अशोक बुवानीवाला की मांग- कोरोना का शिकार हुए पत्रकारों के परिवारों को 15 लाख मुआवजा दिया जाए

punjabkesari.in Saturday, May 29, 2021 - 05:02 PM (IST)

भिवानी (अशोक): हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता व मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया कॉर्डिनेटर अशोक बुवानीवाला ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि कोरोना संक्रमण के कारण अकाल मृत्यु का शिकार हुए प्रदेश के पत्रकारों को कोरोना योद्धा मानकर उनके परिवारों को 15 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना की पहली लहर से ही पत्रकार जमीनी तौर पर काम कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण जानकारियां लोगों तक पहुंचाई है और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आवश्यक जरूरतों को उजागर कर सरकार और आमजन का मार्गदर्शन करने का काम किया है। 

बुवानीवाला ने कहा कि इस दौरान जरूरतंदों की सहायता करवाने में भी पत्रकार साथियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इस स्थिती में अगर कोई पत्रकार साथी कोरोना की चपेट में आता है और अकाल मृत्यु जैसी अनहोनी का शिकार होता है तो प्रदेश सरकार का दायित्व है कि उनके परिवारजनों को आवश्यक मुआवजे के तौर पर कम से कम 15 लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी जाए। 


उन्होंने कहा कि पत्रकार साथी दिन-रात मेहनत करते हुए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में सरकार और जनता के बीच सेतु का काम कर रहे हैं। ऐसे में कोई दुघर्टना उनके साथ होती है तो देखने को मिलता है कि उनके परिवारजनों को आर्थिक संकंटों के दौर से गुजरना पड़ता है क्योंकि न तो सरकार की तरह से और न किसी अन्य संस्थान की तरफ से उन्हें आर्थिक सहयोग मिलता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पत्रकारों के लिए लागू की गई पांच लाख रूपए बीमा पॉलिसी का आधा प्रीमियम न भर सकने के कारण सरकार द्वारा करवाई गई 20 लाख रूपए तथा दो तिहाई रकम जमा न करवाने की स्थिति में 10 लाख रूपए की बीमा पॉलिसी का लाभ प्रदेशभर में मात्र 90 पत्रकार ही उठा सके थे। 

बुवानीवाला ने मांग की कि जब तक पांच लाख रूपए की मेडिकल बीमा पॉलिसी लागू नहीं हो पाती तब तक पत्रकारों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख की जाए। उन्होंने प्रदेश सरकार से पत्रकारों के लिए 60 वर्ष की आयु बाद मिलने वाली 10 हजार रूपए पेंशन की नीति में भी बदलाव की मांग करते हुए कहा कि कोविड के कारण बहुत से युवा पत्रकारों ने भी अपने प्राण गंवाएं है ऐसी स्थिती में पेंशन नीति में बदलाव करते हुए अकाल मृत्यु के कारण 60 वर्ष की आयु से पहले प्राण गंवाने वाले पत्रकार साथियों को भी इस पेंशन नीति से सीधा जोड़ा जाए ताकि परिवार को आर्थिक सहायता मिल सकें। इसके साथ उन्होंने मांग करते हुए कहा कि 30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर प्रदेश सरकार द्वारा पत्रकार साथियों के लिए 15 लाख मुआवजा राशि एवं पेंशन व बीमा नीति में बदलाव की घोषणा की जाएं।

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इसके साथ उन्होंने कहा कि कोविड की वजह से प्रदेश में कुरूक्षेत्र के रोहित सरदाना व सोनीपत के पुरूषोत्तम शर्मा, राकेश तनेजा जैसे युवा पत्रकार कोरोना की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। जिले, कस्बे, गांवों में काम कर रहे तमाम पत्रकार इस जानलेवा वायरस के सामने हार गए है। बुवानीवाला ने इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज एवं नेटवर्क ऑफ बुमन इन मीडिया, इंडिया की एक रिपोर्टो का हवाला देते हुए बताया कि देशभर में अप्रैल 2020 से मई 2021 तक कोरोना की वजह से लगभग 300 पत्रकारों की मौत हो चुकी है और इनमें सबसे ज्यादा मौते उत्तर भारत में हुई है। 

जिनमें दु:खद बात है कि स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहे बहुत से पत्रकारों का तो आंकड़ा भी सामने नहीं आ पाया है। रिपोर्ट के मुताबिक 41 से 50 साल के बीच के पत्रकार सबसे ज्यादा कोरोना के शिकार बने है। जिनका आंकड़ा 31 प्रतिशत है। 31 से 40 वर्ष के बीच की आयु के 15 प्रतिशत पत्रकारों का निधन कोरोना की वजह से हुआ है। इनमें भी ज्यादात्तर छोटे शहरों के पत्रकार कोरोना के शिकार बने है। जिनमें करीब 55 प्रतिशत प्रिंट मीडिया से, 25 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तथा 19 प्रतिशत स्वतंत्र पत्रकारिता से जुड़ें थे। 

बुवानीवाला ने कहा कि ओडिशा सरकार ने पत्रकारों के निधन पर 15 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है तो राजस्थान सरकार ने 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान किया है। इसी तर्ज़ पर हरियाणा की सरकार भी पत्रकारों को आर्थिक राहत दे।


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Content Writer

vinod kumar

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