कैथल के पूर्व CMO सुरेंद्र नैन की बड़ी मुश्किलें, इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश (VIDEO)

punjabkesari.in Wednesday, Mar 02, 2022 - 09:43 PM (IST)

कैथल (जयपाल) :  कैथल के पूर्व सिविल सर्जन सुरेंद्र नैन पर चिंता के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने आदेश जारी किए गए हैं। मामला 2011 का है जब के सिविल सर्जन सुरेंद्र नैन ने हरियाणा सरकार की आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत कैथल के सरकारी अस्पताल में गैरकानूनी तरीके से विभाग की बिना अनुमति के स्वीकृति पदों की संख्या से लगभग दोगुने आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत कर्मचारियों को भर्ती कर लिया था तथा इनको वेतन देने के लिए आउटसोर्सिंग के बजट हेड से अलग दूसरे बजट हेड से तनख्वाह देता रहा. जिससे सरकारी खजाने को लगभग 45.19 लाख रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ था।

इस मामले को लेकर खुलासा 2013 में हुई ऑडिट रिपोर्ट में हुआ इसके बाद 2014 में तत्कालीन सिविल सर्जन आदित्य स्वरूप गुप्ता ने पूरे मामले की जांच की और आर्बिट्रेटर अवार्ड पास करते हुए डॉ सुरेंद्र नैन को अपनी रिपोर्ट में दोषी पाया और इस पर कार्रवाई करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक को पत्र लिखा। इसके बाद यह पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया और सुरेंद्र नैन विभाग में नौकरी करता रहा ।

लेकिन जब 2020 में इस घोटाले का पता कैथल के ही आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर को लगा तो उसने इस मामले की शिकायत सीएम विंडो में की जिसकी शिकायत पर यह पूरा मामला दोबारा से खुल गया और इस संबंध में महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं ने सीएमओ कार्यालय से इस पूरे मामले में सरकार को हुई वित्तीय हानि का पूरा रिकॉर्ड मांगा जिस महानिदेशक कार्यालय को में सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा बताया गया कि है कि सुरेंद्र जैन द्वारा गलत तरीके से कर्मचारियों को भर्ती करके सरकार को 45.19 लाख रूपये की राशि का चूना लगाया है।

अब इस मामले में कैथल के डीसी प्रदीप दहिया ने गंभीरता से तुरन्त संज्ञान लेते हुए दोषी सुरेंद्र नैन के खिलाफ सरकार को हुए लाखों रुपए के वित्तीय के आर्थिक नुकसान के संदर्भ में एसपी कैथल को FIR दर्ज कर कार्रवाई करने बारे पत्र लिखा है।
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इस विषय में कैथल के डीसी प्रदीप दहिया ने बताया कि जिला नागरिक हस्पताल में 2011 में आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत कर्मचारी रखे जाने थे जिसबीच पूर्व सीएमओ ने विभाग द्वारा स्वीकृत किये पदों से ज्यादा की संख्या में कर्मचारी रख लिए थे। इसका बात का पता 2013 में हुई ऑडिट रिपोर्ट में लगा। और जो वित्तीय हानि हुई थी उसका आकलन 2014 में हुआ था। इस मामले में उन्होंने कुछ पैसे जमा भी करवा दिए थे और मामले में संबंधित एजेंसी की भी कमी पाई गई थी। अब इस मामले में उन्होंने एसपी कैथल को एफआईआर करने बारे लिखा है । DC ने कहा कि दोषी सीएमओ रिटायरमेंट हो चुके हैं उसके बावजूद भी उनको यह रिकवरी देनी पड़ेगी क्योंकि उनके जो बेनिफिट ओर पेंशन है वह रोक दी जाएगी। फिलहाल अब पूर्व सीएमओ रिटायर हो चुका है अब देखने वाली बात यह रहेगी कि पुलिस कब तक दोषी पूर्व सिविल सर्जन के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू करती है।

 

 


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Content Writer

Shivam Yadav

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