सुविधा देने के लिए मौजूद है। 

प्रस्तुत है संजीव कौशल से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

प्रश्न-मेरा पानी मेरी विरासत योजना क्या है?
उत्तर- संजीव कौशल ने कहा कि पिछले साल हरियाणा सरकार ने एक स्कीम चलाई थी, जिसका नाम रखा था जल ही जीवन है। इसमें हमें बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिली तो इस साल सीएम साहब ने सोचा कि इस बार बहुत अच्छी तरह से इसकी हम योजना बनाएं। उसके लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया गया।

जिसमें चार एडिशनल चीफ सेक्टरी थे, दो हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और  महाराणा प्रताप हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे। इसके अलावा इसमें कृषि विभाग के सब्जेक्ट मैटर विशेषज्ञ थे। अलग-अलग चीजों पर हमने रिपोर्ट दे चीफ मिनिस्टर के साथ विस्तृत चर्चा की। फिर उसका रिजल्ट आया तो इस स्कीम को लांच किया गया। ये स्कीम बड़ी सिंपल है।

आज कई ब्लॉक हमारे ऐसे हैं, जिनका जलस्तर 40 मीटर से नीचे चला गया।पिछले 10 साल में ही हमने देखा कि 20 मीटर जहां पर जलस्तर था वह 40 मीटर के नीचे चला गया।  उसका कारण यह है कि वहां पर लोग ज्यादा धान की फसल की खेती करते है। जिसमे पानी की बहुत अधिक खपत होती है। इसलिए हमने आठ ब्लॉकस में कहा कि हम किसानों को प्रेरित करेंगे कि जिस किसान की जितनी भी भूमि हो वह किसान आधा हिस्सा भूमि पर धान की खेती नहीं करेगा जबकि उसकी जगह कपास, मक्का या बागवानी की खेती करे।

किसान अगर ये फसल बोएगा तो सरकार की तरफ से 7 हजार रुपये प्रति एकड़ उस किसान को इंसेंटिव के रूप में दिए जाएंगे। इसके अलावा बीज के पैसे भी हम देंगे। इसके अलावा हम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में उनका बीमा भी करवाएंगे। उसमें भी किसान के पैसे हम देंगे। ये सारी चीजों को सोचकर ये योजना चलाई गई है। अब एक पोर्टल भी हमने शुरू किया है। जिसमें किसानों ने अप्लाई करना शुरू कर दिया है।

प्रश्न- अगर किसान धान की फसल की पैदावार जारी रखते हैं तो क्या कोई कानूनी प्रक्रिया भी अपनाई जा सकती है?
उत्तर- संजीव कौशल ने कहा कि मुख्यमंत्री की यह सोच है कि मक्की की फसल का पहली बार इस साल हम शत-प्रतिशत प्रोक्योरमेंट करेंगे। पिछले साल इसका न्यूनतम मूल्य 1760 रुपये था। जबकि इस साल ये बढ़ेगा। हमारा अंदाज है कि सरकार 22 लाख क्विंटल मक्की की प्रोक्योरमेंट सरकार करेगी। 352 करोड़ की सीसीएल लिमिट से हम इसकी प्रोक्योरमेंट करेंगे।

इसके अलावा जहां कोई किसान अगर सब्जी या फल बिजेगा। उसके लिए हमने भावन्तर भरपाई योजना चलाई हुई है। इसमें किसान को पूरे पैसे मिल सकें। ये सब कुछ करते हुए भी अगर कोई किसान हमारी प्रेरणा के विपरीत आधे रकबे में धान ही बोयेगा तो वह सरकार की इन सुविधायों से वंचित हो जाएगा। इसलिए मैं नही मानता कि कोई किसान ऐसा फैसला करेगा। उन्हाेंने कहा कि हमारे पास 30 हजार एकड़ से अधिक की कमिटमेंट आ चुकी है।

उन्हाेंने कहा कि एक दूसरा फैसला सरकार ने लिया है कि लोग ये ना सोचे कि सिर्फ किसान पर बात करते हैं। हम पंचायती जमीन पर भी यही फैसला कर रहे हैं। हमारे 19 ब्लॉक ऐसे हैं। जिनमें 35 मीटर तक जलस्तर जा चुका है।

काैशल ने कहा कि 8 ब्लॉक के इलावा सारे हरियाणा में जो लोग पहले धान उगाते थे, हमारे पास अप्लाई करके वह अन्य फसलों की तरफ जाना चाहे तो हम उनको भी 7000 रुपये प्रति एकड़ और अन्य बताई गई सुविधाएं देंगे। इस नीति का मेरे ख्याल में हमें बहुत स्पोर्ट मिलेगा। आशा करते है कि ये कामयाब होगा।

प्रश्न- हरियाणा में बहुत से ऐसे व्यापारी है जो चावल एक्सपोर्ट करते हैं। क्या उनके व्यापार पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा?
उत्तर- संजीव कौशल ने कहा कि व्यापार को बढ़ावा देना तो सरकार का काम है।हमारा 55 प्रतिशत इलाका जो धान बिजता है वो बासमती बीजता है। बासमती में स्टबल बर्निंग की समस्या भी नहीं होती। मैं नही मानता कि उस बिजनेस को कोई कमी होगी। 

प्रश्न- लॉकडाउन के दौरान सब्जियों की खपत में कोई कमी नजर आई?
उत्तर- संजीव कौशल ने कहा कि हां कई जगह पर रेट्स के चैलेंज आए हैं। शुरू- शुरू में कई जगह दिक्कत आई, लेकिन हमारे किसान जो एक योद्धा की तरह काम करते है। उन्होंने इस दूरी को भी दूर किया है। दिल्ली की आजाद पर मंडी की वजह से भी थोड़ा संशय रहा। लेकिन हमारे 150 से 300 ट्रक सब्जी के दिल्ली की तरफ प्रस्थान होते रहे। उसका बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ा।

हरियाणा में लॉकडाउन का असर सब्जी उत्पादक किसानों पर पड़ा है। लॉकडाउन की वजह से सब्जियों की खपत में कमी आई है। इंटर-स्टेट बाॅर्डर सील होने की वजह से दिल्ली की आजादपुर मंडी तक भी किसानों को अपनी सब्जियां पहुंचाने में परेशानी आई। किसानों को होने वाले नुकसान को भांपते हुए सरकार ने ‘भावांतर भरपाई’ योजना का पंजीकरण बढ़ा दिया है। किसान 31 मई तक अपने फसलों व सब्जियों का रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे।

आमतौर पर 31 मार्च तक ही रजिस्ट्रेशन हो सकता था, लेकिन कोविड-19 को देखते हुए इसकी अवधि बढ़ाई गई। हरियाणा में 7 लाख 70 हजार हेक्टेयर यानी लगभग सवा नौ लाख एकड़ जमीन में सब्जियों का उत्पादन होता है। इन दिनों में प्रदेश में मुख्यत: टमाटर, शिमला मिर्च, घिया, तोरी, करेला, खीरा, मिर्च, भिंडी आदि का उत्पादन होता है।

सरकार ने इस सभी सब्जियों को भावांतर भरपाई योजना में कवर किया है। प्रदेश सरकार ने इन सब्जियों का संरक्षित मूल्य तय कर दिया है। मार्केट में अगर इससे कम रेट मिलते हैं तो किसानों को मिले भाव और संरक्षित कीमत के बीच का गेप सरकार द्वारा किसानों को दिया जाएगा। इस सीजन में आम का काफी उत्पादन होता है। ऐसे में सरकार ने इसका भी संरक्षित मूल्य तय किया है। पंजीकृत किसानों को ही योजना के तहत लाभ मिलेगा। मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल के जरिए भी किसान पंजीकरण करवा सकेंगे।

प्रश्न- भावन्तर योजना के तहत रजिस्ट्रेशन की डेट आगे की गई है?
उत्तर- उन्हाेंने कहा कि हमने इसे 31 मई तक कर दिया है। यही देखते हुए कि किसानों को कोई भी नुकसान न हो। हमारे पास पहले 28 हजार किसान एनरोल कर चुके थे और हमारे पिछले तीन-चार दिन में ही जो मुझे सूचना मिली है। हजार पंद्रह सौ और किसान इसमे अप्लाई कर चुके हैं।

प्रश्न- सब्जियों को खरीदने के लिए क्या सरकार की तरफ से कोई रेट निर्धारित किये गए हैं?
उत्तर- उन्हाेंने कहा कि 19 सब्जियां हम भावन्तर भरपाई योजना के अंतर्गत प्रोटेक्ट करते है। उसमें हमने कृषि वैज्ञानिकों की टीम बनाई हुई है। इसमें हम निर्धारित कर देते हैं कि किसान की कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन कितनी है और कितनी कॉस्ट को प्रोटेक्ट करने की आवश्यकता है। किसान को मंडी में अगर उतनी कीमत नहीं मिलती तो बाकी की कीमत की भरपाई सरकार की तरफ से की जाती है।

प्रश्न- दिल्ली आजादपुर की तरफ वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित था अब कितने वाहनों को अनुमति है?
उत्तर- संजीव कौशल ने कहा कि भारत सरकार के जो दिशानिर्देश जहां तक मैं जानता हूं उसमें इंटर स्टेट गुड्स की मूवमेंट पर कोई बंदिश नहीं है। 300 के करीब वाहन सोनीपत से दिल्ली की तरफ प्रतिदिन जा रहे हैं। इसमें कोई समस्या नहीं है।

किसान को कोई दिक्कत आए उसके लिए हम सुविधा देने के लिए मौजूद है। उन्हाेंने कहा कि एक और सूचना देना चाहूंगा कि 50% सब्सिडी सब्जियों की मूवमेंट के लिए भारत सरकार ने भी घोषणा की है। ”भावांतर भरपाई योजना के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सभी मार्केट कमेटियों को निर्देश हैं कि किसानों की सब्जियों के उत्पाद का विपणन व ‘जे’ फार्म जारी करना सुनिश्चित करें। अगर सब्जियों के भाव सरकार द्वारा निर्धारित संरक्षित मूल्य से कम रहते हैं तो सरकार द्वारा भावांतर भरपाई की जाएगी। ”

सरकार किसानों को डायरेक्ट मार्केटिंग से जोड़ने के लिए विशेष मुहिम चला रही है। अभी 110 किसान उत्पादक संघों के माध्यम से लाइसेंस जारी किए गए हैं। इनके जरिए किसानों द्वारा सीधे ही उपभोक्ताओं तक रोजाना लगभग 8 हजार क्विंटल सब्जियों की बिक्री हो रही है। सरकार ने किसानों से आग्रह किया है कि वे मिलकर संघ बनाएं ताकि उनके उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंच सकें और सीधा लाभ मिले।


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Edited By

vinod kumar

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