SYL पर सुप्रीम संकेतो से हरियाणा को पानी मिलने के आसार, सभी नेताओं ने SC का जताया आभार

punjabkesari.in Thursday, Oct 05, 2023 - 09:50 AM (IST)

 चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): 1966 हरियाणा गठन से ले आज तक हरियाणा व पँजाब की राजनीति में बड़ा मुद्दा रहा एस वाई एल का पानी का जिन्न इस बार फिर लोकसभा चुनावों से पहले बाहिर निकला है।लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों सहित।हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले 9 सालों से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा की प्रॉपर पैरवी की है। छोटे-बड़े भाई कहे जाने वाले हरियाणा और पंजाब के बीच पानियों का झगड़ा देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया लेकिन इसका आज तक सतही हल नहीं निकल सका है। बार बार सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद पंजाब इस मसले पर टस से मस होने को तैयार नहीं अपितु विधानसभा में बिल पास करके सुप्रीम कोर्ट को भी ठेंगा दिखाता रहा है।

सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने अब तक नहर का निर्माण नहीं किए जाने पर सख्त लहजे में कहा कि हमें कठोर आदेश देने पर मजबूर न करें। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कोर्ट की मर्यादा का पालन करने की हिदायत दी। अदालत ने कहा कि पिछले दो दशक से सतलुज-यमुना लिंक नहर का निर्माण न होने पर हम चिंतित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज-यमुना लिंक नहर की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपते हुए कहा कि पंजाब में सतलुज-यमुना लिंक नहर के लिए अधिग्रहीत जमीन वापस न लौटाई जाए। अब जमीन का सर्वे केंद्र सरकार करे।

पंजाब यानी पांच नदियों का इलाका। इन्ही में से एक नदी का नाम सतलुज है। तिब्बत के मानसरोवर के नजदीक से निकलती हुई ये नदी राकसताल, भाखड़ा से पंजाब में दाखिल होती हुई व्यास से मिलती है। जबकि यमुनोत्री से निकलकर यमुना उत्तराखंड, हरियाणा से होते हुए यूपी के प्रयागराज में गंगा से मिलती है। एसवाईएल के पानी पर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला ने एक गाना बनाया था। उसने पंजाब के पानी की एक बूंद किसी को न देने की बात कही। इसे लेकर विवाद इतना बढ़ा कि इसके जवाब में हरियाणा के गीतकारों ने भी गीत लिखकर रिलीज कर मामला गर्म कर दिया। गाना कुछ समय में यू ट्यूब से हटा भी दिया गया था। एसवाईएल आज हरियाणा पंजाब की राजनीति के लिए सबसे चर्चित व टेंड्रिग टॉपिक है।



कैसे हुआ था पानी का बंटवारा
साल 1966 में राज्यों का पुनर्गठन होता है। वर्ष 1966 में पंजाब से अलग होकर 1 नवंबर को हरियाणा अलग प्रदेश बना। दोनों ने चंडीगढ़ को राजधानी के रूप में दावा किया। पंजाब को यहां की संपत्तियों में 60 फीसदी हिस्सा मिला, जबकि ?हरियाणा को 40 फीसदी हिस्सा हाथ लगा। जिसके बाद दोनो राज्यों में पानी को लेकर विवाद शुरु हो गया। हरियाणा बनने के एक दशक बाद फिर से केंद्र सरकार की एंट्री हुई। 1976 में केंद्र सरकार की तरफ से एक नया अध्यादेश जारी किया जाता है। इसमें कहा जाता है कि पंजाब को बंटवारे से पहले जो 7.20 एमएएफ पानी मिल रहा था उसमें से 3.5 एमएएफ पानी हरियाणा को दिया जाए। पंजाब की राजनीति में इस दौरान परिवर्तन का दौर देखने को मिल रहा था। अकाली दल कांग्रेस का विकल्प बनकर उभर चुकी थी। 1978 में पंजाब की मांगों पर अकाली दल ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया। मूल प्रस्ताव में सुझाया गया था कि भारत की केंद्र सरकार का केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार हो जबकि अन्य विषयों पर राज्यों के पास पूर्ण अधिकार हों। इन मांगों के इतर एक मांग ये भी थी कि पंजाब का पानी पंजाब के हित में प्रयोग हो।

1981 में एक बार फिर से समझौता हुआ और तय हुआ कि 214 किलोमीटर लंबी एक नहर बनेगी। ये पंजाब में बहने वाली सतलुज और हरियाणा में बहने वाली यमुना को जोडऩे का काम करेगी। इसका 122 किलोमीटर हिस्सा पंजाब में और 92 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में पड़ेगा। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 8 अप्रैल 1982 को सतलुज यमुना लिंक का उद्घाटन किया। नहर का विरोध होता रहा। 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी व अकाली दल के संत हरचंद सिंह लोंगोवास के बीच समझौता हुआ था। समझौते के अनुसार, चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपना तय हुआ। यह समझौता हुआ कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी रहेगी और हरियाणा अलग राजधानी बनाएगा। इसके मुताबिक अगस्त 1986 तक नहर निर्माण का कार्य पूरा किया होगा व शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के नेतृत्व वाली एजेंसी शेष पानी पर पंजाब व हरियाणा की हिस्सेदारी तय करेगा। ट्रिब्यूनल ने पंजाब के पानी कोटे को बढ़ाने का सुझाव दिया।


सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हरियाणा
एसएस बरनाला के नेतृत्व वाली अकाली दल सरकार ने 700 करोड़ की लागत से नहर का 90 फीसदी काम पूरा भी किया लेकिन 1990 में सिख उग्रवादियों ने जब दो वरिष्ठ इंजीनियरों व नहर पर काम कर रहे 35 मजदूरों को मार डाला तो इसका निर्माण कार्य बंद कर दिया गया।
साल 1996 में हरियाणा ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए मांग की कि पंजाब नहर का निर्माण कार्य पूरा करे। अदालत ने जनवरी 2002 व जून 2004 में नहर के शेष भाग को पूरा करने का आदेश दिया। केंद्र ने साल 2004 में अपनी एक एजेंसी से नहर के निर्माण कार्य को अपने हाथों में लेने को कहा लेकिन एक महीने बाद पंजाब विधानसभा ने बिल लाकर जल बंटवारे से जुड़े सभी समझौतों को खत्म कर दिया। 2020 में फिर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को केंद्र सरकार की मध्यस्थता से विवाद का निपटारा करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने दी थी राहत
तत्कालीन चौटाला सरकार के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि एसवाईएल के पानी पर हरियाणा का हक बनता है। पंजाब हरियाणा को उसके हिस्से का पानी दे। लेकिन ऐसा संभव हुआ नहीं। मसले को लेकर राजनीति लंबे समय से चल रही है। हाल ही में पंजाब के सीएम भगवंत मान और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल के बीच बातचीत भी हुई थी लेकिन इसका अंजाम सभी को पता था। मसला बेनतीजा रहा और चाय पर चर्चा के अलावा इसमें कुछ नहीं हुआ।

अभय चौटाला ने किया जल युद्ध
इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने कुछ समय पूर्व एसवाईएल के पानी पर हरियाणा के हक का दावा करते हुए जल युद्ध भी किया और इसके माध्यम से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर नहर की खुदाई के लिए पहुंचे पर अभय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। अभय सिंह चौटाला को इस आंदोलन के लिए ‘जलनायक’ भी उनकी पार्टी में कहा जाने लगा। 


केंद्र एसवाईएल  के सर्वे का कार्य बिना देरी के पूर्ण करवाकर हरियाणा को वर्षों से लंबित उसका हक़ दिलवाने का कार्य करे--मनोहर लाल

मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने एसवाईएल के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेशों पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र एसवाईएल  के सर्वे का कार्य बिना देरी के पूर्ण करवाकर हरियाणा को वर्षों से लंबित उसका हक़ दिलवाने का कार्य करे।
 उन्हने न्यायालय का आभार जताया और पंजाब सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल हरियाणा की जीवन रेखा है और हरियाणा वासियों का हक है। उन्होंने कहा कि वे आदेश के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय का सभी प्रदेशवासियों की ओर से हार्दिक धन्यवाद करते हैं और उम्मीद करते हैं कि पंजाब सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर अविलंब अमल करेगी।

मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह  एसवाईएल  के सर्वे का कार्य बिना देरी के पूर्ण करवाकर हरियाणा को वर्षों से लंबित उसका हक़ दिलवाने का कार्य करे।  उन्होंने कहा कि पंजाब अपने क्षेत्र में एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न करके हरियाणा के हिस्से के लगभग 1.9 एमएएफ जल का उपयोग कर रहा है। हरियाणा को उसके हक का यह पानी मिलने से प्रदेश की 10.08 लाख एकड़ भूमि सिंचित होगी, प्रदेश की प्यास बुझेगी व लाखों किसानों को लाभ मिलेगा। इस पानी के मिलने से दक्षिणी-हरियाणा में जो भूजल स्तर काफी नीचे जा रहा है उसमें भी सुधार होगा। उन्होंने उम्मीद जतायी कि पंजाब सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार बिना देरी के  एसवाईएल के माध्यम से हरियाणा को उसके हिस्से का पानी देगी।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद पंजाब सरकार का झूठा और गैर जिम्मेदाराना रवैया उजागर हुआ-दिग्विजय

सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाने पर जननायक जनता पार्टी के प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया है और कहा कि हरियाणा को जल्द उसके हिस्से का पानी मिले। उन्होंने कहा कि एसवाईएल का पानी हरियाणा का हक है और उसको हम लेकर रहेंगे। दिग्विजय चौटाला ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद पंजाब सरकार का झूठा और गैर जिम्मेदाराना रवैया उजागर हुआ है और अब पंजाब सरकार को किसी अहंकार में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने पंजाब सरकार को सलाह देते हुए कहा कि अभी भी उनके पास समय है, वे हरियाणा का हक छीनने का प्रयास न करें। साथ ही दिग्विजय चौटाला ने केंद्र से मांग करते हुए कहा कि पैरामिलिट्री फोर्स लगाकर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के तहत एसवाईएल नहर का निर्माण करवाया जाए ताकि हरियाणा के किसानों को अपने हिस्से का पानी मिले।



‘सुप्रीम कोर्ट को उच्चतम न्यायालय इसी लिए माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट इंसाफ करेगा’- विज
हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कहा कि ‘‘मैं आज माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिल की गहराईयों से स्वागत करता हूं, क्योंकि हरियाणा की जनता एसवाईएल का पानी लेने के लिए सालों से इंतजार कर रही है’’। उन्होंने कहा कि एसवाईएल के पानी का इंतजार खेतों और लोगों को है परंतु पंजाब अपनी हठधर्मिता नहीं छोड रहा है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि जिस प्रकार से आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को कहा है इसका रास्ता प्रषस्त होगा और एसवाईएल जल्द ही बनकर तैयार होगी।

‘जब पंजाब नहीं मानता है तो सुप्रीम कोर्ट ही हल करेगा’ - विज
एसवाईएल में केन्द्र के हस्तक्षेप के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बातचीत का रास्ता सदा खुला रहना चािहए और कभी बंद नहीं होना चाहिए। लेकिन केन्द्र सरकारों द्वारा पहले भी प्रयास किए जा चुके हैं परंतु पंजाब मानता नहीं है। जब पंजाब नहीं मानता है तो सुप्रीम कोर्ट ही हल करेगा। 


‘सुप्रीम कोर्ट को उच्चतम न्यायालय इसी लिए माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट इंसाफ करेगा’- विज
पंजाब के मुख्यमंत्रियों द्वारा अपनी विधानसभा में एसवाईएल के मुददे पर हरियाणा के विरूद्ध दिए गए प्रस्ताव के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में श्री विज ने कहा कि हमारा संघीय ढांचा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भिन्न-भिन्न राज्य भिन्न-भिन्न तरीके से संविधान पर कार्य करें। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को उच्चतम न्यायालय इसी लिए माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट इंसाफ करेगा। उन्होंने कहा कि यह मामला आगे बढ रहा है और मैंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आज के फैसले को पढा है और निर्णय की शार्पनेस को जाना है।

 


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Content Writer

Isha

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