मां ने मजदूरी करके पाला...अब करनाल के बेटे ने Paris Olympics में रचा इतिहास, इस कैटेगरी में खेलेगा फाइनल

punjabkesari.in Wednesday, Jul 31, 2024 - 02:56 PM (IST)

डेस्क(सौरभ बघेल): पेरिस ओलंपिक में हरियाणा से 24 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। 24 खिलाड़ियों की इस लिस्ट में नीरज चोपड़ा, विनेश फोगाट जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं, लेकिन इसी लिस्ट में एक और नाम है बलराज पंवार है। जिससे कम ही लोग परिचित हैं। लेकिन अब शायद वक्त बदल रहा है, क्योंकि कर्ण नगरी करनाल के 25 वर्षीय छोरे ने ओलंपिक में वो कर दिया जो अभी तक किसी भारतीय ने नहीं किया। रोइंग में पुरुष एकल स्कल्स के क्वार्टर फाइनल में पहुंच बलराज ने इतिहास रच दिया था, लेकिन वह इससे आगे नहीं जा पाए।   

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भारत के स्टार रोअर बलराज पंवार ने पुरुष एकल स्कल्स स्पर्धा के सेमीफाइनल C/D में जगह बनाया था। वहीं आज पंवार सेमीफाइनल सी/डी में 06वें स्थान पर रहे और अब फाइनल डी में पहुंचेंगे। अब वह 2 अगस्त को दोपहर 01:48 बजे IST पर फाइनल डी में प्रतिस्पर्धा करेंगे। इससे पहले वह  क्वार्टर फाइनल में 2000 मीटर की दूरी  (7:05:10) समय के साथ पूरी की। उन्होंने पांचवें स्थान पर रहते हुए अंतिम 4 का टिकट कटाया था।  जिसमें वह आज उन्होंने 13वें से 24वें स्थान के लिये खेला, लेकिन यहां एक बार फिर झटला लगा। अब वह D के फाइनल में खेलेंगे। वह दो मुकाबलों में पिछड़ने के बाद रेपचेज D के फाइनल में खेलेंगे।

रोइंग में क्या होता है रेपचेज

रोइंग में रिपेचेज ट्रैक इवेंट की तरह ही होता है। प्रत्येक हीट से तीन सबसे तेज रोअर या टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचती हैं। बाकी रिपेचेज राउंड में जाते हैं। प्रत्येक रिपेचेज रेस से शीर्ष दो खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में भी पहुंचते हैं।

बलराज रोइंग कैरियर

पंवार ने 21 अप्रैल 2024 को दक्षिण कोरिया के चुंगजू में एशिया-ओशिनिया ओलंपिक क्वालीफिकेशन रोइंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता और 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए रोइंग में भारत का पहला ओलंपिक कोटा बुक किया।  वह 2 किमी की दौड़ में पहले 1600 मीटर तक आगे चल रहे थे, लेकिन आखिरी 500 मीटर में समय गंवा दिया। लेकिन उनकी शुरुआती बढ़त ने उन्हें ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने में मदद की। 

इससे पहले, वह फाइनल के लिए क्वालीफाई करने के बाद 2022 एशियाई खेलों में कांस्य पदक से चूक गए थे । दूसरे रिजर्व के रूप में, वह एशियाई खेलों में अंतिम मिनट के प्रतिभागी थे।  उन्होंने जुलाई 2023 में एशियाई खेलों से पहले स्विट्जरलैंड में विश्व चैम्पियनशिप में भी भाग लिया था। सेना में, उन्हें 6 फुट की ऊंचाई और अपने पहले प्रयास में बटालियन रेगाटा जीतने के कारण नौकायन के लिए चुना गया था।इससे पहले, उन्होंने 2022 राष्ट्रीय खेलों और 2023 राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया था।

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संघर्षो से भरा बचपन, मां ने मजदूरी 4 भाई बहनों को पाला

कर्ण नगरी करनाल के बलराज पंवार ने गांव कैमल से ओलंपिक तक पहुंचने के लिए कुछ वैसा ही संघर्ष किया, जैसा महाभारत में धनुर्धर कर्ण का था। पंवार जब 10 वर्ष के थे तब उनके पिता रणधीर की मृत्यु हो गई। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। परिवार चलाने की जिम्मेदारी उनकी मां की थी। बलराज की मां कमला ने उन्हें और चार अन्य भाई-बहनों को सब्जियाँ चुनने, दूध बेचने, निर्माण स्थलों पर काम करने या गेहूं काटने जैसे छोटे-मोटे काम करके पाला। बड़े होने बाद बलराज अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए एक सिपाही के रूप में भारतीय सेना में शामिल हो गए।

बलराज के पिता होते तो खुशी से नाच उठते

बलराज की इन उपल्बधियों उनकी मां बहुत खुश हैं। उनकी  मां कमला देवी, इस खुशी के पल में अपने स्वर्गीय पति को याद कर रही हैं। वह कहती हैं, अगर आज उनके पिता जिंदा होते तो खुशी से नाच उठते।

कड़ी मेहनत से पाया मुकाम
बलराज की पत्नी सोनिया का कहना है कि बलराज ने कड़ी मेहनत करके मुकाम तक पहुंचा है। वे ओलंपिक का कोटा हासिल करने के लिए तीन साल से मेहनत कर रहे थे।

बचपन से खेलों में रुचि
बलराज के भाई संदीप का कहना है कि उनके भाई बचपन से ही खेलों में रुचि रखते हैं तथा अपने लक्ष्य को पाने के लिए अथक प्रयास भी करते हैं। उसी की बदौलत उन्होंने ओलंपिक तक का सफर तय किया है।

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Content Editor

Saurabh Pal

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