निगम चुनावों में कांग्रेस की गुटबाजी व इनेलो की अंदरूनी कलह पड़ी भारी

punjabkesari.in Thursday, Dec 20, 2018 - 12:05 PM (IST)

चंडीगढ़(बंसल /पांडेय): 5 राज्यों के चुनावी नतीजों से उत्साहित हरियाणा कांग्रेस को नगर निगम चुनावों परिणामों में भारी झटका लगा है तो वही इनैलो-बसपा गठबंधन बेशक यह दावा करे कि शहरों में उनका वोट बैंक बढ़ा है लेकिन प्रदेशभर में यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस की गुटबाजी तथा इनैलो की अंदरूनी कलह भारी पड़ गई। यहां बता दे कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर शुरू से ही यह चाहते थे कि कांग्रेस सिंबल पर मेयर का चुनाव लड़े जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा तथा राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा नहीं चाहते थे कि सिंबल पर चुनाव लड़ा जाए। कांग्रेस हाईकमान के आगे तंवर भी बेबस हो गए और कांग्रेस ने बिना सिंबल अपने समर्थित उम्मीदवार मैदान में उतारे।

कांग्रेस की गुटबाजी का असर यह रहा कि पार्टी ने एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ा या यह भी कहा जा सकता था कि तंवर तथा अन्य गुटों ने चुनावों से किनारा कर लिया जिसका परिणाम कांग्रेस एक भी स्थान पर मेयर का चुनाव नहीं जीत पाई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर को इस बात का मलाल आज भी है कि कांग्रेस ने सिंबल पर चुनाव क्यो नहीं लड़ा? उनका कहना है कि जिस नेता ने अपने समॢथत उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे उन्हीं की जवाबदेही है कि उनके उम्मीवार क्यो चुनाव हार गए। उन्होंने कहा कांग्रेस अगर सिंबल पर चुनाव लड़ती तो पांचों स्थानों पर कांग्रेस का परचम लहराता। अब उनके इस कथन से तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव में कांग्रेस की गुटबाजी हावी रही।
दूसरी ओर इनैलो नेता यह दावा कर रहे कि बेशक उनकी पार्टी चुनाव नहीं जीत पाई लेकिन उनका प्रदर्शन अच्छा रहा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ठीक है कि इनैलो का शहरों में जनाधार भाजपा व कांग्रेस के अपेक्षाकृत कुछ कम है लेकिन चौटाला परिवार की फूट का असर इन चुनावों में पडऩा स्वभाविक था। 

सांसद दुष्यंत की पार्टी ने बेशक चुनाव नहीं लड़ा लेकिन उनके समर्थकों के वोट अन्य दलों के प्रत्याशियों को जाने का सोचा जा सकता है और इस नकारात्मक असर पडऩा स्वभाविक है। इनैलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा कि इनैलो में कोई कलह नहीं है और न ही किसी के पार्टी से बाहर होने से चुनाव पर कोई असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिस तरीके से चुनाव में जातिवाद का जहर घोला,  ऐसे में बेशक भाजपा ने चुनाव जीत लिए, लेकिन भाजपा का चेहरा बेनकाब हो गया। 


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Deepak Paul

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