औद्योगिक नगरी में धड़ल्ले से बिक रही प्रतिबंधित मछलियां, अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा कारोबार

punjabkesari.in Monday, Jul 19, 2021 - 04:25 PM (IST)

पानीपत (सचिन शर्मा): अगर आप मछली खाने का शौक रखते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। पानीपत की मछली मंडी में प्रतिबंध के बावजूद थाई कैट फिश की खुलेआम बिक्री हो रही है। विदेशी थाई कैट फिश जिसे थाई मांगुर भी कहा जाता है, पर्यावरण के लिए खतरा बनती जा रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत में प्रतिबंध लगाने के बाद भी पानीपत जिले में इसे खुलेआम बेचा जा रहा है और इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।

बता दें कि हरियाणा में मछली मंडी सिर्फ तीन जिलों में बनाई गई है पानीपत, यमुनानगर और फरीदाबाद। पानीपत जिले की मछली मंडी में थाई कैट फिश की खुले आम बिक्री हो रही है और अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहें हैं। दरअसल, थाईलैंड में विकसित की गई ये मछली की प्रजाति मांसाहारी है। ये मछली गंदे पानी में भी तेजी से बढ़ती है और सभी जलीय जीवों को चट कर जाती है।

2019 में एनजीटी  ने इस पर निर्देश भी जारी किए हैं, जिसमें लिखा गया था कि विभाग के अधिकारी टीम बनाकर निरीक्षण करें। जहां भी इस मछली का पालन या बिक्री हो रही है उसे तुरंत नष्ट करें। ऐसी मछलियों के बीज को भी नष्ट किया जाए और नष्ट करने में खर्च होने वाली राशि भी उसी व्यक्ति से ली जाए जो इस मछली को पाल रहे हैं। जब इस बारे में जिले के जिला मत्स्य अधिकारी से बात की गई तो वो इस तरह अनजान बन गए जैसे उन्हें इस बात की सूचना ही नहीं है। हालांकि इनके ऑफिस से मछली मंडी सिर्फ 5 कदम की दूरी पर है। जब पत्रकारों ने इनसे सवाल जबाव किए तो वो कहने लगे आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है और अब इस पर एक्शन लिया जाएगा।

इस मछली को वर्ष 1998 में सबसे पहले केरल में बैन किया गया था। इसके बाद सरकार ने इस पर एक्शन लेते हुए सन 2000 में पूरे देशभर में इसकी बिक्री और पालन पर रोक लगा दी थी, लेकिन अधिक मुनाफे के चक्कर में पानीपत जिले में तालाबों और नदियों में कुछ लोग थाई मांगुर मछली को पाल रहे हैं, क्योंकि ये मछली 4 से 5 महीने में ही ढाई से 3 किलो तक वजनी हो जाती है और बाजारों में इसकी कीमत कम होने के कारण गरीब तबके के लोग इसे आसानी से खरीद लेते हैं। 

इस बारे में सामान्य अस्पताल के डॉक्टर अमित कुमार से बात की गई तो उनका कहना था कि इस मछली में दो तरह के फैटी एसिड पाए जाते हैं ओमेगा-3 और ओमेगा-6। इस मछली को खाने से कई प्रकार के कैंसर जैसे बड़े शारीरिक रोग उत्पन्न हो सकते हैं। क्योंकि ये मछली मांसाहारी है और गला सड़ा मांस भी खा जाती है, इसलिए भारत में इस मछली की बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
 

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Content Writer

vinod kumar

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