‘अपना घर’ नहीं ‘जेल’ था जसवंती का होम शैल्टर, बाहर झांकने पर मिलती थी कड़ी यातनाएं

punjabkesari.in Saturday, Apr 28, 2018 - 12:42 PM (IST)

रोहतक (देवेंद्र दांगी): भारत विकास संघ नाम की एन.जी.ओ. द्वारा संचालित उस शैल्टर होम का नाम भले ही ‘अपना घर’ रखा गया था मगर वह किसी ‘अघोषित जेल’ से कम नहीं था। एक ऐसी जेल जिसमें रहने वाली छोटी बच्चियों एवं महिलाओं का गुनाह ये था कि उन्होंने कोई गुनाह ही नहीं किया था। बावजूद इसके उनको अपना घर नाम की इस ‘कारागार’ में कैद करके रखा जाता था। इस घर से बाहर निकलता तो दूर की बात खिड़की से गली की तरफ झांकना तक भी यहां गुनाह समझा जाता था। अगर कोई लड़की ऐसा करने का साहस भी कर लेती तो अंग्रेजों के जमाने की जेलर की भांति जसवंती एवं उसकी टीम के बाकी गुर्गे उन बच्चियों को गरम चिमटों तक से दागने से परहेज नहीं करते थे। 

दिल्ली से आई राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम की रेड के बाद यहां से मुक्त करवाई गई बच्चियों ने खुद यह सनसनीखेज खुलासा किया था, जिसके बाद प्रदेश में भूचाल आ गया था। कुछ नामचीन सियासी लोगों के नाम भी इस मामले में उछले थे और विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर सत्तापक्ष के नेताओं पर भी गंभीर सवाल उठाए थे जिसके चलते यह केस सी.बी.आई. को हैंडओवर कर दिया था। इससे पूर्व यहां से मुक्त करवाई गई बच्चियों ने जो आपबीती सुनाई थी उसे सुनकर पत्थर दिल भी कांप उठे थे।

शैल्टर होम में लांघ दी गई थीं पशुता की भी सीमाएं
रोहतक के इस विवादास्पद शैल्टर होम में मासूमों के खिलाफ हुए अत्याचारों की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट में पूरे विस्तार से हैवानियत का खुलासा किया गया है। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे मासूमों के साथ पशुता की भी सीमाएं लांघ दी गई थीं। यह रिपोर्ट यातनाओं, अत्याचार, पोर्नोग्राफी, ड्रग्स, जबरन गर्भपात, नग्न परेड और भुखमरी जैसे शब्दों से भरी पड़ी है। सफेद रंग-रोगन करके चमकाए गए ‘अपना घर’ के अंदर का काला सच सामने आया तो पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा इसकी गहराई से छानबीन के लिए वकीलों की एक 4 सदस्यीय समिति का गठन भी किया था। इस दरम्यान की गई जांच समिति ने भी अपनी गोपनीय रिपोर्ट जस्टिस एल.एन. मित्तल और जस्टिस गुरमीत सिंह संधवालिया की अवकाश पीठ को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में मामले की सच्चाई लिखते हुए इस केस की जांच केंद्रीय जांच एजैंसी से करवाए जाने की जरूरत बताई थी।

इन्कार करने पर निर्वस्त्र कर पंखे से लटकाकर की गई पिटाई
समिति सदस्यों ने बहादुरगढ़ के बाल भवन के पीड़ितों का भी खासतौर से जिक्र किया था और कहा था कि उनसे सामना होने पर जो बातें निकली वे झंझोर देने वाली थीं। 5 से 10 साल के बच्चों ने बताया कि कैसे जय भगवान और सतीश उनको गलत काम के लिए मजबूर करते थे। मना करने पर उन्हें निर्वस्त्र करके कपड़े या दुपट्टे के साथ पंखे से बांधकर बांस की छड़ी से पीटा जाता था। रिपोर्ट के अनुसार पीड़ितों को शराब पीने एवं ड्रग्स के लिए भी मजबूर किया जाता था। इसमें बच्चे, जवान और बूढ़े सब शामिल हुआ करते थे। शोषण की वीडियो भी बनाई जाती थी।

लड़की को निर्वस्त्र होकर स्वीमिंग पूल में उतरने पर किया मजबूर
समिति की रिपोर्ट में एक वाक्या ऐसा भी है जिसे सुनकर किसी पत्थर दिल इंसान का भी खून खौल उठे। जिक्र उस लड़की के बयान का किया गया है जिसने बताया कि पहले तो उसे घुमाने के नाम पर चंडीगढ़ ले जाया गया और फिर जबरन सारे कपड़े उतरवाकर स्वीमिंग पूल में नहाने को मजबूर किया गया। स्वीमिंग पूल में निर्वस्त्र हालत में उसका वीडियो भी बनाया गया।

पैसे लेकर बाहरी लोगों को परोसी जाती थीं किशोरियां
समिति ने अपनी जांच में बताया था कि कई नाबालिग लड़कियों को पैसे लेकर बाहर के लोगों के सामने भी परोसा जाता रहा। उनको शराब पिलाई जाती थी या कोई अन्य ड्रग्स दिया जाता था। उन्हें यह कहकर बाहर भेजा जाता था कि उनकी शादी उन्हें ले जा रहे आदमी के साथ करवाई जाएगी। इस कारण कोई विरोध की गुंजाइश कम रहती थी। 

भेद खुलने पर सरकार ने वापस लिए थे जसवंती को दिए अवार्ड
एक वक्त था जब शैल्टर होम अपना घर चलाने वाली जसवंती की तूती बोलती थी। उसका रुतबा ऐसा था कि अच्छे-अच्छे अधिकारी भी सलाम ठोकते थे। इसका कारण था जसवंती का राजनीतिक हस्तियों के साथ रसूक। उसके कई बड़े नेताओं से करीब के संबंध रहे। कई नेताओं के साथ जसवंती के बड़े-बड़े फोटो इस बात के गवाह रहे हैं कि उसकी पकड़ कितनी मजबूत रही होगी। जसवंती के रसूक ही थे कि उसे सरकार की तरफ से 2011 में इंदिरा गांधी महिला शक्ति अवार्ड से नवाजा गया था। उसके अलावा जसवंती को कई अन्य सम्मान पत्र एवं अवार्ड दिए गए थे। बाद में जब भेद खुला और हंगामा बरपा तो शासन ने अवार्ड वापस लेने की घोषणा की थी। 

महिला से छीनकर बेचा बच्चे को
समिति की रिपोर्ट के अनुसार रोहतक के सहारा सेवा आश्रम में बातचीत के दौरान 35 साल की एक महिला ने बिलखते हुए खुलासा किया कि उसके बच्चे को उससे छीनकर किसी को बेच दिया गया और वह कुछ नहीं कर पाई। बच्चा बेचने का आरोप उसने जसवंती पर लगाया था। जांच रिपोर्ट में इस घटना का भी जिक्र करते हुए बताया गया है कि उक्त महिला ने जब अपना बच्चा बेचे जाने की बात पर एतराज किया तो जसवंती ने कैंची उठाकर उसके गुप्तांगों में घुसेड़ दी थी। समिति ने रिपोर्ट में कई नवजात शिशुओं (खासकर लड़के) बेचे जाने का जिक्र है।

साक्षात्कार के बाद डी.एन.ए. मैचिंग की भी बताई थी जरूरत  
सूत्रों के मुताबिक यह जांच रिपोर्ट 101 पीड़ितों के साथ हुए साक्षात्कार पर आधारित थी। इस रिपोर्ट के अनुसार शैल्टर होम चलाने वाली जसवंती, उसके रिश्तेदार, बाहर वालों सहित पुलिस के भी कुछ लोग इस सारे कारनामे में शामिल थे। जांच को व्यापक दायरा देते हुए समिति के 2 सदस्यों अनिल मल्होत्रा और सुदीप्ति शर्मा ने ‘अपना घर’ के हरियाणा के विभिन्न जिलों में चल रहे 12 शैल्टर होम्स में रह रहे 4 साल के बच्चे-बच्चियों से लेकर 60 साल के बुजुर्गों तक से बातचीत की थी। इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट में इस बात की भी सिफारिश की गई थी कि यदि कोई पीड़िता गर्भवती पाई जाती है तो उसका डी.एन.ए. करवाकर आरोपी जय भगवान और सतीश के डी.एन.ए. से मिलाया जाए।
 


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Nisha Bhardwaj

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