अटल ने रोका था रोहतक में हुड्डा का विजयी रथ, इतने अंतर से हराया

punjabkesari.in Friday, Aug 17, 2018 - 03:27 PM (IST)

रोहतक:  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विजयी रथ को 1999 में न सिर्फ रोका, बल्कि भाजपा- इनेलो गंठबंधन के प्रत्याक्षी कैप्टन इंद्र सिंह ने हुड्डा को डेढ़ लाख के अंतर से हराया। इससे पहले हुड्डा 1991-97 और 1998 में लोकसभा चुनाव तीन बार जीत चुके थे। 1996 में बंसीलाल की सरकार बनी थी, लेकिन शराब बंदी के चलते डगमगा रही हरियाणा विकास सरकार से कुछ विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया। साथ ही भाजपा व इनेलो के साथ मिलकर 1998 में सरकार बनी ली। इस बीच सितंबर 1999 में लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा।  इनेलो एनडीए में शामिल हो गई और प्रदेश में पांच सीटों पर भाजपा और पांच पर इनेलो ने चुनाव लड़ा। प्रदेश में सबसे अहम सीट रोहतक की रही। इस दौरान हुड्डा ने दिग्गज नेता देवालाल को भी शिक्सत दी थी।

इस दौरान भाजपा व इनेलो के रणनीतिकारों ने रोहतक के अंदर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिकस्त देने के मास्टर प्लान तैयार किया। कैप्टन इंद्र सिंह को हुड्डा के खिलाफ न केवल मैदान में उतारा गया, बल्कि अटल बिहारी बाजपेयी की रैली कराने का फैसला किया गया। रोहतक के बीचोबीच पुलिस लाइन में अटल बिहारी वाजपेयी की जनसभा हुई। खुद नरेंद्र मोदी तक रोहतक अाए। पुलिसलाइन से नारा दिया गया कि तीसरी बारी अटल बिहारी, क्योकि अटल एक बार 13 दिन , दूसरी बार 1 माह तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं। भाजपा व इनेलो रणनीतिकरों की प्लानिंग कामयाब रही, हुड्डा डेढ़ लाख से चुनाव हार गए। 

कैप्टन इंद्र सिंह पूर्व सासंद इनेलो
भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 1999 के लोकसभा चुनाव में डेढ़ लाख वोट से हराया। चुनाव के दौरान पुलिस लाइन में जनसभा हुई। भीड़ व कार्यकर्ताओं का उत्साह देखकर अटल बोले, समझो औप सासंद बन गगए।  वे राजनीति के ुपर उटकर सुलझे नेता थे। निष्पक्षतता उनके अंदर कूट- कूट कर भरी थी। साढ़े 4 साल उनके साथ सरकार में रहा। जब भी मिलते नमस्ते का जबाव हाथ मिलाकर देते थे। उनकी कमी देश कभी पूरी नहीं कर सपाएगा। 

2004 में अलग हुई भाजपा
लोकसभा चुनाव में जीत के बाद प्रदेश में 2000 में विधानसभा चुनाव हुई। एक साल   पहले लोकसभा चुनाव में पांच सीट जीटने के बाद भाजपा विधानसभा में मात्र छह सीट ही जीत सकी। जबकि इनेलो को 45 सीटें मिली। अोमप्रकाश चौटाला मुख्मंत्री बने, लेकिन भाजपा सरकार में शामिल नहीं हुई। 2004 में चुनाव से पहले भाजपा के विधायकों ने त्यागपत्र दे दिया। विधानसभा में इनेलो को कांग्रेस ने कड़ी शिकस्त दी और भूपेंद्र हुड्डा मुख्यमंत्री बने। 


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Deepak Paul

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