लोकसभा चुनाव में नए चेहरों पर दांव खेलती नजर आएगी भाजपा

punjabkesari.in Friday, Mar 30, 2018 - 08:19 AM (IST)

हिसार(ब्यूरो): अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में संघ से लेकर सरकार तक में अभी से सत्ता ‘वापसी’ का माहौल तैयार होने लगा है। इसके लिए उन ‘योद्धाओं’ की फेहरिस्त तैयार की जा रही है जो सियासी दंगल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयीरथ के सारथी बनेंगे।

प्रदेश में लोकसभा की 10 सीटों पर भाजपा थिंकटेंकरों ने फोकस करना शुरू कर दिया है। यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि जींद में फरवरी की हुंकार रैली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन सीटों पर फोकस करने की हिदायत दी थी, जिन 3 सीटों पर भाजपा मोदी लहर के बावजूद हार गई थी। 
 

इसे जीत में बदलने व कई सीटों पर पुराने योद्धाओं के पीछे हटते कदमों के मद्देनजर 6 सीटों पर नए चेहरे ही उतारने पड़ सकते हैं। कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनावों में इस बार अधिकतर सीटों पर नए सूरमा चुनावी जंग में दिखेंगे। बताते चलें कि 15 फरवरी को जींद की हुंकार रैली में अमित शाह ने प्रदेश की सभी 10 सीटों को जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था।

सूत्रों के अनुसार पार्टी सिरसा सीट पर सरकार में चेयरपर्सन सुनीता दुग्गल, राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी या रेखा बिदलान पर दांव खेल सकती है। इन दिनों जहां सुनीता दुग्गल सिरसा संसदीय क्षेत्र में सक्रिय है तो वहीं कृष्ण कुमार बेदी भी निरंतर पगफेरा कर रहे है। 

हिसार से केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के पुत्र व आई.ए.एस बृजेंद्र सिंह या प्रो. छत्रपाल सिंह के नाम पर विचार कर सकती है। यहां से दुबई के उद्योगपति व हिसार के मूल निवासी अशोक गोयल का नाम चर्चा में है। वह भाजपा के बड़े नेता के करीबी होने के साथ-साथ हिसार में भी सक्रिय है।

इसी प्रकार भिवानी-महेंद्रगढ़ से शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा या सुधा यादव को उतारा जा सकता है। हालांकि भिवानी सीट से कृषि मंत्री ओ.पी. धनखड़ भी इच्छुक बताए जा रहे हैं। करनाल से इस बार स्वामी ज्ञानानंद को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। स्वामी ज्ञानानंद का करनाल संसदीय क्षेत्र के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी काफी प्रभाव माना जाता है। 

यही वजह है कि भाजपा उन्हें उम्मीदवार बनाकर अन्य क्षेत्रों में भी फायदा उठाना चाहती है। हालांकि भाजपा स्वामी ज्ञानानंद को पिछली बार भी उम्मीदवार बनाना चाहती थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। उनके अलावा नगर निगम मेयर रेणु बाला व शूगर फैड के चेयरमैन चंद्रप्रकाश कथूरिया भी चर्चित हैं। सोनीपत से रमेश कौशिक वर्तमान में सांसद है व अब भी उन्हीं की संभावना है। 

यदि वे मना करते हैं तो पहलवान योगेश्वर दत्त या मार्कीटिंग बोर्ड की चेयरपर्सन कृष्णा गहलावत को आजमाया जा सकता है। रोहतक से यदि कृषि मंत्री ओ.पी. धनखड़ मना करते हैं तो शमशेर खरखड़ा पर दांव खेला जा सकता है। इसके अलावा जिला परिषद चेयरमैन बलराज कुंडू भी चर्चा में हैं। कुरुक्षेत्र से हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देवव्रत उम्मीदवार बन सकते हैं।

आचार्य देवव्रत 2014 में कुरुक्षेत्र से ही चुनाव लडऩे के इच्छुक थे, मगर पार्टी हाईकमान ने किसी गैर-जाट को चुनाव लड़ाने के फैसले के चलते उनकी जगह राजकुमार सैनी को मैदान में उतारा था। आचार्य देवव्रत के बाद जो अन्य नाम चर्चा में हैं वह पूर्व मंत्री बलबीर सैनी, अधिवक्ता अनिल मेहता व लाडवा के भाजपा विधायक। 

दूसरी तरफ गुडग़ांव से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, अम्बाला से रतन लाल कटारिया व फरीदाबाद से केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का चुनाव लडऩा तय है। बहरहाल, हरियाणा की 10 में से 6 ऐसी संसदीय सीटें हैं जहां वर्ष 2019 में नए उम्मीदवार चुनावी ताल ठोकते हुए नजर आ सकते हैं और पार्टी ने मोदी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभी से रणनीति बनानी शुरू भी कर दी है


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Punjab Kesari

Recommended News

Related News

static