धान की खरीद टालने का निर्णय किसानों से भद्दा मजाक: सुरजेवाला
punjabkesari.in Saturday, Oct 02, 2021 - 09:17 AM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा में धान की खरीद टालने के फैसले का विरोध किया है। शुक्रवार से राज्य की मंडियों में खरीद शुरू होनी थी लेकिन बारिश को आधार बनाते हुए केंद्रीय खाद्य भंडारण निगम ने खरीद 11 अक्तूबर तक टालने के आदेश दिए हैं। शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चंडीगढ़ में मीडिया से रूबरू हुए सुरजेवाला ने इस फैसले को एमएसपी खत्म करने का षड्यंत्र करार दिया।
उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार तुरंत प्रभाव से मंडियों में एमएसपी पर धान व बाजरा की खरीद शुरू करे। धान, बाजरा व अन्य खरीफ फसलों के ‘खरीद मापदंड’ जारी किए जाएं। उन्होंने कहा कि बेमौसमी बारिश तथा खरीद में देरी को देखते हुए धान और बाजरा खरीद में नमी की मात्रा में छूट दी जानी चाहिए। रणदीप ने कहा कि बेमौसमी बारिश की वजह से प्रदेशभर में किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं। गठबंधन सरकार पंद्रह दिनों के भीतर किसानों को पूरा मुआवजा दे। उन्होंने कहा कि झज्जर, रोहतक सहित कई जिलों में हजारों एकड़ फसल पानी में डूबी है। सरकार ने पानी निकासी का कोई प्रबंध नहीं किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला पर कटाक्ष करते हुए सीएम ने कहा कि अगर वे किसानों की मांगों को मान नहीं सकते तो गद्दी छोड़ दें। एक सवाल पर रणदीप ने कहा, सरकार ने पहले 25 सितंबर से धान खरीद का निर्णय लिया। किसान मंडियों में फसल लेकर पहुंच गए तो पहली अक्तूबर से खरीद का फरमान जारी कर दिया।
उन्होंने कहा कि अब खरीद से ठीक पहले 11 अक्तूबर तक रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान औन-पौने दामों में अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं। प्रदेश की मंडियों में 20 लाख क्विंटल से अधिक धान खुले में पड़ा है। अकेले अंबाला की मंडियों में ही लगभग 4.50 लाख क्विंटल धान पड़ा है। वहीं कुरुक्षेत्र की मंडियों में 5.50 लाख क्विंटल, यमुनानगर की मंडियों में 2.25 क्विंटल धान, कैथल की मंडियों में 2 लाख क्विंटल तथा करनाल की मंडियों में लगभग 1.75 लख क्विंटल धान की आवक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि हजारों किसान सरकार की ओर टकटकी बांधे देख रहे। किसान एमएसपी पर खरीद की आस में बैठे हैं। सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर-चौटाला सरकार ने अहंकार में कह दिया है कि सरकार 3 अक्तूबर के बाद फैसला लेगी। सवाल यह है कि बेमौसमी बारिश और तूफान की मार सह रहा किसान अपनी फसल कैसे बचाए। कहां लेकर जाए और किसे बेचकर आए। मौसम और मोदी सरकार, दोनों ही मिलकर अन्नदाता को मारने पर जुटे हैं।
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