दीपेंद्र हुड्डा संसद सत्र में उठा सकते हैं Bond Policy का मुद्दा, करेेंगे ये मांग

punjabkesari.in Friday, Dec 09, 2022 - 11:42 AM (IST)

दिल्ली (कमल कंसल) : हरियाणा से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा संसद सत्र में बॉन्ड पॉलिसी का मुद्दा उठा सकते हैं। प्रदेश समेत कई राज्यों में लागू की गई मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी को लेकर जीरो ऑवर में बात रखेंगे जबकि मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी को रद्द करने की मांग करेंगे। 

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उन्होंने हरियाणा समेत अनेक राज्यों में लागू '''मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी' से उत्पन्न चिंताजनक हालात और इस पॉलिसी को रद्द किए जाने की माँग हेतु पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में लिखा है कि माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से मैं हरियाणा समेत अनेक राज्यों में मेडिकल विद्यार्थियों पर थोपी गयी 'मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी' और इसके चलते हरियाणा में उत्पन्न चिंताजनक हालातों के अति-महत्त्वपूर्ण मुद्दे को सरकार के संज्ञान में लाना चाहता हूँ। महोदय, हरियाणा में बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर मेडिकल छात्रों पर बढ़ी हुई फीस के साथ कॉलेज और संबंधित बैंक से साढ़े चार साल के कोर्स के लिए लगभग 40 लाख रुपये का बॉन्ड कम ऋण एग्रीमेंट भरने की बाध्यता लागू की जा रही है। जिसके विरोध में मेडिकल छात्र कई महीने से आन्दोलनरत हैं और लगातार सरकार से इस पॉलिसी को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। सरकार मेडिकल छात्रों की इस जायज़ माँग को मानने की बजाय इनके साथ जोर-जबरदस्ती और दमन का रास्ता अपना रही है। जिससे न सिर्फ छात्रों का नुकसान हो रहा है बल्कि प्रदेश भर में चिकित्सा व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो रही है और इलाज के लिए अस्पताल आने वाले आम रोगियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। इस गतिरोध को खत्म करने हेतु मैं माननीय केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जी से मांग करता हूँ कि मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए, ताकि हरियाणा व अन्य प्रदेश के मेडिकल विद्यार्थियों व आम रोगियों को राहत मिल सके।

गौरतलब है कि एमबीबीएस छात्र प्रदेश सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ कई महीनों से हड़ताल कर रहे हैं। इस बीच सरकार के साथ तीन दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन मांगों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। वहीं हरियाणा सरकार ने बॉन्ड पॉलिसी में कई तरह के बदलाव भी कर दिए हैं। बॉन्ड की राशि को घटाकर 30 लाख रुपए कर दिया गया है। इसी के साथ पॉलिसी के तहत सरकारी अस्पतालों में काम करने की अनिवार्य समय अवधि को भी घटाकर 7 साल से 5 साल कर दिया गया है। वहीं पीजी करने वाले छात्रों को भी सरकार ने कुछ राहत देने का ऐलान किया है। हालांकि बैठक के बाद भी मांगो को लेकर छात्र असंतुष्ट नजर आए और उन्होंने धरने को चालू रखने का ऐलान किया। 


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Content Writer

Manisha rana

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