CM नायब सिंह सैनी व पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर का लोकसभा के साथ विधानसभा सीटों पर बढ़त का प्रयास

punjabkesari.in Sunday, Apr 21, 2024 - 05:28 PM (IST)

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर भाजपा को दस की दस लोकसभा सीटों पर जीत व 90 विधानसभा में से ज्यादातर सीटों पर अग्रणीय बनाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं।

2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने दस सीटों पर जीत ,नब्बे में से 79 विधानसभा हलकों में लीड हासिल की थी।मंत्रियों व विधायकों को खुद के निर्वाचन क्षेत्र के अलावा साथ लगते हलकों में भी पार्टी को मजबूत करने को कहा जा चुका है। लोकसभा चुनावों के लिए 25 मई को होने वाले मतदान तक विधायकों को फील्ड में ही रहने को कहा है ताकि हलकों को मजबूत किया जा सके। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने छह संसदीय क्षेत्रों - सिरसा, अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, भिवानी-महेंद्रगढ़ व फरीदाबाद में क्लीन-स्वीप किया था। इन संसदीय क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा हलकों में भाजपा प्रत्याशियों ने लीड हासिल की थी।

सिरसा में सुनीता दुग्गल, अंबाला में रतनलाल कटारिया, करनाल में संजय भाटिया, कुरुक्षेत्र से नायब सिंह सैनी, भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह और फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर ने भाजपा का परचम लहराया था।इस बार करनाल से संजय भाटिया की जगह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल,सिरसा से सुनीता दुग्गल की जगह अशोक तंवर, कुरुक्षेत्र से नायाब सैनी की जगह नवीन जिंदल तीन प्रत्याशी बदले जा चुके हैं।जबकि अम्बाला रत्नलाल कटारिया के निधन के बाद उनकी धर्म पत्नी बन्तो कटारिया उम्मीदवार हैं।


हरियाणा में चुनाव बेशक, लोकसभा के हो रहे हैं लेकिन फोकस विधानसभा के हलकों पर है। हो भी क्यों ना, जीत-हार का फैसला हलके ही तो करेंगे। इसीलिए अधिकांश राजनीतिक दल हलकों को मजबूत करने की कोशिश में जुटे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय

जनता पार्टी (भाजपा) 2019 के चुनावी नतीजों को दोहराने की जुगत में है। यानी सभी दस सीटों पर ‘कमल’ खिलाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इन पांच वर्षों में राजनीतिक हालात काफी बदल चुके हैं।
इस बार विपक्ष पहले जितना कमजोर नज़र नहीं आ रहा है। प्रमुख विपक्षी दल - कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं।कांग्रेस में एस आर के ग्रुप व भुपिंदर सिंह हुड्डा खेमों में रस्साकशी किसी से छुपी नही है।

वर्तमान में  भाजपा के 10 लोकसभा उम्मीदवार एक माह से चुनावी समर में है।कांग्रेसियों को खुद भी ििनतज़ारे है कि टिकट किसे मिलेगी। कांग्रेस के चुनावी यौद्धा मैदान में आने के बाद ही यह तय हो सकेगा कि प्रदेश के किस संसदीय क्षेत्र में क्या जातीय समीकरण बनेंगे। कांग्रेस अगर जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए टिकट आवंटन करती है तो लोकसभा का यह चुनाव दिलचस्प हो सकता है।

प्रदेश में लोकसभा की दस सीटें हैं और सभी संसदीय क्षेत्रों के अधीन नौ-नौ विधानसभा हलके आते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी। साथ ही, नब्बे में से 79 विधानसभा हलकों में लीड हासिल की थी। कांग्रेस को 10 हलकों और जननायक जनता पार्टी को महज एक हलके से लीड हासिल हुई थी। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने हिसार से चुनाव लड़ा था और वे केवल नारनौंद हलके से ही जीत हासिल कर सके थे। बाकी आठ हलकों में भाजपा के बृजेंद्र सिंह ने लीड ली थी।

 भाजपा ने सोनीपत से भी रमेश कौशिक की जगह मोहन लाल बडौली को टिकट दी है।इसी तरह सोनीपत सीट से भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक के मुकाबले पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुनाव लड़ा था। हुड्डा को बरोदा और खरखौदा से लीड मिली थी और बाकी के सात हलकों – जींद, सफीदों, जुलाना, राई, गन्नौर, सोनीपत व गोहाना से कौशिक ने लीड हासिल की थी। हुड्डा को बरोदा हलके से 6 हजार 5689 और रमेश चंद्र कौशिक को 48 हजार 941 तथा खरखौदा से हुड्डा को 53 हजार 313 और रमेश चंद्र कौशिक को 45 हजार 996 वोट हासिल हुए थे।

इसी तरह रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा ने भाजपा के डॉ़ अरविंद शर्मा के मुकाबले पांच हलकों में लीड हासिल की थी। अरविंद शर्मा चार हलकों में लीड हासिल करने के बाद भी 7300 के लगभग मतों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। गढ़ी-सांपला-किलोई से 45725, महम से 14105, बेरी से 25993, बादली से 11554 तथा झज्जर हलके से दीपेंद्र ने 4649 मतों की लीड हासिल की थी। कोसली से अरविंद शर्मा को मिली 74980 मतों की लीड ने ही उन्हें जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। रोहतक शहर से अरविंद ने 19741, बहादुरगढ़ से 5630 व कलानौर से 4311 मतों की लीड मिली थी।

मेवात में रहा था कांग्रेस का पलड़ा भारी
गुरुग्राम संसदीय सीट पर 2019 में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के मुकाबले कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव पर दाव लगाया था। मेवात जिला के तीन हलकों नूंह, फिरोजपुर-झिरका व पुन्हाना से अजय ने लीड हासिल की। यानी मेवात में कांग्रेस का पहला भारी रहा था। बाकी के छह हलकों – गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, पटौदी, रेवाड़ी व बावल में राव इंद्रजीत सिंह ने अजय यादव को शिकस्त दी। राव इंद्रजीत सिंह को 8 लाख 81 हजार 546 और कैप्टन अजय यादव को 4 लाख 95 हजार 290 मत हासिल हुए। राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुग्राम से लगातार तीसरा चुनाव 3 लाख 86 हजार 256 मतों के अंतर से जीता।

लगभग पांच महीने बाद अक्तूबर-2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों के नतीजे पूरी तरह से बदले नज़र आए। लोकसभा की दस सीटों पर जीत हासिल करने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा ने ’75 पार’ का नारा दिया। चुनावी नतीजे जब आए तो भाजपा 40 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। लोकसभा में केवल 10 हलकों में लीड करने वाली कांग्रेस के 31 विधायक बने। वहीं जिस जजपा ने महज एक हलके में लीड की थी, विधानसभा चुनावों में उसके दस विधायक चुनकर आए। ऐसे में सत्ता की ‘चाबी’ जजपा के पास रही थी। नतीजों के बाद भाजपा ने जजपा के 10 विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई और 4 साल साढ़े चार महीने तक गठबंधन बना रहा।

 


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Content Writer

Isha

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